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Author Munesh sharma 'Nirjhara'
गुरु कौन है....??? गुरु कौन है....??? गुरु एक बहुत व्यापक शब्द है जो अपने में अनेकों अर्थ,भाव,विचार,सोच,पहचान को समाहित किये हुये है!गुरु केवल पुस्तकीय ज्ञान
Vibha Katare
" सर्वनाम का अत्याधिक प्रयोग व्यर्थ भ्रम की उत्पत्ति का कारक होता है । जहाँ संज्ञा आवश्यक है वहाँ सर्वनाम को आराम ही करने दीजिये । " - सर्वनामों से त्रस्त एक संज्ञा सर्वनाम की सम्पूर्ण व्यथा और कथा अनुशीर्षक में पढ़िए। संभवतः आदिकाल में जब प्रकृति विभिन्न स्तरों पर सृजनरत थी, तब भाव और संवादों की नवकोपल भी भाषा रूपी तरु के उद्भव की ओर अग्रसर रही होंगी और सं
Sandhya Tailor
ज्ञान की बाते ©Sandhya Tailor #ज्ञान #ज्ञान_की_बात #ज्ञानी #ज्ञान3शब्दोंमें #ज्ञानकाआधार #“ज्ञान” #ज्ञान1
nitsmit penshanwar
पुस्तकी ज्ञानात अहंकाराचा वास नसावा आणी सामाजीक ज्ञानात स्वार्थ नसावा.... कारण अहंकार माणसाला स्वार्थी बनवतो आणी स्वार्थ अहंकारास बळी पडतो स्मितनित ©nitukolhe smitnit पुस्तकी ज्ञान #Books
Ram Gopal
परिश्रम से बढ़ कर कोई चीज नहीं होती है,,,,, आदर से बड़ा ज्ञान नही होता है,,, ज्ञानी से बढ़ ज्ञान
Suraj Dhunde
किसी भी चीज का अधूरा ज्ञान अज्ञान से लाख गुना घातक है, बेहतर है आप इसे पूर्ण रखे या फिर शून्य । ©Suraj Dhunde #shabd #विचार #ज्ञान #अज्ञान
Ek villain
ज्ञान अज्ञान ज्ञान की शक्ति से ही मनुष्य अनंत समर्थ एवान है जिसके पास जितना अधिक ज्ञान है वह इतना ही अधिक शक्ति संपन्न है सच्चा ज्ञान व्यक्ति को विनम्र और विराट व्यक्तित्व वाला बनाता है इसके विपरीत अज्ञानता हठधर्मिता की जननी है अज्ञानी व्यक्ति आत्म केंद्रित और शूद्र सोच वाला होता है अज्ञान मन की रात्रि है लेकिन वह रात्रि जिसमें न तो चांद है और ना तारे अज्ञानता जीवन की वह अंधकार पूर्ण स्थिति है जिसमें जीवन की राह दिखाई नहीं पड़ती वह गहन रात्रि में हम होने वाले चांद तारों का धुंधला प्रकाश जी उपस्थित नहीं रहता इस गहन अंधकार के बीच सही राह को देखना और उस पर जाना बहुत ही कठिन है अंधकार को अब ज्ञान का प्रतीक माना गया है इसके विपरीत प्रकाश जिससे प्रकाश में सत्य उदगीठ होता है वैसे ही ज्ञान के उदय से वास्तविक आ वास्तविक सत्य आ सकते तो इससे और प्रैसे के बीच अंतर स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है वास्तव में ज्ञान की प्राप्ति के लिए स्वर प्रथम सक्रियता का परित्याग करना पड़ता है ज्ञान के ग्रहण के लिए मस्ती को खोलना पड़ता है एक संकुचित मस्ती के साथ कम कभी सच्चे ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर सकते भिन्न-भिन्न विचारों के बीच व्यक्ति को खुले ग्रहण शील मस्तिक से सामने व आत्मिक दृष्टिकोण अपनाते हुए इन सब में से सारा तत्व को ले लेना पड़ता है दिमाग पैराशूट के समान है यह तो कभी काम करता है जब खुला हो एक खुला विचारशील चिंता पूर्ण मस्तिक ही वास्तविक ज्ञान प्राप्ति का साधन है अन्यथा की स्थिति में बंद दिमाग के साथ यह अज्ञानता आनंद की वजह बन जाती है पर यह मात्र छलावा होता है ज्ञान की साधना के लिए हमें कुछ अलग तरह से सोचना और करना पड़ता है वास्तव में ज्ञान के प्रति के लिए हमें अपनी अज्ञानता का साहस होना आवश्यक है यह ज्ञान प्राप्ति की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है ©Ek villain # ज्ञान अज्ञान की उर्जा #smoke
Deependra Kumar
और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान। जैसे गोला तोब का, कराता चैले मैदान।। ©Deependra Kumar अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा #kabir_is_god