Find the Latest Status about निर्धना का भात from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, निर्धना का भात.
Pragati Dutt
निर्धनता का सुख! कितनी भली थी वो निर्धनता , जहाँ नहीं थी कोई कुटिलता। जबसे ये धन , पास में आया। इसने सबको , दूर भगाया। निर्धन थे तब ,कितने ठाट। मिलजुल कर ,खाते थे भात। ऐसे धन से ,भी क्या लाभ। तितर बितर, सारा परिवार। जिसने भी इस ,धन को पाया। उसने मन का चैन गँवाया । जगह जगह ताले ठुकवाते, फिर भी सुख से , ना सो पाते। निर्धन नमक से ,रोटी खाता। सुख की नींद , वही ले पाता। बनवाते शाही मकान , खोकर अपना ही ईमान। इससे तो झोंपड़ी अच्छी, जिसकी दुनियाँ होती सच्ची। मूर्ख छोड़ दे धन का लोभ , निर्धनता का भी सुख भोग। धन के फेर में पड़ जायेगा, तृप्त कभी ना हो पायेगा। सारे जीवन भर रो रो कर , इसको पाते सब कुछ खोकर। निर्धन हो चाहे सम्राठ, जाना सबको खाली हाथ। फिर क्यूँ सब बनते धनवान, व्यर्थ दिखाते झूठी शान। बड़े बड़े साधू सन्यासी, वो भी बस धन के अभिलाषी। करते सारे भोग विलास, निर्धनता को देते त्याग। निर्धनता का ये गुणगान, समझ ना पायेगा धनवान। बन जायेगा गर धनवान, पा ना पायेगा आराम। इससे तो निर्धन बन जाऊँ, सुख के दिन और रात बिताऊँ। ईश्वर दे बस इतना ही धन, जिससे कलुषित हो ना ये मन। #निर्धनता का सुख!
anil meena
द्वि पाद के ओज पर करते है हम अपना काज द्वि हस्त की दीप्ति मै मुद्रित है हयात का नाम चतुर्थ चक्र के ओज पर क्यों दिखाते हो साहब हूनर खेप लदान बन मौजूद हो ख़ुद ब ख़ुद उस पर क्यों दिखाते हो रंग अपना हूजूर फ़र्क है बस तुझमें इतना तूने सीखा चलना पहियों के ओज पर फ़र्क है बस मुझमें इतना मैंने सीखा चलना द्वि पाद के ओज पर अनिल मीणा (बोड़ाणा) एक निर्धन का सामर्थ्य
नीता चौधरी
काले कोट में,पैसो का बहिष्कार सा होगा। अपराधी की पैरवी ना होगी,जनता महिला दिवस को भी धूल चटाऐगी,,अब औरत ही कानून को नजरंदाज कर,अपराधी को सूली पर लटकाऐगी।तभी मिलेगा न्याय निर्भया को।देखो!उसकी आत्मा भी कितनी भटकती होगी। निर्भया का इंसाफ
Shiv k Shriwas
जब दर्द का दर्द ,दर्द से भी बढ़ जाये तो अंतर्रात्मा कि विकट गहराई से प्रस्फुटित ज्वाला उस तिनके को भस्म कर देती है जो उस दर्द का निर्धारक होता है।मानव निर्मित न्याय व्यवस्था से कहीं बढ़कर सर्वोच्च व्यवस्था ईश्वर है, जो सर्वोच्च व सर्वशक्तिमान न्यायाधीश है।जहाँ देर है पर अंधेर नही।अरे ऐसे दरिंदे जो हमारे बागबां के फूल,जिनसे हमारी दुनिया महकती है,जिनसे हमारा जहां रोशन है,जिनकी एक मुस्कान के लिये हम पुरी दुनिया वार सकते है।ऐसे नन्हीं मुस्कान कि खुशियाँ छिनते वक्त तेरे हाथ नही कांपे मै ईश्वर से प्रार्थना करुँगा कि ऐसे वहशी, दरिंदे अौर दानव को अपने वास मे भी स्थान ना दे।निर्भया तो अमर है लोगों के दिलो मे,आज निर्भया की आत्मा भी असीम शांति को स्वीकार कर रही होगी की आखिरकार पापियों के पाप का अंत हो ही गया। आज के परिप्रेक्ष्य मे यह पाप पर पूण्य के विजय का वृहद उदाहरण है,जिस विजय का भागीदार प्रत्येक जनता स्वयं महसूस कर रहा है। Shiv k Shriwas #nirbhaya_verdict #निर्भया का इंसाफ##
DR. LAVKESH GANDHI
निर्भया निर्भया की आत्मा को ठंढक तो पहुँची है मगर शांति नहीं क्योंकि छठा बलात्कारी अभी जिन्दा है नावालिग है मगर छड़ घुसेड़ने वाला अत्यचारी बलात्कारी है मासूम नहीं है वह है वह इंसानियत मानवता का दरिंदा कातिल फिर वह क्यों जिन्दा है................? #निर्भया # #इंसानियत का दरिंदा #
DANVEER SINGH 'DUNIYA'
मैं पहला व्यक्ति हूं, जिसने नाम के पीछे गांव का नाम जोड़ा । गरीबों के लिये अपना खाना पीना तक छोड़ा। 1 इस जहां में कौन किसकी परवाह करता है, जनाब मैंने तो इनके लिए अपना ऐश आराम तक छोड़ा।2 मैंने देखा है स्टैंड और स्टेशनों पर प्यास और भूख से तड़पते मासूम से नैत्र जल भरे चेहरों को। मैं व्याकुल सा हो गया था जैसे देखा झूठे गिलास पत्तरो को ऐसे पी चाट रहे थे वे जैसे 56 प्रकार के व्यंजनों को अरदास कर रहे थे भगवान से हाथ फैला कर मांग रहे थे इंसान से कुछ न मिला हाथ तक जोड़ा।3 फिर देखा उन सफेद मच्छरों को उन बेबस और लाचारो के ऊपर चिल्लाते थे धमकी देकर भी खून चूस ले जाते थे गरीब लोगों को भूख से भिखारी बना दिया जब से इन मच्छरों पर दवा छिड़कना बंद किया इन्होंने प्लेट क्या गिराई हमारी हमें प्लेट से गिरा दिया कहते थे साथ लेकर चलेंगे ऐसे ले गए अधभर तक छोड़ा।4 मैंने फिर कहा एक बार पढ़ कर देखो वहां खाना भी मिलेगा एक बार सोचो जिंदगी बदल जाएगी ऐसा काम करो पहले मेहनत कर लो फिर आराम करो जितने पहले सोच में जीरो लग रही हैं जो इतनी मेहनत के बाद लग जाएंगी मेहनत करने से सदा खुशियां बहार आएंगी सागर का नाम लेना आ जाऊंगा वही तुम्हें छोड़ कर जाऊंगा ना कहीं तुम्हारे लिए काम काज तक छोड़ा।5 मैंने सोचा शिक्षा का एक संस्थान खोलू उसे प्यार से सागर शक्ति शिक्षा सेंटर बोलूं नि:शुल्क हो फीस उसमें मेहनत लगी हो प्रत्येक की जिसमें गुरु की प्रेरणा से भविष्य उज्जवल होगा उसमें बच्चा प्रत्येक जाति धर्म मजहब का होगा दया मानवता सामाजिकता कण कण में बहती है जब ही तो मेरी शक्ति हर जुल्म को सह लेती है अब बताओ मैंने कहां तक मोड़ा।6 निर्धनता
sapna chavan
चलो आज एक खेल खेला जाये जो खेलते है खुन कि होली उनसें एक एक कतरा लिया जायें उन खुन को एक किया जाये जो करते है दावें हिंन्दू मुस्लिम अलग हैं उन्हें ये खुन पैहचाने दिया जाय कौनसा खुन हिन्दु का है कौनसा खुन मुस्लिम का है? ये जात पात धर्म कया है? हमने बनाया रुल है उसे follow करना हमारा काम है कया तेरा खुन निंला या पिला है या sirfh मेरा हि खुन लाल है जब हमारे खुन का रंग एक है हम एक है तो जात पात का भेदभाव कयु #Freedom जात पात का भेद भाव कयु है? #15agustspecail#loveforindia#proudofmycountry#nojoto
Rajni kant dixit
ये जात पात का किस्सा कुछ समझ नहीं आ रहा है. इंसानियत छोड़ हर कोई हैवान होता जा रहा है. ©shayer rajnikantdixit # ये जात पात का किस्सा #Twowords