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RjSunitkumar
मुझे अब तक ये मालूम नहीं पड़ा की हम लोग अक्सर जिम्मेदारी ओ के आगे क्यूं घुटने टेक देते है ?? लोगो का नजरिया या लोगो की बातो में आकर खुद अपना नजरिया क्यू भूल जाते है। सादी हो गई बच्चे हो गए और जिम्मेदारी आ गई तो क्या आप अपना सपना भूल जायेंगे भाई जी इससे compromise कहते है ऐसा गीसा पीटा जीवन क्यू जीना जिसमें केवल पैसा हो फैमिली हो पर समय ही ना हो enjoy करने के लिए भाई अपन ने तो डिसाइड कर लिया है घिसा पिटा अपने को जमता नहीं अपुन कुछ अलग इज़ करेगा ज़िन्दगी में चाहे दुनिया इधर की उधर क्यू ना हो जाए। #क्यू घुटने टेकना ????
'मनु' poetry -ek-khayaal
ये जिंदगी है 'बाबू' जितना घिसेगी उतनी चमकेगी आपका भविष्य और स्वास्थ दोनों आपके माथे के पसीने की बूंदों की संख्या बढ़ने से उन्नत होते हैं ..!! #मनु ©'मनु' poetry -ek-khayaal #पसीना #माथा
Pushpendra Pankaj
माथापच्ची ------------ भगवान का दिया सबकुछ , फिर भी उदास क्यों ? निराशा छंटने ना दे कभी , इतनी प्यास क्यों ? खुद कुछ करना नहीं चाहता , फिर पाने की आस क्यों ? धन दौलत की कमी नहीं फिर, खतरे का आभास क्यों? निरोगी काया मिली उपहार मे, लगता जिंदा लाश क्यों ? मजाक सहन नहीं है बिलकुल, औरों का उपहास क्यों? तर्क नहीं है, कुतर्क कर रहा, निरर्थक कोरी बकवास क्यों? ------------------------------- मानवीय प्रकृति ही कुछ ऐसी है । ------------------------------------ ‐‐---------------------------------- ©Pushpendra Pankaj #walkingalone माथा-पच्ची
Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
उसने माथा चूम लिया, और मैंने जीवन झूम लिया, हर चाहत सच में बदल गई, और सच तकदीर से बदल गई, मैं उनकी होकर सिमट गई, प्रेम बेल सी लिपट गई, जो लिखा था प्रभु ने मेरे लिये, खुश होकर उसको लपक गई. #उसने माथा चूम लिया#
Krishna Nand Vishwakarma
मन के उपवन को उसने जैसे झिंझोड़ दिया, स्थिरता के आंगन में जैसे कोई लहर दिया, हुआ प्रसन्नचित ये मन जीवन को जैसे राग दिया, कुछ कहा नहीं बस उसने माथा मेरा चूम लिया। बाहों का आलिंगन कर उसने आंखो से बोल दिया, मेरे प्रश्नो के उत्तर में सारे भावों को तोल दिया, हुआ मैं इतना मंत्रमुग्ध जैसे दुनिया को छोड़ दिया, कुछ कहा नहीं उसने बस माथा मेरा चूम लिया। # माथा मेरा चूम लिया
Shravan Goud
कितना भी सामर्थ्यवान हो हालात के आगे घुटने टेकना है ही। कितना भी सामर्थ्यवान हो हालात के आगे घुटने टेकना है ही।
Di Pi Ka
मैं याद करु तुम्हें, और फल़क पर लिख जाए, ऐसे ही कोई संदेश, मेरी आंखो में पानी बन तैर जाए, तुम मुझे याद करो, और बारिश हो जाए, ऐसे ही कोई स्पर्श पेशानी पर बोसा दे जाए। पेशानी-माथा;बोसा-चुम्बन