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Usha Yadav
नाचता यह मन मेरा हो के अब विभोर देखता ना ठावँ है इस ओर है उस ठौर उद्वेलित से यह भाव मेरे है सोचते सब ओर मिलन की चाह में तेरे इस और है उस और अहम का नाश कर तू भी तिमिर निशा का रूप धर! ना हताश ! हो तू भी ओर ना ही निराश बन क्योंकि! आज भी हैं तुम्हारा कल को भी तू अपना कर नाचता यह मन मेरा हो के अब विभोर! उषा यादव ©Usha Yadav मन विभोर
R K Mishra " सूर्य "
मैं कितना आत्म विभोर था ना कहीं भी कोई शोर था जो घर में जाकर बैठ गया कितना ये शातिर चोर था मैं कितना...... चिंतित बस इस बात से हूं अपनो के मीठे घात से हूं चूक हुई अपनों से थी जबकी चारो ओर अजोर था मैं कितना...... वो आज भी मेरे अपने हैं दिखलाते मीठे सपने है ना कहते कभी भूल कर भी अधियारा मन में घनघोर था मैं कितना....... जीवन बीच अधर में है कोई दिखता नहीं सफ़र में है ऐ"सूर्य" उजाला कब होगा कुछ गीला नयन का कोर था मैं कितना....... ©R K Mishra " सूर्य " #आत्म विभोर
Arora PR
दुख के सागर से परे एक टापू मुझे और भी दिख जाता हैँ ज़ब मै किसी मासूम सी किलकारी को सुन कर आत्म विभोर हो जाता हू ©Arora PR आत्म विभोर
Writer1
वीभत्स रस ******************** क्यों ना उठे तेरे मन में हूक , देख मासूमियत, क्योंकि हाय लेता हैं, घायल करके उनकी आत्मा, ईश्वर ने दिया था सुंदर जन्म पर तू पिशाच निकला, इंसानियत की आत्मा को मारने वाला आतमघातनिकला, करोगे अत्याचार तो, आख़िर कब तक जली ठूठ पर कोयल गाएगी, कर्मों की सजा पाएगा, तुझे तेरे कर्म, इक आईना दिखाएंगे। क्यों हर कली सेहमी सी, क्यों पशु समान बन रहे, क्यों बन भेड़िया उस मासूम का जिसम नाच रहे हैं। पसर रहा धरा पर वहशीपन , अब बचपन भी डरता है, बेटी घर पैदा हुए तो, हमेशा डर सा लगा रहता है। #apk_lekhani #apki_lekhani #वीभत्स_रस #वीभत्स
Rakhee ki kalam se
जो पहले ही विक्षिप्तता की आग का शिकार हैं उन्हे हिकारत की लपटों में न झुलसाएं दिल को छुआ हो तो प्लीज repost n share करें ©Rakhee ki kalam se #AcidAttack #वीभत्स #salute #नोजोटों #Inspiration
Mumbaikar_diary
ज़रूरी है महामारी का दौर है ,धरती दुख में विभोर है, 2 गज की दूरी - महामारी की कमजोरी , जरूरी है, जरूरत से ज्यादा घर से ना निकले, मास्क और सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें, जरूरी है, सावधान रहें सतर्क रहें, एक दूसरे का सहयोग करें, हिम्मत एकजुट रखें, वक्त है , बदल जाएगा। ©Priya dubey #PoetInYou विभोर - captive/ absorbed.
Kavi Ashish Upadhyay
तोहके देख के, ए - सुंदरी ! मन विभोर हो गईल, जिनगी में रहे रात, अब भोर हो गईल || तोहरे प्यार में ए - चाँद दिल चकोर हो गईल दुनियाँ - जवार में हमरे प्यार के , शोर हो गईल !! -कवि आशीष उपाध्याय मन विभोर हो गईल, k.vikash.k