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Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
DANVEER SINGH DUNIYA
love according to me is हम अपने शब्दों में सिर्फ मोहब्बत छोड़ जाते हैं। ©DANVEER SINGH DUNIYA शब्द सागर
DANVEER SINGH DUNIYA
क्या खता थी हमारी दूसरों को जिताने के लिए खुद को हारना पड़ता है। हार वहीं सकता है, जो दूसरों की फ़िक्र करे, जब फ़िक्र करे तो उसे नीचा मान लिया जाता है, लेकिन वह मेरी नजरों में महान होता है। ©DANVEER SINGH DUNIYA शब्द सागर #CTL
Sangeeta Patidar
तू मसरूफ़ अपनी दुनिया में, मेरे दिल की कहाँ ऐसी हस्ती है, मैं भी मसरूफ़ हूँ तुझमें, इतना क़रीब आ डूबी मेरी कश्ती है। दूर-दराज़ तक रिश्ता नहीं मेरा, ना किया है कोई क़रार हमने, तेरी दिल-दुनिया सागर जैसे,बूँद जैसी ही उसमें मेरी बस्ती है। लफ़्ज़-अल्फ़ाज़,एहसास-जज़्बात,मेरी तो बात ये सुनते नहीं, खर्च की है बेहिसाब ज़िन्दगी, फिर भी तन्हाई मेरी सस्ती है। खो दिया ज़माने की बिसात में कितना कुछ, बाकी रहा क्या? जवाब नहीं, फिर भी माँगू,कितनी ढीठ ये मेरी बुत-परस्ती है। सबकुछ लुटाकर भी आख़िरी तू ही रहेगी 'धुन' इस जहान में, जी-मर लूँ चाहे जितना भी, नसीब में लिखी मेरी शिकस्ती है। Rest Zone आज का शब्द - 'सागर' #rzmph #rzmph17 #restzone #सागर #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #poetry
baisa veenu rathore
मन कहता है लिखूं तुझे, शब्द इजाज़त मेरे देते नहीं। दरिया हो तो कैद कर लू,अथाह सागर काबू में आते नहीं। #बाईसा वीनू।#शब्द सागर
DANVEER SINGH DUNIYA
"देश का विकास और देश के भविष्य बच्चें ही होते हैं , उन्हें शिक्षा दिलाना हमारा परम कर्तव्य है।" ©DANVEER SINGH DUNIYA शब्द सागर शिक्षा सार
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
manoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
Mohini Maurya
मुस्कुराकर आंसुओं को छुपाता है हंसकर जिंदगी को गले से लगाता है इंसान वही होता है जो गम की सागर से खुशी के मोती ढूंढ लाता है गम का सागर