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Piyush Sarkar Mungi
मेरे पास लोग स्वभाव से आते है, भाव से आते है, प्रभाव से आते है, परन्तु मै हमेशा भाव, प्रभाव से आने वालो का साथ देता हूँ. - पीयूष सरकार मूंगी एक परिचय
पंकज कुमार सिंह
( सिंघना ) नवादा जिला प्रखंड कौवाकोल मगध में एक छोटा सा ग्राम ! सिंह नाद करता था जहां प्रगतिमय सिंघना उसका नाम !! अंग्रेजों का शासन था जब कष्ट में डूबा था सारे प्रदेश! विघ्न विनाश करने यहाँ हुए पैदा उद्भट वीर विशेष!! समृद्ध है इतिहास यहां का और गौरवान्वित अध्याय है! भोले भाले लोग बसे हैं ईश्वर भी सब पर सहाय है !! पूरब में स्थित पाण्डेय गंगौट पश्चिम में कसमारा ग्राम है ! उत्तर में बसा नूर हसना दक्षिण में रूपौ चामुंडाधाम है !! कला कौशल साहित्य यहाँ विकसित संगीत समाज है ! संस्कृतियों में रचा बसा सभ्यता का बुलंद आवाज है!! एक परिचय
RJ Gumnam
पावन भूमि नाम कहावे , ऎसो मेहरा गांव। सदगुरुओं की यहां समाधि , ब्रह्मकुंड की छांव।। संत संत संगत मह आवें ,आश्रम को है धाम। भोर भई संगत में गावें, श्री राम राम जय राम।। नाम रवि कुमार है , जन्मे मेहरा गांव । पालन पोषण है गयो , सर मात पिता की छांव।। रवि झा RJ Gumnam एक परिचय आपनो
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
परिचय हो तो ऐसा ------------------ यह परिचय ईश्वर की सबसे उत्तम रचना मनुष्य की है। इस तरह का परिचय कुछ प्रतिशत मनुष्य को छोड़ कर बाकी सभी के लिए है जो इसी श्रेणी में आते हैं जिसमें मैं भी हो सकता हूं। मनुष्य हाड़, मांस,बुद्धि ,विवेक से सुसज्जित ऐसा दोपाया अज्ञानी प्राणी है जो सत्य को जानते हुए भी उससे जानबूझ कर अनजान रहता है या स्वीकारता ही नहीं। ज्ञानहीनता यह कि सब मेरा ही तो है। मेरी ही विवेक बुद्धि से सब चलता है। मैं नहीं रहूंगा तो कौन देखेगा? मेरे जैसा होशियार,धनवान,बुद्धिमान,ज्ञानवान,बलवान कोई नहीं। मैंने ही तो किया। और पता नहीं क्या क्या। शायद इन्हीं कारणों से हैवानियत का तांडव हो रहा है। जबकि सत्य ठीक इसके विपरीत है। मनुष्य देखता आया है कि जो परदादा का था वो दादा का हुआ, जोड़ा दादा का था वो पिता का हुआ और जो पिता का था अब उसका है।फिर भी भ्रम में जीता है।इसे नादानी या अज्ञानता नहीं तो और क्या कहेंगे।अपना पराया, धन दौलत,शोहरत,ताकत की औकात का पता तब चलता है जब विश्वरचयिता थोड़ा सा ट्रेलर दिखता तब सिवा उसके कुछ दिखाई नहीं देता। भ्रम में जीना छोड़ो, सत्य को पहचानो और सुखी रहो। ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।) एक परिचय ऐसा भी।
Madhav Jha
यात्रा ही केवल लेखक का होना तय नही करता। पूर्णतः मन का विचार केवल साहित्य पर निर्भर नही। एक दृष्टीकोण से ये सही है मगर लेखक अपने मन का प्रतिनिधि है। एक साहित्यकार और एक गंवार दोनो ही लेखक हो सकते हैं। केवल उनमें मन के भाव का उद्गम होना उनके परिस्थिति और समय के अनुसार जन्म लेता या मिट जाता है। अब.. घट ही पट है और पट ही घट है। ये सिद्धान्त के अनुसार अगर एक घड़ा ही कपड़ा है तो आश्चर्य है कैसे। एक घड़ा मिट्टी का अंश है। वहीं एक कपड़ा जो उसी मिट्टी से कपास के द्वारा बना वह भी मिट्टी है। जैसे एक शरीर मिट्टी है, मरणोपरांत जब भस्मविभूषित होता है तो बचती केवल मिट्टी है। सार्विक तातपर्य है कारण और उसके करण। ऐसे ही लेखक है जो मन से उपजता है और अथाह है। एक लेखक का परिचय
Dilipkashyap
समाज की गंदी आदतें समाज की गंदी बातें सब मीट रही हैं NSS से बढ़ रहा है भारत स्वच्छता की ओर बढ़ रहा है भारत आगे की ओर समाज सुधर रहा है लोग बदल रहे हैं सोच में बदलाव आ रहा है NSS से बदल रहा है भारत नये सोच की ओर बढ़ रहा है भारत बदलाव की ओर समाज विकास कर रहा है व्यक्तित्व का निर्माण हो रहा है निखर रहा है टैलेंट समाज की हर गलियों से NSS से बढ़ रहा है भारत उन्नति की ओर बढ़ रहा है भारत विकास की ओर हम समाज सेवक बन गए हैं हम समाज पोषक बन गए हैं साथ - साथ बन गए हैं पर्यावरण संरक्षक NSS से बढ़ रहा है भारत सेवा की ओर उभर रहा है भारत नये स्वरूप की ओर नये स्वरूप की ओर #एक कविता राष्टीय सेवा योजना की