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Anita Gujar
🙏वेड्या मनाला कळावे🙏 देवाजीच्या देव्हाऱ्यात दिव्यापरी मी जळावे भक्तीतच दडे मुक्ती वेड्या मनाला कळावे ||१|| मार्ग शोधता सुखाचा वाट माझीच चुकली मोह मायेत फसलो संधी सोन्याची हुकली ||२|| ज्याने दिले सर्व काही नाव त्याचे ओठी नाही अश्रू दाटले लोचनी ठेचाळलो ठायी ठायी ||३|| आतातरी पाय माझे आज मंदिरी वळावे त्याच्या कृपेनेच सारे आता ग्रहण टळावे ||४|| लाभलेल्या या जन्माचे देवा सार्थकच व्हावे सेवाव्रत अर्पिताना माझे प्राण कामी यावे ||५|| सौ.अनिता गुजर ©Anita Gujar वेड्या मनाला कळावे #alonesoul
कवी - के. गणेश
स्वतःसोबत स्वतःचाच कधीतरी वाद असावा, आयुष्यात रंग भरायला एखादा नाद असावा.! @kganesh नाद असावा..
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
लोभ आदमी का गला काटता है लोभ आदमी को बेमौत मारता है उसकी भूख कभी खत्म न होती लोभ आदमी का पेट फाड़ता है लोभी ख्वाबों में दौलत चाटता है लोभी रिश्तों को पैसे से जाड़ता है लोभ आदमी का गला काटता है भरी जवानी में उसे जिंदा मारता है लोभी समंदर के भीतर रहकर भी, ताउम्र प्यासा ही जिंदगी काटता है लोभी जिंदगी के इस चौराहे पर, ख़ुद को कंकर-पत्थर ही बांटता है लोभ आदमी का गला काटता है लोभी पैसे को ही ख़ुदा मानता है पर वो ये बात भूल गया है साखी, लोभ आदमी को जिंदा गाड़ता है अंधेरे से जैसे रोशनी नही होती, लोभी से वैसे अच्छाई नही होती, लोभी आंखे होकर ठोकर छांटता है लोभी उजाले में अंधेरे को पालता है आज हर शख़्स लोभ साथ रखता बिन पैसे किसी से बात नही करता पर अंत समय पैसा साथ नहीं जाता निःस्वार्थ कर्म ही सबको याद आता लोभ,स्वार्थ नही,परोपकारी कर्म ही, मृत्यु बाद भी हमें जिंदा रखता है निःस्वार्थता ही इंसानो का मूल खाता है, बिन इसके खुदा हमे जानवर मानता है दिल से विजय लोभ
Khurshid ansari
लोभ से घिरा मनुष्य धन को तो देखता है पर आपत्ति को नहीं। ©Khurshid ansari लोभ
Ambika Mallik
आज़ (लोभ) आज़ वो मृग मरीचिका, जित पकड़ो दूर वो जाए। झोली कभी ना भर पाते, कौड़ी एक खाली रह जाए।। ©Ambika Mallik #लोभ
Dinesh Kashyap
लोभ, लालच और ईर्ष्या मानवता के दुश्मन हैं! जो करें मानव सेवा, सत्य की शक्ति को जो पहचाने! कर्मों में शुभ कर्म! धर्मो में धर्म मानव धर्म है! हिंसा को अहिंसा में बदल दे! मित्रों में है मित्र है प्यारा हां संजीवन बूटी या मरहम है लोभ, लालच और ईर्ष्या मानवता के दुश्मन हैं.... ©Dinesh Kashyap # लोभ ,लालच