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Parasram Arora
अतीत की दैदीप्यमान गाथा क़े किरदार थे राम कृष्ण मोहम्मद और इशू जिन्होंने अपने अपने युगों को संभाला था तराशा था ज्ञान और प्रेम का संदेश देकर ये संदेश दीया था क़ि जीवन का खजाना अकूत है इसकी गहराई अथाह है l अभी तुम स्वर्ग मे होने का तजुर्बा . यहां जीतेजी ले लो क्या पता मरने क़े बाद कोई स्वर्ग हो न हो पर कम से कम स्वर्ग मे रहने की पात्रता तो तुममें आ ही जायेगी # पात्रता.......
Parasram Arora
सूखी हुई घास को नमी देने वाली उस ओस क़ी नन्ही बूँद ने कभी धन्यता पाने क़ी अपेक्षा नही रखी क्योंकि वो जानती है कि अगले कुछ क्षणों मे सूरज अपनी प्रखर किरणों को भेजनें वाला हैऔर उस घास को फिर सुखा देगा उस ओस क़ी नन्ही बूँद क़ी नमी को पीकर तों वह किस मुँह से धन्यवाद पाने क़ीअपनी पात्रता सिद्ध करें.. क्योंकि अल्प समय के लिये सूखी घास को नमी देकर उसने कोई बड़ा उपकार का काम नही किया है ©Parasram Arora पात्रता
Ek villain
धार्मिक कार्यक्रमों में पूजा शुरू करने से पहले कलश स्थापना की जाती है कलसा मिट्टी से लेकर धातु तक होता है कलश स्थापित करते समय प्रथम दृष्टि देख लिया जाता है कि कल शानदार से टूटा या गंदा तो नहीं है कल से यदि चटका हुआ या क्षेत्र युक्त होता तो उसमें रखा हुआ जल इस्तेमा रहकर बह जाएगा यदि अंदर का हिस्सा गंदा होगा तो कल से मैं जो जल भर जाएगा वह भी गंदा होकर रहेगा इससे अपेक्षित प्रयोजन सिद्ध नहीं हो सकेगा मनुष्य को भी पंच भौतिक तत्वों से निर्मित सरूपी को पवित्र और स्वच्छ रखना चाहिए जिस प्रकार टूटे-फूटे कल से मैं नहीं रह सकता है वैसे ही मनुष्य के शरीर यदि मानसिक विकारों के चलते स्वच्छ नहीं है तो प्राकृतिक से निरंतर निकलती कृपा से मैं पूरी तरह वंचित हो जाएगा सूर्य चंद्रमा आकाश तारों से तारों से निरंतर उर्जा निकल रही है इसलिए प्राकृतिक को मां और देवी की संज्ञा दी गई है जिस प्रकार मां संतान को अपनी दृष्टि चिंतन और परिश्रम से निरंतर शक्तिमान बनाती है वही काम पूरा कर दें कि लोग मां भी करती रहती है निरंतर प्रगति होती प्रकृति कृपा आशीर्वाद के लिए सुपात्र होना आवश्यक है सोनिया राजद की कलश क्यों ना हो यदि वह वर्षा ऋतु में पलट कर रखा जाए तो गाना बर्बरता भी बावजूद भरा नहीं सकेगा ©Ek villain #सो पात्रता #selflove
Ek villain
वरदान उसी को प्राप्त होता है जो अपनी पात्रता उसके लायक सिद्ध कर लेता है पात्रता के अभाव में मार गया चाहा आधारित रहती है ईश्वरीय वरदान सूर्य का प्रकाश वृक्ष की छाया सावन की पुकार की फुहार भाटी सतत हर पल बरसती रहती है पर जिनकी चाहा प्रबल योग्यता विकास है विश्वास पूर्ण है संपूर्ण पूर्ण की भावना ईश्वर के पद पर आदमी बनाने की है उनकी शत प्रतिशत लाभ प्राप्त होने में तनक भी संदेश नहीं है ईश्वर किसी के साथ पक्षपात नहीं करते के लिए सृष्टि में सभी समान है आप जितना चाहे उतनी आवश्यकता पूर्ण कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको आलस्य त्यागकर पूर्ण परिश्रम करना होगा सृष्टि में जो भी प्राणी ईश्वर ने ही रचा है इसलिए उन्हें अपनी कृति के प्रति अगाध स्नेह सभी प्राणियों के प्रति अपने मातृत्व की भावना करुणा दया की दृष्टि निश्चित रूप से रहती है ईश्वर में अपनी संतान के जीवन यापन के लिए सृष्टि में सभी सुविधाएं प्रदान की है उन सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए उचित प्रयास करना मनुष्य का दायित्व बनता है इसके लिए पात्रता का संवर्धन मानव जीवन की भावी जिम्मेदारी है पात्रता के अभाव में व्यक्ति आयोग सिद्ध होता वहीं अगर पात्र गंदा हो तो अमृत भी विश बन जाता है अंत में अपनी सोच को सकारात्मक बनाना पात्रता की पहली सीढ़ी है लोभ मोह अहंकार मत गिरना और द्वेष की भावना में आसक्त व्यक्ति को पात्र होता है सत्य पर सत्ता के लिए मनुष्य के लिए जब तक संख्या पूजा सत्कर्म धर्म चिंतन अत्यंत जरूरी है इसमें अंतरात्मा में देशों का उदय होता है मनुष्य तत्व का प्रकाश पाकर भटगांव से बच जाता है दांतों के प्रकाश में उन्हें उचित अनुचित गलत सही का निर्णय लेने में सक्षम होता है मनुष्य के सदस्य पूर्ण अर्जन करने की मानसिकता बनी रहती है क्योंकि पूर्ण के आधार पर ही जीवन में सुख शांति मिलती है ©Ek villain # जीवन में पात्रता #Stars
Umang Parmar
रंगमंच के पात्र तो जिंदगी के छात्र है, जो जिंदगी सिखाती है, वो रंगमंच दिखाती है।। #रंगमंच #पात्र
Archana pandey
जो जिस भाँति काठ चुनै पाए उतनहि दृढ़ नाव .. जस की जैसी पात्रता तस का तसही चुनाव.... अर्चना'अनुपमक्रान्ति' (जिस क्वालिटी की लकड़ी चुनोगे उतनी मजबूत नाव पाओगे(भवसागर संसार सागर से उबरने) ठीक उसी प्रकार व्यक्ति अपनी पात्रता जितना चुनाव करता है..मित्र जीवन साथी और प्रारब्ध हमारे इसी चुनाव का परिणाम हैं) ©Archana pandey जैंसी पात्रता वैसा चुनाव #Path
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी घटित हो गया,दुनिया मे उसे फिल्माया जाता है दुखती रग समाजो की छेड़ बुराइयों को दिखाया जाता है हर घटना का चित्रण कर समाज और देश की व्यवस्थाओ को पात्रो के माध्यम से झकझोर जाता है दर्पण की तरह असली चेहरा उजागर कर आईना व्यवस्थाओं को दिखाया जाता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #theatreday पात्रो के माध्यम से,व्यवस्थाओं को झकझोरा जाता है #nojotohindi
Rakesh Kumar Dogra
अभी कुछ दिन पहले मै किसी शादी मे गया था। रात वहॉ एक लेखक दोस्त के यहॉ रूका । रात काफी देर तक असहनशीलता पर वाद विवाद हुआ। सोने के लिए उसने रिजाई देते हुए कहा दोस्त इस पलग मे थोडे खटमल हैं किसी तरह रात गुजार लेना। खैर रात काटी खुजलाते-२। सुबह उठकर चलने लगा तो दोस्त बोला उस पलगं मे खटमल नही थे। मजाक किया था। पर लेखक हूं न । Status of Mind किस तरह एक दी हुई परिस्थिती को बदल जाता है इससे अच्छा उदाहरण मै नही दे सकता। जैसे कोई भी बुखार आजकल डेंगू हो सकता है। तो पुरूस्कार लौटाना कौन सी आफत है। मैं पात्र हूं। पात्र में क्या है वो पात्र का नहीं है। सूत्रधार का है। Amazing Amazon