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raju hirave

पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिकेचे आयुक्त मा. श्री. श्रावण हर्डीकर साहेब यांचा सत्कार करताना झुंज दिव्यांग संस्थेची सर्व टीम #nojotophoto

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 पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिकेचे आयुक्त मा. श्री. श्रावण हर्डीकर साहेब यांचा सत्कार करताना झुंज दिव्यांग संस्थेची सर्व टीम

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झुंज दिव्यांग संस्थेच्या पाठीशी उभे असणारे महान व्यक्ती आमचे लाडके काका मा. श्री. रमणलाल बाफना यांचा सत्कार करताना. झुंज दिव्यांग संस्थेची स #nojotophoto

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 झुंज दिव्यांग संस्थेच्या पाठीशी उभे असणारे महान व्यक्ती आमचे लाडके काका मा. श्री. रमणलाल बाफना यांचा सत्कार करताना. झुंज दिव्यांग संस्थेची स

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*सत्कार*
तुझे हवश है जिस्म का 
तुझे कोई प्यार नही है
उस आत्मा को पूज के देख
उससे बड़ा उस देवी का सत्कार नही है

©DK चौरसिया~★ #सत्कार

वेदों की दिशा

।। ॐ ।।
त्वमग्ने द्युभिस्त्वमाशुशुक्षणिस्त्वमद्भ्यस्त्वमश्मनस्परि।
त्वं वनेभ्यस्त्वमोषधीभ्यस्त्वं नृणां नृपते जायसे शुचिः॥

पद पाठ

त्वम्। अ॒ग्ने॒। द्युऽभिः॑। त्वम्। आ॒शु॒शु॒क्षणिः॑। त्वम्। अ॒त्ऽभ्यः। त्वम्। अश्म॑नः। परि॑। त्वम्। वने॑भ्यः। त्वम्। ओष॑धीभ्यः। त्वम्। नृ॒णाम्। नृ॒ऽप॒ते॒। जा॒य॒से॒। शुचिः॑॥

हे प्रकाश और ज्ञान के स्वामी ! आप विद्या में प्रकाशित हैं। आप जलों से पोषण करने वाले बादल के समान हैं। आप वनों में चमकते चंद्रमा के समान शुद्ध हैं। आप एक वैद्य के समान हैं, जो औषधियों द्वारा लोगों को रोग रहित करता है। आप सम्मान करने के योग्य है।

O lord of light and knowledge!  You are illuminated in learning. You are like a cloud nourishing with water. You are as pure as the shining moon in the forests.  You are like a Vaidya who makes people free from diseases by medicines. You are worthy to be respected.  

( ऋग्वेद २-१-१ ) #ऋग्वेद #वेद #सत्कार

कवि मुकेश मोदी

करेगा जग सत्कार #जानकारी

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वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

अधा॒ हि वि॒क्ष्वीड्योऽसि॑ प्रि॒यो नो॒ अति॑थिः। 
र॒ण्वः पु॒री॑व॒ जूर्यः॑ सू॒नुर्न त्र॑य॒याय्यः॑ ॥

पद पाठ
अध॑। हि। वि॒क्षु। ईड्यः॑। असि॑। प्रि॒यः। नः॒। अति॑थिः। र॒ण्वः। पु॒रिऽइ॑व। जूर्यः॑। सू॒नुः। न। त्र॒य॒याय्यः॑ ॥

जैसे अतिथिजन प्रजाजनों से सत्कार करने योग्य होते और जैसे यहाँ माता और पिता से सन्तान पालन करने योग्य होते हैं, वैसे ही धार्म्मिक विद्वान् जन सत्कार करने योग्य होते हैं ॥

Just as the guests are able to be hospitable to the subjects and like the children of the mother and father are able to be reared here, similarly the religious scholars are able to be hospitable.

( ऋग्वेद ६.२.७ ) #ऋग्वेद #वेद #सत्कार #ज्ञानी
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