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Diva
ganwar pasand hai mujhe ज्यादा पढ़ा लिखा तो नही पर किसी को दुख देकर खुश नही रहता हूँ जी, #NojotoQuote #गंवार
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
दुकानदार ने बड़ी बेशर्मी से मुझे दुत्कारा है गंवार कहकर धक्के दे सीढ़ियों से उतारा है किसान क्या हूँ?कमीना कहकर पुकारा है फटे कपड़ों को देख मुझे कहा तू बेचारा है पास खड़े किसान-पुत्र साखी ने दिया सहारा है उसने महाजन को बड़ा जोर से फटकारा है हम लोगों के ही पैसों पे तुम मौज करते हो ब्याज पे ब्याज लगा मूल दस गुना करते हो हमारे ही पैसों का ये बंगला-कोठी तुम्हारा है गर हमसे इतनी घिन है,रोटी खाना छोड़ दो, ये अनाज हमारे ही हाथों का मैल सारा है तुम अब इतना इतराना छोड़ दो महाजन, भारत में अब पढ़े लिखे हुए है,किसान जन, खेती करना रह गया अब शौक हमारा है खेती करते है,ये धरा के प्रति प्यार हमारा है, हम इस धरती को अपनी मां समझते है, इसलिये खेती को मानते कर्तव्य हमारा है हमे गर्व है,गंवार है,पर नही बेईमान सितारा है इज्जत दे,हम आपको सर आंखों पे बिठा लेंगे, हम किसान रिश्तों को मानते जान से प्यारा है गंवार कह मुझे क्या,खुद को दे रहे हो गाली, कोई पूर्वज तो रहा होगा तुम्हारा भू तारा है गंवार न तो तुम हो,न ही गंवार हम है, हम दोनों इस माटी के जाये है,महाजन, इस हिसाब से खून का रिश्ता हमारा है दिल से विजय गंवार
Parasram Arora
गर्मी और लूँ के थपेड़ो से दरिया सारा सूख चुका है. और अब तो दरिया के पेंदे की रेत के नीचे क़ा पानी भी बचा नहीं है हर कीदी को अपना समझ कर अपने मन की गिरह खोल देता हू अब तो गुबार सारा निकल चुका और कुछ भी बचा नहीं है ©Parasram Arora गुनार
Ganesh Palsikar
मेरी खुशकिस्मती कि दास्तने सुन शहर दस्तावेजो का एक आशियाना बना रखा है दफन नही हुआ हूँ मै अभी दफन नही हुआ हूँ मै अभी सैलाब का पूरा कांरवा रखा है । मेरी हस्ती मिटती देख मेरी हस्ती मिटती देख आईने भी बदल डाले है इस शहर ने इत्मीनान रखो दोस्तों मेरी मजबूरी ने मुझे इंसान बना रखा है ! गुबार..
Alonegirl
इस झिन्दगी मे एक दिन उत्नी बडि लहर आयी की हुमारी सरी ज़िन्दगी तबाह कर गयी और हमारे जसबा तोन्को मिटा गयी मगर शुक्र गुजार हे उस आन्धी के जो हमे दुनिया सिखा गयी .... शुक्र गुजार
Rehan Mafat
ये देश आंसुओं की बारिश में भीग रहा है, मगर किसीको कोई खबर नहीं। कितने हो गए दंगे, कितने शैतान हो रहे है, धर्म के नाम पर फिर युद्ध हो रहा है, मगर किसी को कोई खबर नहीं। कुर्सी क्या मिली वो जमीन भुल गए, आज का हर नेता अपनी ही मां को रुला रहा है, मगर किसी को कोई खबर नहीं। ना गांव बचा ना शहर, हमारे ही देश का एक अंग, मदद की गुहार लगा रहा है, मगर किसी को कोई खबर नहीं। #eleventhquote #गुहार
pramod malakar
अनपढ़ , गंवार और भूच्चड़ आर. जे. डी के नेता हीं लोकतंत्र का मंदिर नया संसद भवन को ताबूत कह सकता है!! ((((((((((((((())))))))))))))) 2024 के लोकसभा चुनाव में देश कि जनता ऐसे लोगों को असली ताबुत में दफन कर देगी।। 6969696969696969 प्रमोद मालाकार भाजपा झारखंड !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! ©pramod malakar #अनपढ़ , गंवार
HP
पढ़ी होगी तुमने इश्क की ढेर सारी किताबें, छलकती हुसन को न समझ पाऐ तो गवार हो तुम गवार !! गवार