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SAHIL WARSI (BATTAMIJ £ONDA)
जने हशीन थी और फूल चुन के लाती थी मै शेर कहता था वो दास्ता सुनाती थी मुनाफीको को मेरा नाम जहर लगता था वो जानबुझ के गुस्सा उन्हे दिलाती थी साहिल से दूर रहो लोग उसे कहते थे वो मेरा सच है बहोत चीख कर बताती थी साहिल ये लोग तुम्हे जानते नही है अभी गले लगा के मेरा हौसला बढ़ाती थी उसे किसी से मुहब्बत थी और वो मै नही था ये बात मुझसे ज्यादा उसे रुलाती थी मै उसके बाद कभी ठीक से नही जागा वो मुझको ख्वाब नही नींद से जगाती थी हिंदी लहू था रगो मे बदन सुनहरा था वो मुस्कुराती नही थी दिये जलाती थी ✍BATTAMIJ£ONDA मेरी नई ग़ज़ल
GULAM MOHMAD
सोए हुए जज्बों को जगाना ही नहीं था ऐ दिल वो मोहब्बत का ज़माना ही नहीं था महके थे चराग़ और दहक उट्ठी थीं कलियाँ गो सब को ख़बर थी उसे आना ही नहीं था दीवारा पे वादों की अमरबेल चढ़ा दी रूख़्सत के लिए और बहाना ही नहीं था उड़ती हुई चिंगारियाँ सोने नहीं देतीं रूठे हुए इस ख़त को जलाना ही नहीं था नींदें भी नजर बंद हैं ताबीर भी क़ैदी ज़िंदाँ में कोई ख़्वाब सुनाना ही नहीं था पानी तो है कम नक़्ल-ए-मकानी है ज़्यादा ये शहर सराबों में बसाना ही नहीं था ©GULAM MOHMAD # हिंदी ग़ज़ल
Kalicharan Saxena 'Dhool'
क्या है उसकी अजब कहानी पता नहीं है कब तक अपना दाना पानी पता नहीं है ***************************** रावण और सिकंदर कितने चले गए हैं हो गई सबकी खत्म कहानी पता नहीं है ****************************** जल्लादों, कातिलों और शैतानों का भी क्यों होता चेहरा इंसानी पता नहीं है ****************************** अब इंसानों की बस्ती में डर लगता है कब हो जाएगी कुर्बानी पता नहीं है ****************************** हमको सब दिखते हैं अब भगवान यहां कब तक चलेगी ये शैतानी पता नहीं है ****************************** हर कूचें, गली, मोहल्ले में हमने देखा है कहां गई वो प्रीत पुरानी पता नहीं है ******************************* कितना अत्याचार बढ़ गया दुनिया में अब कब आओगी मातु भवानी पता नहीं है ******************************* ''धूल'' धूल को धूल समझ कर बैठा है हम भी हैं पक्के सिर दानी पता नहीं है ©Kalicharan Saxena 'Dhool' ग़ज़ल नई रचना #Sunrise
HANAMANT YADAV (कवीराज)
गजल रोता ❤️ दिल... थम जा ए दिल तू मेरे, क्यू रो रहा है। कोई तो है जो सांसे, तुझपे लुटा जा रहा है।... चाहता है तुझको वो, जां से भी ज्यादा। खुद से भी ज्यादा तुझमें, जीए जा रहा है।... है ये उसकी फितरत वो, मर ही मिटेगा। तु है के उसको ऐसे , रुला जा रहा है।... तेरे सिवा कोई जर्रा , उसमे नहीं है। तो क्यू तू वजूद उसका, मिटा जा रहा है।... कही ना हो ऐसा के, तू भी रोये इकदिन। वो भी है पागल जो, दुनिया से मुडा जा रहा है।... कवीराज ग़ज़ल #hanamant #हिंदी
Lalit Rang
एक नई ग़ज़ल आपकेएक नई ग़ज़ल आपके हुजूर ©Lalit Rang एक नई ग़ज़ल आपके हुज़ूर
Prem Narayan Shrivastava
ये हमारी भी कैसी मजबूरी थी तुमसे शिकवा कर नहीं सकते ज़ख्म भी दिए तूने हजार मगर कह नहीं सकते थे ये तुम्हारी गलतफहमियां है बेवफा की राह हमें मंज़ूर है मगर शायद मालूम नहीं खिलाफत कर नहीं सकते थे हम पे जो गुजरी है खुदा करे तुझ पे न गुज़रे कभी दिल भी तोड़ दोगे तो बद्दुआ कत्तई हम दे नहीं सकते थे वो दिन कितने मनहूस थे जब मुसीबत की रातें गुजारी थी तेरा रुतबा परख कर हम अर्ज़ कर नहीं सकते थे रात था मै कश्मश में इस कदर की तन्हा के आलम में अहल दिल मुश्किल में है क्या करूं कह नहीं सकते थे 😍मेरी इक और नायाब ग़ज़ल दर्द ए ज़िन्दगी😍 ©Prem Narayan Shrivastava मेरी इक नई ग़ज़ल #holdmyhand
Renu singh
मुझसे पहले क्या हुआ मेरे जाने के बाद क्या होगा इक ददॅ होगा या फिर इक फसाना होगा यह वो लिखे हुए फैसले है अगर जिन्दगी मिल भी जाएं तो साथ निभाना होगा थोड़ा ददॅ अब भी बाकी है इन राहो मे मगर मुश्किल कदमो को लिए फिर भी सफर को जाना होगा । ©Renu singh #zindagikerang #नोजोटो #हिंदी #नई