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Rahul Khan
मानकर सच मेरे हर झूठ को बहकता था कोई, न पहुंचता था स्कूल जिस दिन तड़पता था कोई, आंखे नम कर जाते हैं जब भी याद आ जाएं वो पल, जब बैठा बैठा कोने वाली सीट पर मुस्कुराता था कोई। कोेन वाली सीट
Parasram Arora
खुदा को मैंने कभी भी ह्रदय की हॉट सीट पर नहीं बिठाया है ...क्यों कि उससे भी कई अज़ीज़ चीजे है इस सहजीवी जगत में ......मसलन सूरज चाँद. तारे और ये नीला नभ है ......या फिर समुन्द्र का नीला शीतल. जल है जो अनंत तक फैला है ......फिर ये मखमली रेत है जो उच्छृंखल लहरों का क्रीड़ास्थल है ....इनसे प्रे फिर सौहर्द्पूर्ण महकते हुए रिश्ते और माधुर्य मिश्रित मित्रताए है ...फिर एक प्रेम आवास है जिसमे फ़रिश्तो का वास है ........इसके अलावा जीवन में कल्पनाये स्वप्न और और अमर. ख्वाहिशो का मेरे पास सम्राज्य है ........ हॉट सीट पर खुदा
Prashant Mishra
मुद्दतों बाद दिल में इश्क़ वाली भावना भड़की मेरी बाइक की पिछली सीट पर बैठी जो इक लड़की उसके दरवाज़े-दिल पे दस्तकें देता रहा मैं पर उसने खोली नहीं उम्मीद-ए-वफ़ा की कोई खिड़की --प्रशान्त मिश्रा मेरी बाइक की पिछली सीट पे
Vaishali Vaishnav
कार में सब बैठे थे... सिर्फ सीट बेल्ट को मेरी फिक्र थी! सीट बेल्ट को मेरी फिक्र थी#loveaajkl
Sanjay Yadav
मुखिया भऽ गेल महिला सीट , कोना केँ हेतइ एईबेर जीत , नामे लेल अछी पढ़ल लिखल, गाबे य सब गलै गीत । कोना के हेते । मुखिया भ गेल जाऊ अखन विद्यालय रहितइ , दिया पूता त कुछ पैढ़ लिखतइ। माता पिताक नाम योऊ भैया , दोसरो गाम में रोषण करितइ। नइ कनिको अपने पढ़लोअ आ नै देखै छी बच्चाक दिश । कोना के हेतै । मूखिया भऽ गेल । #Sanjay मुखिया भ गेल महिला सीट #Stars&Me
Ek villain
एक दिन हमें फेसबुक पर एक साहित्यकार परीक्षा की सूचना पड़ी विषय बहुत ही अलग था इसलिए उस कार्यक्रम में जाने की इच्छा इतनी बलवती हुई कि हम ठीक समय से कुछ पहले ही जा पहुंचे कार्यक्रम शाम 4:00 बजे 6:00 बजे तक का वक्त के तौर पर आने वाले लोगों की सूची में बड़े-बड़े साहित्यकारों के नाम से जिनको हम पत्रिकाओं और समाचार पत्रों के माध्यम से ही जानते थे हमने लगा कि सही समय पर दिन के उजाले में कार्यक्रम में भागीदारी हो जाएगी और साहित्य के बारे में कुछ नया सीखने को भी मिल मिल सकेगा हम कार्यक्रम में समय से पूर्व पहुंच गए थे इसलिए आगे की सीट मिल गई कार्यक्रम शुरू होने के 1 घंटे बाद तक यानी 5:00 बजे तक तो लोग चाय नाश्ता ही करते रहे 4:00 बजे शुरू होने वाले कार्यक्रम आखिरकार 5:30 पर शुरू हुआ फिर एक एक कर कर सभी साहित्यकारों को उनकी लंबी परिचय के साथ मंच पर बिठाया ©Ek villain #साहित्य में विषय से भटकने की सीट