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विनोद मेहरा

हरियाणवी कविता

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Apka Dost Shayar Ravi

 #हरियाणवी #कविता

Mukesh Sharma Anmol Vardi Wala Kalamkar

हरियाणवी कविता रीत

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Sangeeta Safar

हरियाणवी कविता 'निस्ताई'

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जिंदगी का जादू

माँ पर कविता

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छाया से दूर हुआ तो 
आंचल का मूल्य मैं जाना 
 जब तपी ये दिल की धरती 
बादल का मूल्य मैं जाना 
 वो छाया वो बदली
बस एक जगह मिलती है 
सब मिलता दूर शहर में 
बस  मां ही नहीं मिलती है


 पावस रजनी में जुगनू
 भट्ट के जैसे जंगल में
 पूछे राम जी वोन से
 कैसे हैं सब महल में

वन में ना कोई दुख है
 पुण्य ज्योति जलती है 
 देव मुनि सब मिलते
बस मां ही नहीं मिलती है
@गौतम माँ पर कविता

Rajesh Bharti

माँ पर कविता

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Ravi pathak

#krishna_flute माँ पर कविता

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Ravi pathak

माँ पर सुन्दर कविता

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Adi_writes04

#RaysOfHope माँ पर कविता #poem

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आजकल खुद से परे हो
जाने कहाँ भटकते है
ऐसा लगता है कि जैसे
भीड़ मे हम खो गये हैं
जैसे अपने आप को ही
जगह जगह हम ढूंढते है ।

याद आता है वो आँगन
प्यार बसता था जहाँ पर
सामने छोटी सी बगिया
झूमना फूलों का हंसकर
राग भोपाली मे माँ का
परमेश को प्रातःजगाना ।

बिजलियां जब चमकती थी
या गरजती थीं घटाएँ
दौड़कर डरती सहमती
मा के आँचल मे सिमटती
उस स्पर्श की उष्मा मेरे
मन प्राण फौलादी बनाती।

ठोकरे लगने से जब भी
चोट खातीऔर तडपती
पीठ सहला कुछ न कहती
मौन संदेशा ये देती
डर न तू तूफा से लड जा
कदम चूमेगी सफलता।

जाने कहाँ जा रही थी
किन विचारों मे थी खोई
सामने बिजली सी चमकी
तू बडी है भाग्यशाली
माँग ले जो जी मे आए
आज दे दूँ जो तू माँगे।

आज फिर मै खो गई हूं
रुक गई थक हारकर हूँ।
बख्श दे मुझको तू फिर से
माँ के आँचल की वो साया
जिसके तले विश्राम करने
तू है जनमता बार बार । #RaysOfHope माँ पर कविता #Nojoto

Vikas DhaniMahu

हरियाणवी कविता.. विशवास और दौखा #LightVikasDhaniMahu

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विशवास और दौखा 


सोसलमिडिया तै आज होगा बुरा हाल 
एक दूसरे न मारण की चाले जा चाल
झूठी बात बणावण खातिर ढुढे जा मौका
विशवास हौया करता, उसम भी हौगा दौखा 


मेहनत मजदूरी ना करते, खाण लगे चोरी का
और कुछ करण न कोनी, काम करै जारी का 
चंद पैसों की खातिर आज, गला घोंट दे यारी का 
तेरा मेरा नाम नहीं, यो काम दुनिया सारी का 
आजकल के देख टेम न, मारअ मुंह प चौका 
विशवास हो करता, उसम भी होगा दौखा 



इतिहास के पन्नो पर देखो, सारी  लिखी पडी़ सै
एक दूसरे के विशवास पर, सारी दुनिया खडी़ सै
झूठ और सच्चाई की, हमेशा लडाई लड़ी सै
समय समय पर होता आया, ना  समय घड़ी सै
विशवास प जो खड़ा, ना रुका किसी के रोका 
विशवास होया करता, उसम भी होगा दौखा 


एक दुसरे प विशवास, आजकल कम होगा रै
अपने देश का विकास, इसलिए कम होगा रै
भाईचारा और परिवार , ज्यातै  कम होगा रै
मै की भावना का आज, सबम भ्रम होगा रै
विकास ढाणीमाहूं कैसा, आया हवा झौका 
विशवास होया करता, उसम भी होगा दौखा 


युवा कवि विकास ढाणीमाहूं
विकास ढाणीमाहूं..

©Vikas DhaniMahu हरियाणवी कविता.. विशवास और दौखा 

#LightVikasDhaniMahu
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