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#sadDeepak1992
तुम फिर आना... (अध्याय-1,भाग-06) मिस्टर ब्रिगेंजा को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो जैसे वो किसी ज़रूरी कार्य मे व्यस्त हों।उन्हें ये ज़रा भी एहसास नहीं हुआ कि उनके ऑफिस में मिसेज माथुर और 10 साल के अनन्त के रूप में दो सख्स और भी मौजूद थे।लगभग 5 मिनट तक उनके ऑफिस में किसी शांति का वातावरण बना रहा।मिसेज माथुर ने भी मिस्टर ब्रिगेंजा को उनके काम के बीच मे डिस्टर्ब न करने में ही भलाई समझी।अचानक मिस्टर ब्रिगेंजा का ध्यान मिसेज माथुर की ओर आकर्षित किया स्कूल की बजने वाली उस बेल ने जो इशारा कर रही थी स्कूल के सभी बच्चों को की उनकी प्रेयर का समय शुरू हो चुका है।इस प्रकार अचानक से अपने ऑफिस में मिसेज माथुर को अपने सामने देख खुशी से मुस्कुरा उठे मिस्टर ब्रिगेंजा। गुड मॉर्निंग मिसेज माथुर!हमारे इस स्कूल में मैं मिस्टर ब्रिगेंजा आपका तहे दिल से स्वागत करता हूं।अरे!आप खड़ी क्यों हैं?? ओ...ओ सॉरी मिसेज माथुर !मैं आपको देख नहीं पाया।दरअसल मैं अपने एक ज़रूरी कार्य मे व्यस्त था।मिस्टर ब्रिगेंजा के इस आदर भरे अनुग्रह का आभार प्रकट करते हुए सामने पड़ी एक लकड़ी की कुर्सी पर जा बैठीं मिसेज माथुर। तो ये है आपका पोता जिसके बारे में आपने मुझे बताया था? अनन्त को नीचे से ऊपर तक अजीब निगाह से देखते हुए मिसेज माथुर से पूछा मिस्टर ब्रिगेंजा ने। "जी हाँ मिस्टर ब्रिगेंजा!यही है मेरा पोता अनन्त।और आज मैं इसको आपके स्कूल में इसीलिए लायी हूँ ताकि आज आप इसका एडमिसन अपने स्कूल में ले सकें।" मिस्टर ब्रिगेंजा की ओर देखते हुए बोलीं मिसेज माथुर।उनके शब्दों में गंभीरता अलग ही झलक रही थी। (To be continue) ©#sadDeepak1992 #deepak1992(तुम फिर आना-एपिसोड-06
Mahi das vaishnav
कोई मिला था कल तो दिल में जान आई उन से आज दिदार नहीं हुआ तो दिल मे दरार आई। ©Mahi das vaishnav #शशशशशश फिर कोई है।
Vinay Kumar
फिर मुसाफिर बन चला है कोई फिर रास्ता भटक गया है कोई फिर मुसाफिर बन चला है कोई फिर रास्ता भटक गया है कोई #nojoto #love
Shashi Bhushan Mishra
फिर कोई न वैसा भाता है, जब दिल से कोई जाता है, इक जख्म छोड़ जाता ऐसा, जो कभी नहीं भर पाता है, ढह जाता है विश्वास अजर, मन में गम घर कर जाता है, पीड़ा का पारावार नहीं ! मन नाहक शोर मचाता है, साहिल से टकराती लहरें, सागर जब दर्द सुनाता है, नभ में छा जाते उमड़-घुमड़, सावन घन गीत सुनाता है, है प्रेम प्राण का स्पंदन, तन्हाई में दिल घबराता है, यादें तड़पाती जीवन भर, 'गुंजन' मन भूल न पाता है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #फिर कोई न वैसा भाता है#
Rohit Kumar
उनकी आंखे कोई दश्त है फिर कोई दरिया, ना जाने क्या है हमारे दर्मिया, गर उतर के देखू , तो डूब ही जाऊ, गर चल के देखू , तो खो जाऊ, ये अनकहे एहसास का कुछ यू कहना हैं, जैसे शहर ए दिल में तुम्हारा ही रहना हैं, cont...... उनकी आंखे कोई दश्त है या फिर कोई दरिया....
Vinay Kumar
फिर मुसाफिर बन चला है कोई फिर रास्ता भटक गया है कोई घर की वो चिडिया याद आती है फिर घोसला उजड़ गया है कोई देहलीज़ अब रास्ता तकती है फिर आँगन सुना पड गया है कोई बहोत ख़ामोशी है शहर में आज फिर इंसान अकेला मर गया है कोई दिल गुमनाम है उसे रहने दो फिर खुद का पता भूल गया है कोई शैतानों की बस्ती में रोशिनी बहोत है फिर से भगवान् मर गया है कोई फिर मुसाफिर बन चला है कोई फिर रास्ता भटक गया है कोई घर की वो चिडिया याद आती है फिर घोसला उजड़ गया है कोई देहलीज़ अब रास्ता तकती है फिर आँगन सु