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जनमानस का परिष्कार

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👉 Janmansh Ka Parishkar
     जनमानस का परिष्कार


जिन्हें कुछ करना होता है वे घोर व्यस्तता के बीच भी अपने प्रिय प्रसंग के लिए कुछ कर गुजरने के लिए सहज ही अवसर प्राप्त कर लेते हैं। यहाँ तक कि दरिद्रता, रुग्णता, व्यस्तता से लेकर समस्याओं के जाल जंजाल तक के कुछ न कुछ करते रहने में बाधक नहीं बन सकते। ऐसे भावनाशीलों की कमी नहीं जो उलझनों और कठिनाइयों से निपटने की तरह ही अन्तरात्मा की, महाकाल की युग पुकार की-गरिमा स्वीकार करते हैं और उसे सर्वोपरि समस्या आवश्यकता मानते हैं। प्रयासों में प्रमुखता सदा उन्हें मिलती है जिन्हें अंतःकरण द्वारा महत्वपूर्ण माना जाता है। युग प्रकार यदि महत्वहीन समझी गई है तो सहज ही उसके लिए आजीवन फुरसत न मिलने की मनःस्थिति और परिस्थिति बनी रहेगी। श्रद्धा उमंगी भी तो हजार उपाय ऐसे निकल जावेंगे जिनके आधार पर निर्वाह की समस्याओं को हल करते रहने के साथ-साथ ही प्रस्तुत युग धर्म के आहृ के लिए भी इतना कुछ किया जा सकता है जिससे आत्म संतोष और लोक श्रद्धा को अभीष्ट मात्रा उपलब्धि होती रहे।

युग विकृतियों का एक ही कारण है जन मानस में आदर्शों के प्रति अनास्था का बढ़ जाना। इस सड़ी कीचड़ से ही असंख्यों कृमि कीटक उपजते हैं और समस्याओं तथा विभीषिकाओं के रूप में जन जन को संत्रस्त करते हैं। उज्ज्वल भविष्य की संरचना का एक ही उपाय है-जन मानस का परिष्कार। चिन्तन में उत्कृष्टता का समावेश किया जा सके, दृष्टिकोण में आदर्शवादिता को समावेश किया जा सके, दृष्टिकोण में आदर्शवादिता को स्थान मिल सके तो लोक प्रवाह में सृजनात्मक सत्प्रवृत्तियों का बाहुल्य दीखेगा। ऐसी दशा में युग संकट के कुहासे को दूर होते देर न लगेगी। समस्या दार्शनिक है। आर्थिक, राजनैतिक या सामाजिक नहीं। जन मानस को परिष्कृत किया जा सके तो प्रस्तुत विभीषिकाओं का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा। उनसे लड़ने की लम्बी चौड़ी तैयारी करने की आवश्यकता ही न रहेगी। 

मनुष्य को ध्वंस के विरत करने के-सुजन में से लागू होने के लिए सहन किया जा सके तो बड़े पैमाने पर जो खर्चीली योजनाएं बन रहीं है। उनमें से एक भी आवश्यकता न पड़ेगी। जन के बूँद बूँद प्रयासों से इतना कुछ अनायास ही होने लगेगा जिस पर सैकड़ों पंच वर्षीय सृजन योजनाओं को निछावर किया जा सकेगा। इसके विपरीत जन सहयोग के अभाव में बड़ी से बड़ी खर्चीली योजनाएं अपंग बनकर रह जाती है। हमें पत्तों पर भटकने के स्थान पर जड़ सींचने का प्रयत्न करना चाहिए। जन मानस का परिष्कार ही सामयिक समस्याओं का एक मात्र हल है। उज्ज्वल भविष्य की संरचना का लक्ष्य इस एक ही राज मार्ग पर चलते हुए निश्चित रूप से पूर्ण हो सकता है। ज्ञान यज्ञ का युग अनुष्ठान इसी निमित्त चल रहा हैं। विचार क्रान्ति की लाल मशाल का प्रज्वलन इसी विश्वास के साथ हुआ है कि जन-जन के मन-मन में उत्कृष्टता की आस्थाओं का आलोक उत्पन्न किया जा सके।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति- फरवरी १९७९ जनमानस का परिष्कार

Ek villain

#जनमानस को प्रभावित करती फिल्म #LostInSky #Society

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भारतीय संस्कृति ने यहां के लोग में वासुदेव कुटुम बंधन के ज्ञान का ऐसा संचार किया है कि हमारे नसों में खून बंद करने लगा प्राकृतिक संस्कृत तौर पर हमारा परिवेश आ जा रहा है कि हम जीव मात्र से प्रेम करते हैं हम अपने प्राकृतिक स्वभाव के अनुरूप सिर्फ प्रेम ही कर सकते हैं हमारे लिए प्रत्येक जीव कुटुंब हमारे ग्रंथों में हमारे प्रेम और प्रार्थना का ज्ञान दिया है सब में मैं हूं और सब मौज में है श्री कृष्ण मंत्री हमारी छाती रही है 12वीं शताब्दी से इसमें बड़ा बदलाव आना शुरू हुआ है जब संस्कृत से बाहर क्यों नहीं बल्कि बिन संस्कृति के लोग भारत आना शुरू हुए थे जब करीब 80000 साल पहले अमरीका से निकले थे तो वह करते हुए आगे बढ़े सफलता में सबसे बेहतर दुनिया में सिर्फ थोड़ा और विस्तार पाया सच होता है आ रही है कि भारतीय जनमानस में स्थापित होती है पर तैयार होती है

©Ek villain #जनमानस को प्रभावित करती फिल्म

#LostInSky

Praveen Jain "पल्लव"

#India हाहाकार करके जनमानस सिसकता है #nojotohindi #कविता

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feeling

इस शहर में हर शख्स 
अजनबी सा क्यों है,

जिस से मुझे मतलब है वो
मतलबी सा क्यों है ?
@copy #फीling_खुद_की 
#सरकारें 
#जनमानस
#flood #बिहार #असम

Ek villain

#ValentineDay रामचरितमानस भारत के जनमानस का प्राण है #Society

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वह हर महा वर्ग को साथ लेकर चलते हैं मानस का मर्म अनुभूत करने का विषय इसकी गलती व्याख्या से आस्था की चोट पहुंचाना स्वार्ता अनुचित है जिसमें मानस के मर्म को समझ लिया वह अपने जीवन में आदर्शवाद को स्थापित करने की सामर्थ्य रखता है रामचरितमानस सर्वदा नाम अन्य ग्रंथ है

©Ek villain #ValentineDay रामचरितमानस भारत के जनमानस का प्राण है

Ek villain

#जनमानस के चिंतन का विषय बने प्राकृतिक संरक्षण #EarthDay #Society

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मानव समाज के साथ-साथ संपूर्ण चेतना चेतना जगत जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान से पैदा समस्या के बीच अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है भविष्य में इन समस्याओं की जनता बढ़ने की आशंका है जलवायु संबंधी चरण घटना जैसे तापमान एवं समुद्र जल स्तर में वृद्धि मरुस्थल का बढ़ता दायरा हिंदुओं का पिघलना बेमौसम वर्षा बाढ़ और सूखे के साथ जलवायु के मिट्टी का गंभीर इस तरह तक प्रदूषण आदि बासौदा के स्वास्थ्य को कैंसर की तरह निकल रहे हैं इनके प्राकृतिक विरोधी को ही विकास का त्याग की भावना से ग्रस्त हो गया है भवंतु सुखी और विकास केंद्र भारतीय आदर्श होते जा रहे हैं

©Ek villain #जनमानस के चिंतन का विषय बने प्राकृतिक संरक्षण

#EarthDay
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