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Madhusudan Shrivastava
विद्यालय से ज्ञान है, मिले ज्ञान से मान। गुरुवर की पूजा करो गुरु से होत सुजान। (1) शिक्षा अब धंधा बना शिक्षा-सदन दुकान। धर्म-कर्म सब बिक गया, बिकता है अब ज्ञान। (2) अनुशासन अनुराग से, मानवता सत-शील। ज्ञान और विज्ञान से, है विकास गतिशील। (3) विद्यालय की सीख से लक्ष्य हुआ आसान। धैर्य, धीर, सत्कर्म से, होता है कल्यान। (4) विद्या है वो सम्पदा, मिले नहीं यह मोल विद्या-धन अनमोल है धन से इसे न तोल। (5) मधु विद्यालय एवम विद्या
Abhishek Rajhans
केन्द्रीय विद्यालय में आज तीन वर्ष पूरे किये और इन तीन वर्षों ने मेरा व्यक्तित्व ही परिवर्तित कर दिया. कुछ पंक्तियो के सहारे अपने हृदय में उमड़े भावनाओ के सैलाब को स्थिरता देने का प्रयास किया हूँ आशाएं ... हृदय की जब टूट रही थी संघर्ष... जब जीवन का पर्याय बन चुका था अनगिनत असफलताएं.. जब निस्तेज कर चुकी थी मुझे अभिशापित... जब लगने लगा था जीवन दंश.. शूल बन कर चुभ रहे थे मित्र की बोलियाँ हे ईश्वर ... आपकी असीम अनुकम्पा से मैं केन्द्रीय विद्यालय संगठन का सदस्य बन पाया छात्र से अंग्रेजी का शिक्षक बन पाया बच्चों को बेहतर देने के लिए नित्य नये संकल्पों के साथ स्वयं को एक आधार दे पाया विद्वान सहकर्मियो का संसर्ग मिल पाया प्राचार्य से पुत्र समान स्नेह मिला आलोचना से सीख मिली प्रसंशा से उत्साह बढ़ा जीवन में गतिशीलता बढी व्यक्तिव में जब से केन्द्रीय विधालय जुड़ा जाने- अनजाने लोग जुड़े बच्चे तो अनमोल तारे जैसे हृदय में मेरे शामिल हुए..... Abhishek Rajhans ©Abhishek Rajhans मेरा केन्द्रीय विद्यालय
Rajveer Salvi
Alone दासता–ए–बेरोजगार चार बायीं छ: फ़ीट के बन्द कमरे में, बैठ स्कूल लेक्चरार की तैयारी में, जुटा है एक किशोर| कुछ बनने की ख्वाहिश लेकर चन्द सालों पहले अपना घर छोड़, कई मिलों दूर चला आया है, एक किशोर| बीते साल रीट में कुछ पॉइंट से रह गया था वो, इस अवसाद के साथ एक अनसुलझी, ख़ामोश ज़िन्दगी से बहुत कुछ ना कहते हुए भी, बहुत कुछ कह रहा है, एक किशोर| रोज़ इस फ़िराक से की कही पीछे ना छूट जाऊ मंझिल की राहों से, इस कम्पा देने वाली सर्दी में भी जल्दी उठ जाता है, एक किशोर| रुपयों की अहमियत और मेहनत की कमाई से जोड़ें पैसों की क़द्र समझ, कई किलोमीटर दूर कोचिंग तक पैदल अपने हौसले भरे पैरों से बढ़ा जा रहा है , एक किशोर| सर्दी आ रही है, मम्मी ने अपने हाथों की गर्म नरमाहट, प्यार और आशीर्वाद से भेजें स्वेटर को पहनकर, इस ढलती शाम में भागते वाहनों को चीरते हुए, अपने कमरे की ओर बढ़ रहा है, एक किशोर| पापा कह रहे थे, बेटा इस बार फसल अच्छी हो जाए तो, कुछ पैसे ज्यादा भेजूँगा, तू एक अच्छा नया स्वेटर ले लेना और पाव भर दूध भी लाकर पी लेना, बीते महीने तू आया था तो बड़ा कमज़ोर दिख रहा था, पापा के दुलार को बढ़ाने में दिन रात जुटा हुआ है, एक किशोर | पर यह क्या था , इस बार तो बारिश बहुत हुई पक्क चुकी फसलें पानी से भर गई चारों ओर खेत में पानी ही पानी था , पापा के इस दुःख पर अपनी ज़िंदगी से कई शिकायतों के सवालों, के सैलाब से जूझ रहा है, एक किशोर | छुटकी बोल रही थी, फ़ोन पे भैया महीनों हो गये आपको देखे, दीवाली भी आ रही है, आओगे ना आप इस बार , ना जाने बदलतीं सरकारें और सत्ता पाकर बेसुध हुए दो-दो शहनशाहो का, कब परीक्षा फ़रमान जारी हो जाये इस डर से इस बार दीवाली पर जाने से कुछ नरवश सा हो गया है, एक किशोर | बदलती सरकारों और बदलतें फैसलों महँगाई के चंगुल तथा शिक्षामंत्री जी की, चिड़िया उड़ कोवा उड़ खेल में बुरी तरह फंस चुका है, आज का हर एक किशोर | इस उम्मीद से की एक दिन नई सुबह आएगी उसकी जिंदगी में यही सोच रूखी सुखी रोटी खा कर चंद बिस्तर लिपटकर सो रहा है, एक किशोर | लेखक – कैलाश चंद्र सालवी #alone मेरी पहली कविता मेरे जीवन पर...
प्रमिला भाटी 'किरण'
मेरा अरमान,मेरी कविता #कविता #poem #poetry
Hemant meena2717
गोर फरमाइयेगा जनाब मेरी कविता और मेरे इश्क़ पर