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maqbul alam

नफरतों के बाजार में........

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नफरतों के बाज़ार में मुहब्बत छोड़ आया हूँ,
बेकरारों के लिए राहत छोड़ आया हूँ,

उसके सर से दुपट्टा तक न सरकने दिया मैंने,
उसकी आंख में खुद के लिए इज्ज़त छोड़ आया हूँ !!

                                    ✍ मक़बूल आलम नफरतों के बाजार में........

पंडित जी बनारस वाले

#Hope नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है..

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नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है ,
 लोग रुलाना नही छोड़ते और जिंदादिल हँसना नही छोड़ते #Hope नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है..

Mohit Kumar Goyal

नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है लोग "रूलाना" नहीं छोडते और जिंदादिल " हसना " नहीं छोडते । #शायरी

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नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है,
 लोग "रूलाना" नहीं छोडते और
 जिंदादिल " हसना " नहीं छोडते ।

©Mohit Kumar Goyal नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है लोग "रूलाना" नहीं छोडते और जिंदादिल " हसना " नहीं छोडते ।

SucceSS StuDY IQ

-✍️"खुद की तरक्की में इतना समय लगा दो की किसी ओर की बुराई का वक्त ही ना मिले...... "क्यों घबराते हो दु:ख होने से, जीवन का प्रारंभ ह

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💢 *📚📚*💢
"खुद की तरक्की में इतना
      समय लगा दो
की किसी ओर की बुराई
   का वक्त ही ना मिले......
"क्यों घबराते हो दु:ख होने से,
जीवन का प्रारंभ ही हुआ है रोने से..
नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है...
लोग "रूलाना" नहीं छोडते...
और हम "हसना" नहीं छोडते...!!!"
🍀☘️🍀☘️🍀☘️🍀☘️🍀☘️🍀☘️ -✍️"खुद की तरक्की में इतना
      समय लगा दो
की किसी ओर की बुराई
   का वक्त ही ना मिले......
"क्यों घबराते हो दु:ख होने से,
जीवन का प्रारंभ ह

Mohammad Arif (WordsOfArif)

नफरतों के बाजार में जिन्दगी मौत से लड़ रही है हसरत जीने की है बाहरी ताकत से लड़ रही है मौत का तांडव मचा है गुंगी बहरी सियासत से लड़ रही है #Life #Love #Quote #experience #Hindi #Shayari #urdu #Arif #Life_experience

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नफरतों के बाजार में
जिन्दगी मौत से लड़ रही है

हसरत जीने की है
बाहरी ताकत से लड़ रही है

मौत का तांडव मचा है
गुंगी बहरी सियासत से लड़ रही है

हौसला कोई नहीं देता है
ये कैसी चाहत से लड़ रही है

दुःख दर्द बहुत है यहां
और ये मुहब्बत से लड़ रही है

मौत का सामान तैयार किया
खुदा की कुदरत से लड़ रही है

जिन्दगी का क्या भरोसा
आरिफ वो इज्ज़त से लड़ रही है नफरतों के बाजार में
जिन्दगी मौत से लड़ रही है

हसरत जीने की है
बाहरी ताकत से लड़ रही है

मौत का तांडव मचा है
गुंगी बहरी सियासत से लड़ रही है

Mohammad Arif (WordsOfArif)

अपनी अना पर जिसे गुरुर है यहां उसे अपने घर बनाने का सउर है कहां देखते जाइए अब नफ़रत ही नफ़रत दुश्मनी के बाजार में अब प्यार है कहां मिलते ज #Life #Love #Quote #thought #Hindi #writer #Shayari #शायरी #urdu #Arif

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अपनी अना पर जिसे गुरुर है यहां
उसे अपने घर बनाने का सउर है कहां

देखते जाइए अब नफ़रत ही नफ़रत
दुश्मनी के बाजार में अब प्यार है कहां

मिलते जुलते यहां सभी अपने से है
आपसी दिखावट का बाज़ार है वहां

मिल जाए बात तो दिल लगा लेते है
वरना बहुत सारे से खड़े मीनार है तहां 

नफरतों के बाजार में प्यार कौन करता
इतना घमंड का चारों तरफ दीवार है यहां

इंसान हो इंसानियत की बात करो आरिफ
हर तरफ लोग लड़ाने को तैयार है जहां अपनी अना पर जिसे गुरुर है यहां
उसे अपने घर बनाने का सउर है कहां

देखते जाइए अब नफ़रत ही नफ़रत
दुश्मनी के बाजार में अब प्यार है कहां

मिलते ज
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