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Ashoka Bishnoi Aks
मजहब के नाम पर लङना! छोङो यह रोष, रहने दो। मानवता मजहब हो अपना, यही उद्घोष रहने दो। मजहब को ढाल बनाकर के उसी का कत्ल करते हो, नफरत की आग नहीं अच्छी, ज़रा संतोष रहने दो।। #मानवता #मजहब #शायरी
Priya Anand jha
टीवी चालू करते ही दिमाग में सबसे पहला प्रश्न दौड जाता है कि कितने मरे समझ नही आ २हा यहा प्रश्न गणित का है या मानवता का। मानवता पर प्रश्न I
Shivraj Anand
प्यारे तुम मुझे भी अपना लो । गुमराह हूं कोई राह बता दो। युं ना छोडो एकाकी अभिमन्यु सा रण पे। मुझे भी साथले चलो मानवताकी डगर पे।। वहां बडे सतवादी है। सत्य -अहिंसाकेपुजारी हैं।। वे रावण के अत्याचार को मिटा देते हैं। हो गर हाहाकार तो सिमटा देते है।। इस पथ मे कोई जंजीर नही जो बांधकर जकड सके। पथ मे कोई विध्न नही जो रोककर अ क ड सके।। है ऐ मानवता की डगर निराली। जीत ले जो प्रेम वही खिलाडी।। यहां मजहब न भेदभाव,सर्व धर्म समभाव से जिया ...है। वक्त आए तो हस के जहर पीया करते है।। फिर तो स्वर्ग यहीं है नर्क यहीं है। मानव मानव ही है सोच का फर्क है।। ओ प्यारे !इस राह से हम न हो किनारे ... न हताश हो न निराश हो। मन मे आश व विश्वास हो।। फिर आओ जग मे जीकर जीवन -ज्योत जला दे। सुख-शांति के नगर को स्वर्ग सा सजा दे।। आज भी राम है कण - कण मे भारत - भारती के जन जन को बता दे। ©Shivraj Anand मानवता के डगर पर
Shiv Narayan Saxena
13 अप्रैल 1919 बैसाखी पर जलियांवाला बाग बुझा न सकी भारत भू की आज़ादी की आग टूटा न हौंसला टूटी अकड़ ब्रिटिशर्स की आज 'शौक' मिटें न मानवता पर कभी ये बर्बर दाग. ©Shiv Narayan Saxena #JallianwalaBagh मानवता पर दाग . . . . .
Ankita Poetry
#IndiaFightsCorona मानवता पर कलंक। भोले भाले जीवों से क्यों ऐसा व्यवहार हुआ? गर्भवती उस हथिनी से क्या अपराध हुआ? बस यहीं की उसने ऐतबार किया इंसान की इंसानियत पर।भरोसा ना करती शायद उन असुरों की बदनीयत पर जिस गज के प्राण बचाने खुद ईश्वर भी दौड़ आए हैं, आज उसी गज ने जलपूरित सर मैं गर्भावस्था में प्राण गंवाए हैं। मूक जीवों के साथ सदा मानव ने अत्याचार किए,। शायद इसी कारण ही आज यूं सब मानव लाचार हुए। क्यूंकि भविष्य मानव जाती का अब महान विपत में दिख रहा है। ©Ankita Sharma Anki मानवता पर कलंक। #IndiaFightsCorona
Rohit Kahar
इस मोल भाव के जगत में मानवता कहा खो जाती हैं कैसे कोई अग्बा कर लेता है किसी की बेटी को सोचो कैसे खाते होंगे उसके घर वाले रोटी को वहीं बेटी अग्बा हुई जब हुई तार तार थी वहीं बेटी समाज की खातिर मानवता का अवतार थी अक्सर बो बेटियां ही अग्बा होती है जिन्हे समाज ने पहनाई बेड़ियां होती है क्यों न कुछ बेड़ियां समाज के लिए बना दे और बेटियों को उन बेड़ियों से आजाद कर दे। और बता दे समाज को (x2) वो कल भी लछंमी बाई थी और आज भी लछंमी बाई है ©Rohit Kahar मानवता और मानवता
Arun Kumar Banjar
तन-धन का गुमान, छोड़ते दे वो इंसान, आज तेरा है कल , किसी और का कहाएगा । भूल से भी जुड़ नहीं, मोह-माया छोड़ यहीं, वरना ये सारे पाप , तुमसे करवाएगा ।। लोभ द्वेष छल झूठ ,धन-दौलत की लूट, आपस में भाई -भाई को लड़वाएगा । मानवता ही धर्म एक ,बाकी धर्म को तू फेंक , एक ही में तुम्हें सारे ,धर्म मिल जाएगा ।। Arun Kumar 'Banjar' (Poet) ©Arun Kumar Banjar मानवता
usFAUJI
MOTIVATIONAL मानवता के लिए एक सीख जब एक वृक्ष को आधे तने से अलग कर दिया गया है फिर भी पड़ोसी वृक्ष के सहयोग से है जिंदा है इसी तरह हमारे जीवन में भी हम हमारे पड़ोसियों के लिए के बेहतर सहयोगी बनकर मानवता के लिए काम कर सकते हैं जय हिंद ©U S FAUJI #मानवता
Shiv Narayan Saxena
जीवन की व्यस्तताओं में हम अकसर इतने उलझ जाते हैं कि छोटी-छोटी किन्तु महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान ही नहीं देते. हमारा ऐसा बरताव जीवन मूल्यों को भारी पहुंचाने वाला होता है. हमारे जीवन से सुख छिन न जाये अत: इन्हें समझना तथा इनके प्रति सावधानी बरतना बेहद ज़रूरी है. ©Shiv Narayan Saxena मानवता.