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Mokshada mishra

अर्थ का अनर्थ #Morning #विचार

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mohabbat ki ahat ko
aur ishq ki likhawat ko
badal pana aasan nahi hai ae dost

ज़रा सी समझ की फेर में
अर्थ का अनर्थ कर देती हैं ।

कलम 
with mishraji

©Mokshada mishra अर्थ का अनर्थ

#Morning

करिश्मा ताब

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Azhar Waquar

लोगों का मंसूबा बदल दिया #Wedding

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जब से आई हो मेरी ज़िंदगी में जीने का दस्तूर बदल दिया।
अपनी अल्फाजों से लोगों का मंसूबा बदल दिया।

©Azhar Waquar लोगों का मंसूबा बदल दिया

#Wedding

Neophyte

मंसूबा!

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हर दफ़ा लोग मेरे पास आए कुछ मंसूबे लेकर
हम बैठे ही रह गए अपनी ख्वाहिशें लेकर

कुछ ऐसी ही ज़िन्दगी रही है अपनी
खुशियां बाट रहे है हम गर्दिशे लेकर

बनाया होता हमे भी इस जमाने सा सयाना
क्या मिल रहा हमे ऐसी परवरिश लेकर

किस ओ एक ही गर्दन घुमाए हम
हर शख़्स बैठा है कत्ल की साज़िशें लेकर

कितने ढीठ दिल हो तुम क्षत्रियंकेश
अभी बैठे हो नेकी की कोशिशें लेकर

©क्षत्रियंकेश
  मंसूबा!

Tarakeshwar Dubey

मंसूबे क्या है? #WallTexture #कविता

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मंसूबे क्या है?
:::::::::::::::::::::

कौन लोग हैं, कहां से आए? क्या है मजहब, क्या ईमान?
क्यों मिट्टी में मिला रहे हैं? भारत माता का अभिमान।

आचरण में कहीं भी इनके, आती किसान की बू नहीं है।
छद्म वेष में छिपे हुए सब, लगती गद्दारों की टोली है।

भारत का हर इक किसान, होता है तन मन से नेक।
भरण करता है राष्ट्र का, ऊपजा खेतों में व्यंजन विशेष।

सीमा रक्षा के लिए वह, जवान भी उपजाता है।
देश की रक्षा में हंसकर जो, बलिबेदी पर चढ़ जाता है।

लालकिले को झुकाने की, हरगिज सोंच सकता नहीं।
देश की आजादी से वह, समझौता कर सकता नहीं।

क्या छिपे पाक एजेंट? या चीन के सौतेले भाई।
सरकार करे इनकी पहचान, हो सख्त से सख्त कार्यवाई।

मुखौटों से पर्दा उठे, दिखे सम्मुख असली रुप।
कौन बाहर से आए हैं? कौन हैं उनके अंत:दूत?

©Tarakeshwar Dubey मंसूबे क्या है?

#WallTexture

Death_Lover

क्या मनसूबे थे तुम्हारे, कि मेरा जाना खूब हुआ
तुम रही सदा आज़ाद, कि मेरा जाना क़ैद हुआ

क्या रही नादानी मेरी, कि तेरा बताना दूर हुआ
तू रही सदा इसी दुआ में, कि मेरा जाना क़बूल हुआ

अब जा न होगी तुझे कोई तकलीफ़ इस जहांन में,
जब से मेरा गुज़र जाना ख़ुदा के यहाँ क़बूल हुआ॥

©Himanshu Tomar #मनसूबे
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