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SHAYAR (RK)
नीम के पत्ते और करेले से बनी जलेबियाँ उन लोगों के लिए जो मेरी पोस्ट को इग्नोर करते हैं🔥😔 . ©SHAYAR (RK) #जलेबियाँ_खास_उनके_लिए🤣
अशोक द्विवेदी "दिव्य"
जलेबी सभी को लगभग पसंद आती है, पर उससे कोई के नही सीखना चाहता कि, उलझने कितने भी हो मीठापन बनाये रखे। #जलेबियाँ #जीवन #मीठापन
Shivangi
जलेबियाँ सिर्फ मीठी ही नहीं होती हैं, बल्कि एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती हैं। खुद कितने भी उलझे रहो, पर दूसरों को हमेशा मिठास दो। जलेबियाँ सिर्फ मीठी ही नहीं होती हैं, बल्कि एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती हैं। खुद कितने भी उलझे रहो, पर दूसरों को हमेशा मिठास दो। शुभ प्रभात
SoNia
चलो आज फिरसे छत पे मिलते हैं , कुछ हसीन यादें ताज़ा करते हैं ! माँ के प्यार भरे पराठे खाके , चौराहे की थोड़ी गरम जलेबियाँ चख लेते हैं ! चलो आज फिरसे छत पे मिलते हैं ! सामने वाले घर में थोड़ा झाक लेते हैं , वो भी छत पे दिख जाए तो थोड़ा मुस्कुरा लेते हैं ! दिलों की पतंग ऊँचे आसमान में उड़ाते हैं , तन्हाई को अपनों के मांझे से काटते हैं ! चलो आज फिरसे छत पे मिलते हैं ! शाम की गपशप वाली चाय के साथ , पापा की थोड़ी डाट भी खा लेते हैं ! जब रात हो तो थोड़े तारे गिन लेते हैं , चलो आज फिरसे छत पे मिलते हैं ! #अनुरक्ता ❤️ चलो आज फिरसे छत पे मिलते हैं , कुछ हसीन यादें ताज़ा करते हैं ! माँ के प्यार भरे पराठे खाके , चौराहे की थोड़ी गरम जलेबियाँ चख ल
CalmKazi
एक जाड़े की सुबह जलेबी के ठेले पर, सबकी बातें और साँसे ठिठुर रहीं थी । और कोने में दो आँखें, सपनों का स्वेटर बुन रहीं थी ।। #Triveni #त्रिवेणी चुनौती का जवाब Saket भाई को ! आपने इस चुनौती के ज़रिये कुछ स्याह यादें ताज़ा की । आशा है मैं थोड़ा न्याय कर पाया पर आगे लिखन
Er.Shivampandit
#बेचैनकलम........✍️✍️ बचपन की बात है पांचवी से कविता का साथ है #बेचैनकलम........✍️✍️ बचपन की बात है पांचवी से कविता का साथ है आंठवी में मित्र ने कहा था कलम जल्दी जल्दी चला तेरे नाम में भी लगेगा डॉक्टरेट
Deepak Kanoujia
Enjoy the day And life to the fullest... Dedicating a #testimonial to Madeeha Ayyaz "Farida" उर्दू जैसी हैं वो या शायद उर्दू ही हैं...कागज़ हैं या कलम हैं या शायद एक पूरी मुकम्मल शा
Amit Mishra
(एक लघु कथा) पढ़ें कैप्शन में आज फिर इतवार है... वही इतवार जिसका छोटू और बबली बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं...करें भी क्यों ना? इतवार के दिन उन्हें जलेबी जो खाने को मिल
#mai_bekhabar
ये मेरी पहली कोशिश है एक कहानी लिखने की जिसका पहला भाग अब आपके सामने है. अनुशीर्शक् मे पढ़े और जैसी भी लगे ज़रूर बताये. कहानी का शीर्षक है "पहली कमाई" जब मेरी पहली त्वनखा मेरे हाथ आयी थी तो आज भी याद है मुझे कितना खुश था मै. दफ्तर का समय तब 5 बजे खतम होता था, लेकिन उस दिन थोड़ा काम ज्यादा थ