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भारद्वाज
रूलाकर बड़े प्यार से हंसाते हैं, पाप कर के खुद को पवित्र बताते हैं, ना जाने ये लोग कौन से गंगा जल से नहाते हैं। Bhardwaj Ds...writer #कौन सा #गंगा #जल
Poonam bagadia "punit"
मुझे हस्सीआती है जब जब ये घटना याद आती है👇🏻 हमारे पड़ोस में एक भोले से रवि भैया थे जिन्हें नॉन वेज का बहुत शौक था और रोज़ उनके घर से नॉन वेज की खुशबू आती थी पर हमारे कुछ ब्राह्मण पड़ोसियों को उनसे आपत्ति थी इस बात से तो सभी ने मिल कर एक दिन रवि भैया को ब्राह्मण बना दिया उनके ऊपर गंगा जल छिड़का और कहा "आज से तुम ब्राह्मण हो" कुछ दिन तो नॉनवेज की खुशबू नही आई पर एक रोज फ़िर वही खुशबू से सब चौक गये और उन्होंने रवि भैया के घर की खिड़की से देखा भैया ने नॉनवेज की थाली पर गंगा जल छिड़क कर कहा "आज से तुम आलू हो.... और खाना शुरू कर दिया.......😜😜😂😂 "गंगा जल छिड़क कर नॉनवेज बनाया आलू....😂😁😁 #nojotocomedy #meme #nojoto #nojotohindi #kalakaksh #kavishala #thought #tst
अदनासा-
mahi mahi
🤭🤔🤔👉 लोग दूसरों को👈 👉 बुरा तो ऐसे 👈 👉 बोलते हैं जैसे खुद 👈 👉 गंगा जल से धुले हैं👈💕💕💕 ©mahi mahi 🤭🤔🤔👉 लोग दूसरों को👈 👉 बुरा तो ऐसे 👈 👉 बोलते हैं जैसे खुद 👈 👉 गंगा जल से धुले हैं👈💕💕💕 #Drops
Rakesh Ladhrh Robert
इंसान अक्सर भूल जाता है अपनी औकात, धोखा देते समय याद नही आती जिन्दगी की शाम किसी की गलतियों बताता है, खुद को गंगा जल दर्शाता है| फूल टूट कर कुर्बान हो जाता है, धोखा देने वाला जीना सीखा जाता है| इंसान अक्सर भूल जाता है अपनी औकात, धोखा देते समय याद नही आती जिन्दगी की शाम किसी की गलतियों बताता है, खुद को गंगा जल दर्शाता है| फूल टूट कर
sukoon
तन वृंदावन धन मनमोहन और मन गंगा जल हो जाये प्रेम ,समर्पण, त्याग, तपस्या जीवन ऐसा पल हो जाये लक्ष्य साध कर कर्म भूमि पर ,जब भी कदम बढ़ाऊ मैं सफल भले न हो पाये पर , मेरे कदम अटल हो जाये तन वृंदावन धन मनमोहन और मन गंगा जल हो जाये प्रेम ,समर्पण, त्याग, तपस्या जीवन ऐसा पल हो जाये लक्ष्य साध कर कर्म भूमि पर जब भी कदम बढ़ाऊ मैं स
AJAY VERMA
याद तुमहारी कर कर के जब मेरे नयन सजल हो बैठे मन हो गया भागीरथ जैसा आशू गंगा जल हो बैठे पियस दबाए बैठी कब से सुख रहा था जिसका कण कण चाहा बरासने की थी मन में धरा ने दिया ना निमंत्रण इस पर्वत से उस पर्वल आवारा बादल हो बैठे जीवन तो एक समझौता है पल में हस्ना पल में रोना एक तरफ फूलों से शादी एक तरफ काटो से गैना शायद कोई शिव मिल जाए सोचकर यही गराल हो बैठे याद तुमहारी कर कर के जब मेरे नयन सजल हो बैठे मन हो गया भागीरथ जैसा आशू गंगा जल हो बैठे पियस दबाए बैठी कब से सुख रहा था जिसका कण कण चाहा बर