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Awara Maan
ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय ॥ ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः ॥ ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय ॥ ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः ॥
Darshan Blon
काफी अर्सा हो गया "शान्ति" से हमे मिले हुए, हर अखबार, हर खबर मे अक्सर देखता हू उसके होंठ सिले हुए, बदनाम है वो हर गली नुक्कड़ पर काले धब्बे बिखरे पड़े हैं उसके सफेद आँचल पर, वैसे तो सभी यहाँ पर बना फिरते हैं उसके प्रचारक फिर क्यूँ है वो लतपथ लहू मे लाचार-बेबस क्यूँ यहाँ - उसके अभिभावक? गुम है शान्ति यहाँ!! #yqdidi #yqbaba #thoughts #nopeace #ourworld #worldtoday #शान्ति_की_चाह #heartcries
Abhishek Singh
ज़िन्दगी चीखे गी मौत चिल्लाये गी, रेल आये गी रौंदे चली जाएगी, अश्रु घड़ियाली मरहम मले जायेंगे, रक्त में राजनीती करी जायेगी। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः #Politics #Nojoto #HindiPoetry
Shabd_siya_k
बेटी का मां से सवाल का जवाब पूछना • बेटी- मां ये सड़को पे रोज मोमबत्तियां जलाकर क्यों रेली निकालते है, • मां- क्योंकि तुम्हारी जैसी उम्र की बेटी का बलात्कार हुआ है और उस बलात्कार को सह नहीं पाई जिससे उसकी अस्पताल में मृत्यु हो गई इसलिए उसकी आत्मा की शांति के लिए सब मोमबत्तियां जलाकर उसे श्रद्धांजलि देते है। • बेटी- बलात्कार लडकी को न्याय की उम्मीद से मोमबत्ती जलाते है। • मां- हा लाडली • बेटी- बेटी के मन में उठता हुआ सवाल मां तो फिर ये मोमबत्तियां ही क्यों जलाते है, मिट्टी का दीपक क्यों नहीं। • मां- मां सोच मे पड़ गई लेकिन कुछ वक्त रुक कर जवाब दिया और कहा की मोमबत्ती इसलिए क्योंकि मोमबत्ती की तरह फिघलकर आंसू भी बह सके और हम उस दर्दनाक हादसे को भूल सके। • बेटी- काश... लोगो के दिल भी पिघलते अकेली लडकी की मदद के लिए तब जाके शायद मोमबत्तियां नहीं जलानी पढ़ती। पता नहीं "शांति का दीपक कब जलेगा क्योंकि उम्मीद की मोमबत्तियां तो हर रोज जलाई जा रही है"और कब ये इंसानियत जागेगी। ©Sita Kumari #उम्मीद_की_मोमबत्ती #शान्ति_का_दीपक
Vicky Tiwari
"वक्त का सिला आता है,, "गुजर जाता है,, "हर आदमी अपने मंजिल पर ठहर जाता है,, "किसी बिगड़ी हुई किस्मत पर मत हसना ऐ दोस्त,, न जाने कब -कौन -कहां पर संवर जाता है। ©Vicky Tiwari #surya #वक्त_का_सिला_आता_है "#गुजर_जाता_है,, "#हर_आदमी_अपनी_मंजिल_पर_ठहरजाता_है,, "#किसी_बिगड़ी_हुई_किस्मत_पर_मत_हसना_ऐ_मेरें_अजीज_दोस्तों,,
Tara Chandra
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥ भावार्थ: शान्ति: कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में, जल में, थल में और गगन में, अन्तरिक्ष में, अग्नि पवन में, औषधि, वनस्पति, वन, उपवन में, सकल विश्व में अवचेतन में! शान्ति राष्ट्र-निर्माण सृजन, नगर, ग्राम और भवन में जीवमात्र के तन, मन और जगत के हो कण कण में, ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥ 🙏🙏🙏 ©Tara Chandra Kandpal #शान्ति