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Choubey_Jii
झूठ कहते हैं लोग कि इश्क का मोल नहीं होता सरे बाजार मैंने इश्क को नीलाम होते देखा है तजुर्बे से कह रहा हूँ दिल न लगाना फ़रेबी जहाँ से इस दिल्लगी में लाखों को मैंने गुमनाम होते देखा है जालसाज़ी है ये जमाना सुहाने सपने दिखाता है उन्हीं सपनो को तार तार सरेआम होते देखा है तू सपनों को साकार कर जो तेरे खुद के अपने हैं दुनिया के दिखाए ख़्वाबों में लोगों को बदनाम होते देखा है सीमा रेखा पार करना उड़ान ऊँची भरना बंदिशों में बंधकर ख़्वाबों का कत्लेआम होते देखा है जो लिखते हैं खुदकी किस्मत इतिहास बना जाते हैं मुकद्दर के भरोसे बैठे बंदों का नाम बेनाम होते देखा है #चौबेजी #चौबेजी #बज़्म #नोजोटो #nojoto #नज़्म
Choubey_Jii
जाने क्यों इतना बेरहम, दस्तूर इश्क का है पूछते नहीं हैं रूठने वाले, कसूर किसका है नगमों को गुनगुनाते हैं, दिल बहलाने के लिए पूछो तो शायर से दर्द में छिपा, नासूर किसका है दिखता नहीं समुन्दर, जो आंखों में रोक रक्खा है कसक दिल की बयां वो करे, दर्द मशहूर जिसका है मोहब्बत के मुकामों में, शामिल है रूस्वाई भी क्यों भूल जाते हो मुसल्सल, तुम्हें गुरूर किसका है गर करना है इश्क बेइंतिहां, तो दिल पत्थर कर लो मिलने है जख्म कई, ये खेल मगरूर इश्क का है #चौबेजी #चौबेजी #बज़्म #नोजोटो #नज्म #nojoto
sarika thakur
कैसे लिखूं उन आंखों के लिए जिनमें डूबने का मन करता है,उन लफ्ज़ों को जो किसी का भी दिल जीत ले,उस शालीनता को जिसका हर कोई कायल है,उस व्यक्तित्व को जो आज के जमाने में मुश्किल से मिलता है,बस इसी उलझन में मेरी लेखनी जस की तस रह गई। कैसे लिखूं
Sumit Mgr
लिखना हैं तुझे कागज़ पे कलम मेरी काम ही नहीं करती ढूंढती थीं नज़र दूर दूर तक कभी भीड़ में अकेला छोड़ साथ नहीं चलती कदम देते हैं साथ इस दिल का कमबख्त मंज़िल ही नजर नहीं आती कैसे लिखूं
Kavi Kumar Ashok
लिखूं भी तो क्या, बीती रात की कुछ ख्वाहिशें तुम्हारी खामोशियों के किस्से या नरम तकियों में गुम तुम्हारे फसानें,, लिखूं भी तो क्या,,, नज़्म तुम चली आओ
varsha Mahananda
सुनो, कैसे लिखूं तुम्हारा नाम मेहंदी से? कहते हैं कि मेहंदी वाले हाथ में पिया का नाम लिखना शुभ होता है। पर मैं नहीं मानती.. निखार फीकी पड़ गई, रंग छूट गया तो तुम्हारा नाम भी छूट जाएगा.. कैसे लिखूं तुम्हारा नाम उन दीवारों पर? लोग पत्थरों , दीवारों, बड़ी बड़ी इमारतों पर प्यार का इजहार करते हैं। पर मैं नहीं मानती.. बेरहम मौसमों को रहम न आएगी और तुम्हारा नाम मिट जाएगा.. कैसे लिखूं तुम्हारा नाम कागज पर? भर दें पूरी डायरी अपने प्यार के ही नाम से और आ जाए दिल को चैन। पर मैं नहीं मानती.. कभी फट जाएगी, जल जाएगी, खो जाएगी फिर तुम्हारा नाम भी खो जाएगा.. कैसे लिखूं तुम्हारा नाम रेतीले सतह पर? कितने ही क्षसपनों के घरोंदे बनें, नजाने कितने नाम लिखे जाते हैं। पर मैं नहीं मानती.. उन धुले घरोंदों की तरह, उन नामों की तरह तुम्हारा नाम भी तो धुल जाएगा.. सुनो, मैं नहीं मानती प्यार के इसतरह के इजहार को बना लेना चाहती हूं अमर तुम्हें और तुम्हारे नाम को.. बसा लिया है दिल के हर कोने में, हर धड़कन में, हर अहसास में तुम्हें अब तुम्हारा नाम अमर रह जाएगा... ये प्यार अमर हो जाएगा... © varsha Mahananda कैसे लिखूं..? #Drops
Azhar Raza
ख़्वाहिशें जो अंधेरों में छुपा दी मैंने, नजदीकियां जो रोशनी से थीं घटा दी मैंने, तुमसे मोहब्बत करने का फितूर जो लिए बैठा था मैं,उस मोहब्बत की बातें दिल में दबा दी मैंने तुमसे कहने को कुछ लफ्ज़ कागज़ पर लिखे थे मैंने,आज खुद ही अपने हाथ से उनमें आग लगा दी मैंने मसला ये नहीं कि तन्हा फिर रहा हूं मैं, मसला ये है कि तन्हा होकर भी तुम्हे दिल में जगह दी मैंने जो था एक पंछी क़ैद मेरे दिल के कैदखाने में, उसे आज रिहाई देकर खुद से आजादी दे दी मैंने Azhar नज़्म