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CM Chaitanyaa
सृजन करना किसी वस्तु का आसान बात नहीं, जैसे कोई स्त्री नौ मास तक रखती है गर्भ में, शिशु को ठीक वैसे ही एक कलाकार भी तो, अपने मस्तिष्क रूपी गर्भ में सहेज रखता है, उन सभी विचारों को जो ही जन्म देते हैं फिर, कला रूप में एक शिशु को करते हैं पालन, सींचते हैं उन्हें उतने प्रेम से एक माँ की तरह, जैसे भक्ति देख न सकी थी ज्ञान वैराग्य बूढ़े, उसी तरह कलाकार भी तो नहीं देख सकता, अपनी कला को जीर्ण-शीर्ण और माँगता है, अनश्वर भीख क्योंकि वो माँ नहीं देख सकती, उस शिशु को बलि चढ़ते हुए ! सृजन करना किसी वस्तु का आसान बात नहीं, जैसे कोई स्त्री नौ मास तक रखती है गर्भ में, शिशु को ठीक वैसे ही एक कलाकार भी तो, अपने मस्तिष्क रूप
vishnu prabhakar singh
जो आये मौन की गहनता से इंद्रियों पर नियंत्रण एवं दिशा लिए मेरे मौज हेतु। धैर्य की अनेकों प्रतिमाएँ धरा में क्षरण हो साधना के निरीह शिशु को जन्म दे दुर्गुणों को परिमार्जित करती होंगी न... #रजनी_और_आध्यात्मिक्ता
Ravi Sharma
Maa चोट लगी तो आह निकली है मुंह से मेरे मां निकली है। मां ने तो भगवान खिलाए। रामचंद्र नंदलाल खिलाएं।। बांध शिशु को कांधे अपने। रानी ने अंग्रेज़ हराए।। दुख अपने सब से है छुपाए। बच्चे हंसकर गले लगाए।। ©Ravi Sharma चोट लगी तो आह निकली है मुंह से मेरे मां निकली है। मां ने तो भगवान खिलाए। रामचंद्र नंदलाल खिलाएं।। बांध शिशु को कांधे अपने। रानी ने अंग्रेज
AB
" Ego and Emotions " // caption // कहते हैं हर इन्सान में ईश्वर वास करते हैं, अपनी ego के कारण न जाने कितनी बार हमने ईश्वर का दिल दुखाया है, और फिर रोना रो रहे सब उसी का
Anita Saini
इश्क़ के मुखोटे में जब, हवस के बीज उग जाएँगे ना, तब कच्चे पक्के भूर्ण कलंक, मानकर कचरे में फेंकें जाएँगे..! अंडरगारमेंट्स बिके थे बहुत तोफे में । इज्जत जो निलामे हुई थी। सच को लिखने की कोशिश की है ।यहाँ पर मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करने
Aditya Meena
जिस्मो का इश्क़ तो बस एक दिन के लिए ही आता हैं। सच्चा प्यार तो ज़िन्दगी भर साथ निभाता है अंडरगारमेंट्स बिके थे बहुत तोफे में । इज्जत जो निलामे हुई थी। सच को लिखने की कोशिश की है ।यहाँ पर मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करने
Shyam Bansal
बिल्ली जब माँ बनी ✍श्याम सुंदर बंसल माँ आखिर माँ होती है दिल के करिब हो या नज़रो के दुर जितना भी डाट लगाए फिर भी प्यार करती हैं भरपुर माँ आखिर माँ होती है जीवन के हर कठिन पल संग होती है| नवजात शिशु जो बिल्ली का था दिखने में कोमल प्यारा मासूम सा था उसकी एक चिख से उसकी माँ का दौड़ कर आना वह पल कितना हसिन सा था| उसका अपने जीब से सहलाना अपने से उसको दुर होने न देना दुसरो को सामने आता देग गुर्राना अपने नवजात शिशु को इतना स्नेह देना सिर्फ एक माँ ही कर सकती हैं क्योंकि माँ आखिर माँ होती है जीवन के हर कठिन पल संग होती है| ©Shyam Bansal बिल्ली जब माँ बनी ✍श्याम सुंदर बंसल माँ आखिर माँ होती है दिल के करिब हो या नज़रो के दुर जितना भी डाट लगाए फिर भी प्यार करती हैं
सोमेश त्रिवेदी
बीज नन्हा सा दबा जो उर्वरा धरती के अंदर, पाएगा सर्वस्व इक दिन फूले फलेगा पेड़ बनकर। अभी, जैसे मां के गर्भ में मिल रहा पर्याप्त पोषण, बढ़ रहा हो शिशु कोई पल रहा हो नया जीवन। फिर चीरकर उस गर्भ को ही बाहें समेटे आएगा, पीड़ा नहीं आनंद कह लो जो ममता लपेटे आएगा। अब तक जुड़ा है अब तक समाया, तब तक रहेगी मां की ममता मां की माया, जब तक रहेगा मूल भीतर। जो मिली किरणों की आभा जागृत हुआ चेतन हुआ, बाहें फैलाए जा रहा है वर्धित हुआ जाता निरंतर। जो बीज नन्हा सा दबा था उर्वरा धरती के अंदर, पौध वो अब बन चुका है फूले फलेगा पेड़ बनकर। #NojotoQuote नन्हा बीज/ सोमेश त्रिवेदी बीज नन्हा सा दबा जो उर्वरा धरती के अंदर, पाएगा सर्वस्व इक दिन फूले फलेगा पेड़ बनकर। अभी, जैसे मां के गर्भ में
Insprational Qoute
गर्भवती माँ सम्पूर्ण व्यथा ************************ सहस्र-सौम्य-सुमधित वो माँ आन्तरिक तन में अंश पालती है, नित नित स्नेहस्पर्श से वो नवजात शिशु से सु -संवाद करती है, परम्-अनुनय-विनय की शाश्वत सी समग्रता की अनुभूति करती है, कष्ट-पीड़ा-दुःख सभी झेल कर वो स्वपोषण से विकसित करती है, अभद्र-कुरूप-अवांछनीय सम बेडौल देह को भी सहन करती है, कहरा उठे देख उसका पीड़ जब वह नवल हृदय को जन्मती है निर्मोह-निःपाप-निश्चल हृदय से शिशु को स्तनपान तक कराती है, रोज रोज अनुनय करती ईश्वर से उसकी बलाये वो खुद ले लेती है, ईश्वरीय कृति कृतज्ञता से सरोबार वो जगतजननी माँ कहलाती है, यह सभी रसों की सु रस अविरल धार सरित सरिता स्नेह बरसाती है। सहस्र-सौम्य-सुमधित वो माँ आन्तरिक तन में अंश पालती है, नित नित स्नेहस्पर्श से वो नवजात शिशु से सु -संवाद करती है, परम्-अनुनय-विनय की शाश्वत