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Deep Gandhi
..मां कूष्मांडा मंत्र.. वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥ ॐ कूष्माण्डायै नम: सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। ©Deep Gandhi मां कूष्मांडा मंत्र वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥ ॐ कूष्माण्डायै नम: सुरासम्पूर्णकलश
Shravan Goud
ॐ देवी कुष्मांडाय नमः सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥ या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। 🌹🌹🙏🙏 ॐ देवी कुष्मांडाय नमः सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥ या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रू
रजनीश "स्वच्छंद"
दिनकर की वो वाणी कहाँ जो रुधिरों में भरती थी ओज़ हमारे।।। जुबां नही जो बोल सके, क्यूँ हो नंगा नाच आंखों के सम्मुख रोज़ हमारे।। रजनीश "स्वच्छन्द" रुधिरों में ओज़।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।#thought #shayri #fun #love #poem #comedy #meme #nojoto #nojotohumour #nojotomeme #nojotofun #kalakak
नितिन कुमार 'हरित'
सबकी अपनी अपनी दुनिया सबकी अपनी अपनी सोच, कोई रहता चुप चुप गुमसुम, कोई करता नित उदघोष । कोई हंसता कोई रोता, कोई रहता नित अतिशान्त, सबकी अपनी अपनी बोली, सबके अपने अपने प्रांत । स्वप्न अलग हैं, भाव अलग हैं, किंतु जैसे रुधिर रंग एक , एक ही रखना अपनी माटी, देश प्रेम में सब संग एक ।। follow@aaina.nkharit - Nitin Kr Harit सबकी अपनी अपनी दुनिया सबकी अपनी अपनी सोच, कोई रहता चुप चुप गुमसुम, कोई करता नित उदघोष । कोई हंसता कोई रोता, कोई रहता नित अतिशान्त, सबकी अपनी
Nitin Kr Harit
सबकी अपनी अपनी दुनिया सबकी अपनी अपनी सोच, कोई रहता चुप चुप गुमसुम, कोई करता नित उदघोष । कोई हंसता कोई रोता, कोई रहता नित अतिशान्त, सबकी अपनी अपनी बोली, सबके अपने अपने प्रांत । स्वप्न अलग हैं, भाव अलग हैं, किंतु जैसे रुधिर रंग एक , एक ही रखना अपनी माटी, देश प्रेम में सब संग एक ।। follow@aaina.nkharit सबकी अपनी अपनी दुनिया सबकी अपनी अपनी सोच, कोई रहता चुप चुप गुमसुम, कोई करता नित उदघोष । कोई हंसता कोई रोता, कोई रहता नित अतिशान्त, सबकी अपनी
संवेदिता "सायबा"
vasundhara pandey
यूँ तो लिखते हैं न कितने, शिज़िर और साज़ पर, लिख गये कुछ कर गये नाम, अमर भारत मात पर। मिट गये कितने न जाने, कुर्बां हुये वंदे मातरम् के नाम पर। वंदे मातरम् । 🇮🇳 यूँ तो लिखते हैं न कितने, शिज़िर और साज़ पर, लिख गये कुछ कर गये नाम, अमर भारत मात पर। मिट गये कितने न जाने, कुर्बां हुये वंदे मातरम् के नाम
रजनीश "स्वच्छंद"
मैं तेरा पिता।। कष्ट मैं सारे सह लूंगा, तू बस आगे को बढ़ता जा। पांव तले रख कंधा मेरा, तू पर्वत भी चढ़ता जा। तेरा किस्सा है मेरा किस्सा, तू मेरा ही अक्स रहा, हर बाधा तू हरता जा और नई कहानी गढ़ता जा। किस्मत में बस मोती कहाँ, कुछ ज्वाला भी होती है, आसान रहा जीवन किसका, कष्टों से तू लड़ता जा। रख कागज़ तू ये कोरा नहीं, ले लेखनी हाथ उठा, कुछ अपनी तू लिखता जा, कुछ औरों की पढ़ता जा। हवनकुंड जीवन तेरा, यज्ञ की अग्नि से शोभित, अंगारों की फिक्र न कर, कदम बढ़ा तू चलता जा। वायु नहीं जो आग जगाए, रुधिरों में तेरा वास रहे, बन सूरज तू हो रौशन, लिए प्रकाश तू जलता जा। तुम पर दम्भ भरूँ मैं भी, मस्तक मेरा हो गर्व भरा, मैं ढलने के द्वार खड़ा अब, तू सूरज सा चढ़ता जा। ©रजनीश "स्वछंद" मैं तेरा पिता।। कष्ट मैं सारे सह लूंगा, तू बस आगे को बढ़ता जा। पांव तले रख कंधा मेरा, तू पर्वत भी चढ़ता जा। तेरा किस्सा है मेरा किस्सा, तू म
Rishika Srivastava "Rishnit"
सुहावन आज राम जन्म की बेला है, घर घर में विश्वास भाव का मेला है राम रहे सदैव कर्तव्य समर्पित, कर्म पथ रहा राम का अलबेला है बाल रूप जन जन नयन निहारे, शैशव मे ही निशाचर अति संहारे शिव धनुष भंग कर जनक सुता से व्याहे, राजमहल ऐश्वर्य छोड़,वन गमन सिधारे विप्र,धेनु सुर, संत हित वचन उचारे, निषाद राज शबरी का सम्मान किया, खर दूषण मारे स्वर्ण मृग मोह हुआ सीता को,श्रीराम ने मारीच सहित अन्य असुर उद्धारे छद्म रूप धारण किए दशानन खड़ा हुआ था द्वारे लक्ष्मण रेखा लाॅ॑घ शक्ति ने , किया सुनिश्चित रावण वध था जटायु, सुग्रीव,अंगद, हनुमान, विभीषण के राम वने सहारे सभी दुष्ट दानवों का दर्प हरा,जो थे रावण को अति प्यारे राम हमारी मर्यादा हैं, राम सदा हमारे आदर्श रहे श्वांस श्वांस में राम समाये, राम नाम का रुधिर बहे जय जय श्री राम ©Rishnit सुहावन आज राम जन्म की बेला है घर घर में विश्वास भाव का मेला है राम रहे सदैव कर्तव्य समर्पित कर्म पथ रहा राम का अलबेला है
Priya Kumari Niharika
शीर्षक: लालफीताशाही से दरख्वास्त निष्पक्ष विचारों का प्रवाह एकत्व रुधिर के कण-कण में सहयोग का ढूंढो एक वजह दृढ़ निश्चय हो अंतर्मन में बिन मौसम तुम बरसात बनो लाचारों के ख्यालात बनो हर ओर निराशा हाथ लगे उत्थान की तुम सौगात बनो जज्बातों में ना उलझो तुम अपने तर्कों से सहमत हो हाथों से तेरे मुफलिस के निर्मित आशाओं का छत हो भीषण संकट की ढाल बनो डंके की चोट की ताल बनो मानव की रक्षा हेतु तुम धरती मैया के लाल बनो समझो जन-जन की पीड़ा तुम समाधान करो हर संकट का लहरों से तुम अब डरो नहीं शक्ति समझो तुम कंकट का ऊपरी सतह की सत्ता के भय से ना तू रुक पाना अब विकसित तू करना राष्ट्र स्वयं अवरुद्ध न होंगी रहे तब अपनी सत्ता के नीचे की,हर सतह संवारो हाथो से विकास नहीं आता , समझे...... नारे लगते हैं बातों से ©verma priya शीर्षक: लालफीताशाही से दरख्वास्त निष्पक्ष विचारों का प्रवाह एकत्व रुधिर के कण-कण में सहयोग का ढूंढो एक वजह दृढ़ निश्चय हो अंतर्मन में