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उमाकान्त तिवारी 'प्रचण्ड'
नासमझों को समझाना , आसान नहीं था। मोदी का फरमान कोई नुकसान नहीं था।। सदा बड़े छोटों पर हाबी होते आये, सत्यमेव जयते इतना आसान नहीं था।। Umakant Tiwari prachand, ©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड" आन्दोलन
Progati Uriya
लड़ेंगें लड़ेंगे। हम सब लड़ेंगे, लड़ेंगे आपने हक के लिए। लड़ेंगे आपने कलचार के लिए। चाय जनजाति के लिए हर एक युव संगठन करेंगे आज आन्दोलन परवाह नही अभी का सोचना है वास कल के लिए हम सब बनेंगे एक सोलजर छोटे-बड़े हर एक के हाथ में होंगे तिरंगा । आंखों में कुछ पानें का जुनून फिर चल पड़ेंगे। आन्दोलन आन्दोलन हम करेंगे आन्दोलन आन्दोलन करने हर घर से नगर- शहर,गाव-वसती से निकलेंगे लोग हर घर से आवाज निकलेंगे आन्दोलन आन्दोलन हम एक साथ जमा होकर लाईन लाईन से जाते हुए नहलाएंगे हर गली में तिरंगा आवाज देते हुए आन्दोलन आन्दोलन ©Progati Uriya #Chhuan आन्दोलन
bindu sharma
अरे राहुल बाबा की शादी तय हो गई। पप्पू पास हो गया ©bindu sharma #ये कब हुआ
Z. Khan
बचपन ही वो उम्र थी जिसमें सपने बोने कद से भी रोज़ बड़े दिखते थे वो कागज़ की कश्ती, धकेलते हुए पहिए आज कश्ती भी सुराख़ वाली मिली है वक़्त का पहिया बिना धकेले चल रहा है ©Z. Khan #ये कब हुआ।
bindu sharma
Ye kab Hua बाहुबली 3 के हीरो आप है, ©bindu sharma ये कब हुआ #RajpalYadavBirthday
Maickal Amit
"किसान" जमीन का सीना चीर के पूरे विश्व का पेट भरने वाला कहने को तो ये 3 अक्षरों का शब्द है लेकिन इन शब्द की महानता समझ पाना बहुत कठिन मैं भी किसान हूँ मुझे पता है। क्या क्या झेलता है किसान न तो वो सर्दी देखता है न गर्मी न बरसात दिन रात मेहनत करता है। बस किसके लिए ताकि दुनिया भूखी उठे लेकिन भूखी सोए न आज जब उस किसान के हितों पर आन पड़ी तो सभी चुप बैठे हैं। कोई कहता मुझे क्या मेरे पास तो खेत ही नही कोई कहता। मैं तो शहरी हूँ मुझे क्या लेना देना। बस जब ये लोग ये कहना बंद कर देंगे। उस दिन किसान को जवान के समान सम्मान मिलने लगेगा। अगर जिंदा रहने के लिए जवान जरूरी है। तो जिंदा रखने के लिए किसान भी उससे कम नही। लेकिन चाहे जितना लिख पढ़ लिया जाय किसान के लिए लोग उसे हमेशा हीन भावना से ही देखते हैं। सोचो अगर अनाज न हुआ तो क्या खाओगे भक्त तो गोबर खा लेंगे उनकी दिक्कत नही लेकिन जो वास्तव में इंसान है वो क्या खायेंगे। जितना हो सके किसान के लिए लिखो जितना हो सके उसके लिए आवाज उठाओ। ©Maickal Amit किसान आन्दोलन #bharatband
Alok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""
समय कब हुआ है अपना, जो हर वक्त देखूं सपना, नींदे उड़ गई है अब तो, जब वो न हुआ है अपना, बेफिक्र था जीता कभी, अब होश में हूं कहां, जिन्दगी थी जिसके लिए, अब जिन्दगी वो है कहां, अरमान सभी टूटे हैं सपने सारे झूठे हैं, अब भरोसा क्या करूं, जब मैं ही नहीं रहा अपना, जो हर वक्त देखूं सपना...! समय कब हुआ है अपना..!