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Darshan Blon
दोस्ती ना तोड़ेंगे, साथ बिताये इन सुनहरे पलों को यादों के अलमारियों में सहेजकर रखेंगे, चाहे कितनी भी व्यस्त हो ज़िन्दगी- फुर्सद के दो पल निकालकर एक-दूजे संग जुड़े रहना, एक-दूजे के दुःख-सुख में शामिल होना, हम लोग कभी नहीं भूलेंगे, आओ मेरे मित्रों आज ये प्रण लेते हैं- कमसे कम एक दिन ज़िन्दगी का अपनी यारी के नाम करते हैं I हम लोग कभी... #हमलोग #collab #yqdidi #friendship #dosti #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi हम लोग कभी दोस्ती ना तोड़ेंगे, सा
Magical Words ( rupali yadav)
मैं जब ब्याही जाउंगी तुमसे तब सिर्फ मैं नहीं ब्याही जाउंगी ब्याहे जाएंगे वो सब लोग जो हमसे जुड़े होंगे ब्याहा जाएगा बचपन हमारा ब्याहा जाएगा एक घर दूसरे घर से ब्याहे जाएंगे हमारे आने वाले सारे पल ब्याही जाएंगी वो सड़कें जो मुझे लाएंगी तुम्हारे घर की ओर जब मैं ब्याही जाउंगी तुमसे, मैं ब्याह लाऊंगी अपने संग अपनी पुरानी सारी यादें जिन्हें में सजा दूंगी तुम्हारे घर की अलमारियों में मैं ब्याह लाऊंगी संग अपने अपनी पूरी दुनिया। ©Magical Words ( rupali yadav) मैं जब ब्याही जाउंगी तुमसे तब सिर्फ मैं नहीं ब्याही जाउंगी ब्याहे जाएंगे वो सब लोग जो हमसे जुड़े होंगे ब्याहा जाएगा बचपन हमारा ब्याहा जाएगा
AB
कि आना तू मोहब्बत बन मैं वफ़ाएं बन आउंगी, दर्द तो क्या नाचीज़ मैं तेरी हर ज़फाएं सह जाउंगी, बस मिलना तू इक दफ़ा चाहतों के आसमानों में, करने कायम वस्ल -ए-मोहब्बत ज़िन्दगी के इम्तिहानों में,! प्रिय Pooja🦋 , प्रेम नहीं मरता कभी भी नहीं वह हमेशा ही जीवित रहता है हमारी स्मृतियों में, कभी मन के किसी में कभी ह्रदय की अलमारियों में
Abhay Bhadouriya
मेरा दृढ़ विश्वास है इस दुनिया से परे चेतना के किसी लोक से आतीं हैं कविताएं कविताओं का अपना लोक होता है.. जहाँ विराजतीं हैं सृजन की द
Anamika Nautiyal
Something new Read in caption इस लाकडाउन के चक्कर में घर में बर्तन धो रहा हूँ खाना बनाने के साथ-साथ झाडू-पोछा भी कर रहा हूँ खाना बनाना सीखा था जिस दिन उस दिन पर पछता र
Nikhil Ranjan
तुम्हारे जाने के बाद कुछ और खोने का मुझे डर नहीं रहा , न कुछ और पाने कि वैसी लालसा रही , तुम मिलो या ना मिलो अब इस बात से भी कोई खासा फर्क नहीं पड़ता । पर हां ! एक मलाल जरूर रहता है की , क्या कभी मेरी बाइक कि पिछली सीट पर बैठ कर , मेरे साथ कहीं बेमंजिल सफर पे चलोगी तुम । एक सूट जो सिलवा के फिर कभी नहीं पेहना , मै उसे पहनूं तो क्या तुम मेरे साथ कहीं बाहर जाओगी । मेरी सुबह कि चाई , मुझे कभी सुबह नही मिलती , क्या तुम कभी मुझे सुबह उठा के चाई पिलाओगी । मेरी बनाईं तस्वीरों में रंग तो हैं , पर क्या तुम मेरी बदरंग जिंदगी में रंग भरने आओगी ! मैं घर की दूसरी चाभी अलमारियों में छुपाता हूं , क्या तुम उनकी जिम्मेदारी लेना चाहोगी ! मैने तुम्हारे लिए जो भी लिखा है ,कब तक दूसरे लोगो को सुनाऊं ? किसी चांदनी रात में ,अनगिनत तारों के नीचे बैठकर , क्या तुम भी मुझे सुन्ना चाहोगी ? मैंने अपने बिस्तर के बाए तरफ का हिस्सा ख़ाली रख़ छोडा है , तुम आ जाओ ना !!! तुमसे पूछे बिना , ऐसी तमाम कई खवाईस और चीज़े हैं रख रखी मैने , क्या तुम कभी आ के इनपे अपना हक़ जताओगी ? ख़ैर छोड़ो ,ये बातें ,बातें ही रह जाएगी.. ना तुम कभी आओगी , न दिल से इन बातों के पूरा न होने का मलाल जाएगा ! Whole Poetry in Captions , please read ! #मलाल #खवाहिश #चाहत #प्यार #खुद_की_कलम_से #original तुम्हारे जाने के बाद कुछ और खोने का मुझे डर
Prerit Modi सफ़र
(पूरी ग़ज़ल कृपया कैप्शन में पढ़े !!) 221 2121 1221 212 आँचल में तू छुपा ले मुझे, डरता हूँ यहाँ माँ दे पनाह मुझ को तू परछाइयों में ही तेरे दिये वो ख़त, हैं मिरे पास हमनवाँ रक्खें हैं ख़त वो सारे तो, अलमारियों में ही मैं मोहताज़ हूँ नहीं, तेरी दी भीख का साँसें गुज़र बसर न हों, लाचारियों में ही इस आग की लपट में तुम मुझ को जलने दो परवानों को तो जलने दो, चिंगारियों में ही होने दो बात अब ये तो खामोशियों में ही दिल को धड़कना है अभी तन्हाइयों में ही है जुस्तजू हयात में हर मोड़ पर यहाँ ये ज़िंदगी है कट रही रुसवाइयों
A NEW DAWN
पत्र (In caption) कभी देखा है उन पुरानी अलमारियों में कभी अल्बामो तो कभी मेरी सहेली के बीच दबे पीले पड़ चुके पन्नो को? उन पे वो स्याह और ने नीले फैले हुए दाग,
Rabiya Nizam
पत्र (In caption) कभी देखा है उन पुरानी अलमारियों में कभी अल्बामो तो कभी मेरी सहेली के बीच दबे पीले पड़ चुके पन्नो को? उन पे वो स्याह और ने नीले फैले हुए दाग,
एक अजनबी
हमने इश्क़ किया,बंद कमरों में फ़िजिक्स पढ़ते हुए, ऊंची छतों पर बैठकर तारे देखते हुए, रोटियां सेक रही मां के सामने बैठकर चपर-चपर खाते हुए हमने नहीं रखी बटुए में तस्वीरें, किताबों में गुलाब, अलमारियों में चिट्ठियां हमारे कस्बे में नहीं थे सिनेमाहॉल, पार्क और पब्लिक लाइब्रेरी हम तय करके नहीं मिले, हमने इश्क़ किया जिसमें सब कुछ अनिश्चित था, कहीं अचानक टकरा जाना सड़क पर और हफ़्तों तक न दिखना भी, और उन लड़कियों से किया इश्क़ हमने जिन्हें तमीज़ नहीं थी प्यार की, जिनके सुसंस्कृत घरों की चहारदीवारी में नहीं सिखाई जाती थी प्यार की तहज़ीब हमने उनसे किया इश्क़ जिन्हें हमेशा जल्दी रहती थी,किताबें बदलकर लौट जाने की, मुस्कुराकर चेहरा छिपाने की, मंदिर के कोनों में,अपने हिस्से का चुंबन लेकर,वापस दौड़ जाने की ऊनकी भाभियां उकसाती, समझाती रहती थीं उन्हें,मगर वे साथ लाती थीं सदा गैस पर रखे हुए दूध का, छोटे भाई के साथ का या घर आई मौसी का ताज़ा बहाना, जल्दी लौट जाने का हमने डरपोक, समझदार, सुशील, आज्ञाकारी लड़कियों से इश्क़ किया जो ट्रेन की आवाज़ सुनकर भी काट देती थीं फ़ोन, छूने पर कांप जाया करती थीं, देखने वालों के आने पर, सजकर बैठ जाती थी छुइमुइयां बनकर कपड़ों के न उघड़ने का ख़्याल रखते हुए,सारी रात सोने वाली महीने के कुछ दिनों में, अकारण चिड़चिड़ी हो जाने वाली, अंगूठी, कंगन, बालियों, और गुस्सैल पिताओं से बहुत प्यार करने वाली सच्चरित्र लड़कियों से किया हमने प्यार जो किसी सोमवार, मंगलवार या शुक्रवार की सुबह अचानक विदा हो गईं, सजी हुई कारों में बैठकर, उसी रात उन्होंने फूंका बहुत समर्पण, बेसब्री और उन्माद से अपना सहेजकर रखा हुआ कुंवारापन चुटकी भर लाल पाउडर,और भरे हुए बटुए में अपनी तस्वीर लगवाने के लिए बिकीं, करवाचौथ वाली सादी लड़कियों से ऐसा किया हमने इश्क़ कि चांद, तारों, आसमान को बकते रहे रातभर गालियां खोए सब उन घरों के संस्कार, गुलाबों में घोलकर पी शराब, मांओं से की बदतमीज़ी, होते रहे बर्बाद बेहिसाब। 🌼 ©एक अजनबी #हमने_इश्क_किया #कृपया_पूरी_पढ़े 🙏🏻 #बहुत_मेहनत_लगी_है। हमने इश्क़ किया,बंद कमरों में फ़िजिक्स पढ़ते हुए, ऊंची छतों पर बैठकर तारे देखते ह