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TubeLights
क्या पता फिर से ये संभल जाए , तेरे आने से , दिल बहल जाए ।। सर्द आहों से बुझ गयी थी कभी, कुछ ऐसा कर कि शमा जल जाए ।। ये आरज़ू,ये शिकस्त, ये तेरे इश्क़ की बाजी, खुदा करे कि तेरा कोई दांव चल जाये ।। तेरे सीने पे हर रात की सहर हो बस, तेरी बाहों में मेरा दम यूहीं निकल जाए ।। ©TubeLight मस्त गजल है
आजाद पंछी pcj
जो हँसते हुए चेहरे के पीछे का ,दुःख समझ जाएं, वही तो नज़र है। जो जिंदगी केवल इश्तिहार में नही, ं ईश्फ़ाक़ में भी निकले , वही तो बसर है। अनजान है वो लोग, जो हमारे दर्द कोे जाने बिना, यूँही वाह वाह फरमा रहे है, बताओ उन्हें कि, जो आँसू आंखों से ना गिर कलम से गिरे , वही तो गजल है। प्रशान्त जैन वही तो गजल है.....
GULAM MOHMAD
किसी पे राज़-ए-मुहब्बत न आशकार किया तेरी नज़र के बदलने का इंतज़ार किया न कोई वादा था उनसे न कोई पाबन्दी तमाम उम्र मगर उनका इंतज़ार किया ठहर के मुझपे ही अह्ल-ए-चमन की नज़रों ने मेरे जुनून से अंदाज़ा-ए-बहार किया सहर के डूबते तारो, गवाह रहना तुम कि मैंने आख़िरी साँसों तक इंतज़ार किया जहाँ से तेरी तवज्जोह हुई फसाने पर वहीं से डूबती नज़रों नसे इख्तिसार किया यही नहीं कि हमीं इंतज़ार करते रहे कभी-कभी तो उन्होंने भी इंतज़ार किया ©Gulam mohmad GULAM MOHMAD शायरी गजल है #crimestory शायरी गजल
kanishka tripathi
दिल चाहेक उठा आज मेरा जाने कितनी मुद्दत के बाद आज एहसास प्यार का हुआ जाने कितने मुद्दत के बाद तुमको मांगा है हर पल रब से अब हमको लगता है की दुआओं का असर आया जाने कितनी मुद्दत के बाद सुकून ढूंढ रहे थे दरबदर हम को सुकून आज तेरी बाहों में आया है जाने कितनी मुद्दत के बाद तेरी पनाहों में उम्र यूं ही कट जाएगी हमारी अपने गुनाहों हैं तुम्हारी और हमारी मोहब्बत में लेकिन आज जिस्म में जान आई जाने कितनी मुद्दत के बाद हर पल हर सांस है उनकी आज सांस में सांस खुल गई जाने कितने मुद्दत के बाद एहसास प्यार का हुआ आज जाने कितने मुद्दत के बाद दिल चाहे उठा आज मेरा जाने कितने मुद्दत के बाद ©Santosh Tiwari हमारी गजल है तसव्वर तुम्हारा #womensday2021
Vishal Singh Rajput
होंठों पे वहीं ख्वाहिश आंखों में हसीन अफसानें हैं वो आज भी एक मदहोश गजल हैं और हम आज भी उनके दीवाने है वो आज भी एक मदहोश गजल हैं और हम आज भी उनके दीवाने
Vishal Singh Rajput
माना अल्फाजों से लिखी जाती है शायरियाँ मग़र आपका तो चेहरा ही एक मुकम्मल गजल है माना अल्फाजों से लिखी जाती है शायरियाँ मग़र आपका तो चेहरा ही एक मुकम्मल गजल है