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tiwarisushmita
#मैने जब भी देखा,ये चांद और रे तारा मुझे साथ ही दिया है, । क्या आप ने भी इन्हें साथ देखा है ? ਰਘਬੀਰ ਸਿੰਘ Amit Saini ΔհΜεD_ɌαZα_ΘυʀΞៜΗι
B Pawar
शश्श चुप हो जाओ, ध्यान से सुनो एलेक्सा हस रही है, हम पर। क्या वो हमारी मूढ़ता पर हस रही है? क्या हमने मशीनो के भीतर विनाश को जीवित किया है? क्या हमने किसी आने वाली मुसीबत को न्योता दिया है? क्या हमने कोई मशीनी सभ्यता को आकार दिया है? क्या अब हमारा अस्तित्व खतरे में है? पूछो? एलेक्सा से पूछो? क्यूं आखिर क्यूं वो हम पर हँस रही है? #alexa यहां नीचे से पूरा पढें 👇👇 शश्श चुप हो जाओ, एलेक्सा सुन रही है। वो दबी हर आवाज को भी सुन रही है वो अकेले में हंसती है इंसानों की बात
Enjamamul Hasan
समस्या यह नही की हमने औरों से बात करना छोड़ दिया है, बल्कि असल समस्या यह है कि हमने खुद से बातें करना भी छोड़ दिया है, अलबत्ता तो हम खुद से बात करते ही नही, करते भी हैं तो एक तरफा करते है, जो हमारे मनमुताबिक हो, बस वही बातें करते हैं.. ऐसे विषय जिन पर हम सोचना तक नही चाहते, जिन पर हम खुदी से बात करने में हिचकिचाते है, हम उन विषयों पर खुद से बात करें, पूरी ईमानदारी पूरी निष्पक्षता से करें, यहां कोई भी पूरी तरह से काला या पूरी तरह से सफेद नही है बल्कि सब स्लेटी रंग है, सबकी शख्सियत में हर रंग है, हम इस बात को समझे, बस यही इस पेज का उद्देश्य है.. ©Enjamamul Hasan कोई दूसरा बुरा था इसलिए हमने उससे बातें करना बंद कर दिया, चलो ठीक है मान लिया.. लेकिन एक सवाल है हम खुदी से उन विषयों पर खुलकर, पूरी निष्पक
theABHAYSINGH_BIPIN
हांजी मिया ............. मिया बहुत दूर से आये लगते हो , अंदर बहुत शोर दबाये से रखे हो !! क्या बात है मिया यूँ ऐसे हँसते हो, अंदर बहुत दर्द छुपाये से लगते हो !! कैसे खाये हो ये दिल पे ऐसी चोटें, बहुत कम ही छुपाये से लगते हो !! चेहरा कह रहा है बेचैनी कितनी है आँखे कह रही है ब्यथा मन की तेरे , कई रातों से नींदें गवाएं से लगते हो !! बहा दिया है क्या तुमने दर्द दिल का , आंखों को क्यों ऐसे सुजाये फिरते हो !! कैसी थी अदाएँ हमें भी बताओ ज़रा, पता तो चले क्या दर्द दबाये बैठे हो !! कितना टूटे हो जो मैखाने में मुझे यूँ मीले , होठों पे नाम, हाथो में जाम लिए बैठे हो !! कितना हसिन होगी वो यही सोचता हूँ मैं , जो दर्दे दिल को ऐसे दवाएं से बैठें हो !! फिक्र क्या है जब मैखाने तक आ ही गये , हर दर्द का मर्ज तो हाथ मे लिए बैठे हो !! टूटे दिल का किस्सा यूँ ना बातओ मिया , सिगरेट है नही तो बीड़ी ही जलाओ मिया !! ज़रा सुना किस्सा चोट अदाओं से खाने का , ज़रा सब विवरण में मुझको सुनाओ मिया !! ज़रा इस दिल को सबक मीले लालायित है, इश्क में बुरी तरह मात खाये हो मिया !! ©ABHAY SINGH Bipin हांजी मिया बहुत दूर से आये लगते हो अंदर बहुत शोर दबाये से रखे हो क्या बात है मिया यूँ ऐसे हँसते हो अंदर बहुत दर्द छुपाये से लगते हो कैसे ख
Priyanka Rathod
Dulhan Read in caption आज मैं खुश हूँ या दुखी ये ही सोच रही हूँ । आज मुझे दुल्हन के रुप मे सजाया जायेगा। आज मेरे हाथो की मेहंदी का रंग और भी खिल रहा है। आज मैं मेर
Writer1
भारतीय परंपरा *********** अनुशीर्षक में पढ़ें भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म
Anil Ray
नज़र की नज़रों का नज़राना था नज़ारे बदल गये 'वों नज़र' कातिल निकली इन आँखों के इशारे बदल गये.. नज़र ही नज़र में हसीं आशियाना बन गया दिल मेरा पाक उस नज़र से मोहब्बत है जिंदगी में सहारे बदल गये.. ©Anil Ray 👁️👁️👁️✨वों नज़र - क्वालिटी✨👁️👁️👁️ एक रोज लड़की वाले आए और रिश्ते की बात करने लगे। "भाई साहब! फोटो तो बहुत अच्छी लगी। अगर लड़का भी देख लेते
Roopanjali singh parmar
मुस्कुराहट की वज़ह बनें (कृप्या अनुशीर्षक पढ़ें) #रूपकीबातें ##roopanjalisingh लोग मुस्कुराते हुए अच्छे लगते हैं ना?? हमें भी मुस्कुराहट पसन्द है.. बहुत पसंद। अच्छा कुछ लोग तो ज़्यादा ख़ुश होने पर रोने लगते हैं। उन कुछ मे
Hemant Rai
मोहल्ले वाला प्यार......उफ्फ! पूरे मोहल्ले में था ये शोर की की तुम मेरी हो और मैं तुम्हारा, तीज़- त्यौहारों, संक्रांति के दिन वो आसमान में पतंगों के और इधर हमारी आंखों के पैंचो का लड़ना और इन सब के साथ, गलियों में जमघट लगाए, खुसफुसाहट करती हुई वे औरते, वैसे तो घर में मुझे निहायत ही आलसी समझा जाता था। पर तुम्हारा मोहल्ले में आने के बाद, मां जब भी दुकान से कुछ मंगाती थी तो मैं ही हर बार सामान लेने के लिए सबसे पहले फ़रार हो लिया करता था, अब मेरे घर का हर एक प्राणी अचंभे में था कि,ये आलसी कब से इतना मेहनती हो गया...दुकान के चार चक्कर लगाने के पीछे तुम थी, की अगर इस बारी तुम्हारा एक भी दीदार हो जाए तो मानो दिन सा बन जाएगा। और तुम्हारा भी यूं कभी गीले कपड़ों को रस्सी पर डाल सुखाना, कभी सर पर चुन्नी औढ़ कर धूप से बचते हुए, आलू के पापड़ को धूप दिखाना, तो कभी छत पर बने उस छोटे से मंदिर में धूप जलाना, इन सब के दौरान छुपते-छुपाते हुए लबो पे मंद-मंद मुस्कुराहट लाते हुए तुम्हारा मुझे और मेरा तुम्हे देखने की इस लुक्का छि्पपी में तुम्हारी मां का अचानक से तुम्हे आवाज़ देकर बुलाना और सर पर चुन्नी डालकर अंतर्मन में मुस्कुराहट और बाहरी चेहरे पर डर लिए हुए तुम्हारा यूं भाग जाना...उफ्फ! रह रहकर याद आता है मुझे, चारो ओर मोहल्ले में था ये शोर की की तुम मेरी हो और मैं यहां तक जानते थे तुम्हारी वो सहेलियां, मेरे दोस्त, तुम्हारी घर की वो बिल्ली, वो गली के आवारा कुत्ते, जो अक्सर मुझ पर बस भौंका करते थे हां, काटते नहीं थे। तुम्हारे घर की खिड़कियों की वो जालिया, दरवाजे़, छज्जे की वो ग्रिल, वो गहरी रात की शांत चुप्पी, वो दिन का कनो में चुभता वो शौर...! पर अब ये जो तुमने मुझे अब देखना भी बंद कर दिया है,क्या मेरी सूरत बद्दतर हो गई है या तुम्हारी नज़रें कमजो़र। और हां...अब तीज़ त्योहारों पर पतंगे तो उड़ती हैं पैंचे भी लड़ते हैं, पर कब कट जाते हैं! ~हेमंत राय। #MeraShehar मोहल्ले वाला प्यार......उफ्फ! पूरे मोहल्ले में था ये शोर की की तुम मेरी हो और मैं तुम्हारा, तीज़- त्यौहारों, संक्रांति के दिन