Find the Latest Status about व्यथा समानार्थी शब्द from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, व्यथा समानार्थी शब्द.
Kishor Rokade
"निसर्ग" तुझ्या पाण्याच्या प्रवाहाने मोडलेले.. संसार उभे करण्यास मदत कर आता..! तुझा कोप सहन करण्याचं बळ... नाही उरलंय कोणातही आता..! निसर्ग राजा बस कर..रे आता..! हताश-निराश ते चेहरे पाहुन.. कळ काळजाच्या आत जाऊन.. रडतात बघ ना...डोळेही आता..! निसर्ग राजा बस कर.. रे आता..! शिवशंभु विचारांचा..हा मावळा.. करितो तुजपाशी..आज कळवळा.. साद घालुनी..शपथ तुजला आता..! निसर्ग राजा बस कर..रे आता..! ।। जय शिवराय ।। शब्द सचिन गवळी(व्यथा) "जय शिवराय"
DrRavikirti Didwania
Sound Similar but Meaning Different Challenge People Become Too "Sel-fish" Sailing Somewhere else and Phishing Someone else... #ravikirtikikalamse #selfishworld #yqdidi #yqbaba #nazariya_badlo_janab #phishing #paraya #waqthitujebatayega द्विअर्थी समानार्थी शब्द प्रय
brijesh mehta
तेरे और उनके प्रेम में जमीन आसमान का फर्क है तेरे प्यार में शक है, वहम है, भरोसा नहीं है। तेरा प्यार तुझे बहुत रुलाएगा, बहुत तड़पाएगा। — % & प्यार, प्रेम, विश्वास, भरोसा सब समानार्थी शब्द है। 💞💞 #मंमाधन #brijeshmehta #manmadhan #lovequotes #lifequotes #lovestory
Swarnima🌸
हजार रोज़ मरकर किसी रचना मे जीता है वो सौ दिन मौन के जीकर,कुछ कहता है वो वो!जो अंजान है गुमनाम है कुछ तेरी सोच से परे,बेवजह ही बदनाम है सुन सकोगे तुम, उसके हृदय की आवाज़ परस्पर जो अग्रसर है, किसी बदलाव की ओर,किसी मर्म की ओर और किसी सत्य की ओर अछूता है जो संसार मे,ऐसा कोई सवाल और फिर उसका जवाब दे पाओगे तुम! आओ सुनाऊँ तुम्हें उसकी व्यथा खानाबदोश कहते हैं, उल्फत जब दर्द बन जाए तब वो लिखता है, सुनते हैं उल्फत भी कहीं मिलती है आजकल रिश्ता दर्द और उसका ,कुछ आसान जान पड़ता है क्या करें, कुछ जल्दी है आजकल गंतव्य की ज़रा रुकते, सुनते और समझते तो जरूर जानते व्यथा उसके दिल की शीशे की तरह पाक,सच्ची और नाजुक! व्यथा
Shreyashi Mishra
क्रोध की अग्नि में सीता सी आज जल रही हूं मैं,,दोषी तुम्हे ठहराऊ भी तो कैसे ,,लो फिर ' राम 'तुमको कह रही हूं मैं।। #व्यथा
Copyright rprakash
पाऊस आला काय.. गेला काय... रक्ताचं पाणी करून पिकवलेल्या सोयाबीनला मोड फुटले काय अन् कापूस भिजला काय.."पांढरपेशा समाजाला" त्याचं काय देणं-घेणं भाऊ...? तो तर मस्तवाल बैलाप्रमाणे "ए.सी."ची हवा खात "आय.पी.एल." बघण्यात व्यस्त आहे. ©शब्द:- आर.प्रकाश. व्यथा