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नर्मदा........ भारत की सारी नदिया पश्चिम से पूर्व की और बहती है लेकिन सिर्फ नर्मदा नदी पूर्व से पश्चिम बहती है,बाकी सारी नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती है लेकिन सिर्फ नर्मदा अरब सागर से मिलती है,एक दर्द भरी कहानी जिसके जड़ में तड़प, वेदना, अब्यक्त दर्द है..... नर्मदा नदी का विवाह नद सोनभद्र से तय हुआ था, नर्मदा के पिता ने कहा था जो गुलबकावली का फूल लाएगा उससे नर्मदा की शादी होगी, नर्मदा ने सोनभद्र को नहीं देखा था उसने दाशी रोहिला को बोला सोनभद्र को खबर करो मै उससे मिलना चाहती हु... रोहिला नहीं लौटी... फिर नर्मदा खुद गयी वहाँ उन्होंने दोनों को साथ देखा फिर वो क्रोध से कभी शादी ना करने की कसम खायी और उलटी दिशा की और जाने लगी और कुछ हिस्सा ये भी था...विवाह मंडप में बैठने से पहले नर्मदा को पता चला सोनभद्र का जुड़ाव जुहिला(एक आदिवासी नदी मांडला के पास बहती है )जो उनकी दाशी है उससे था, नर्मदा जो अच्छे घराने की थी उसे ये अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ और मंडप छोड़ कर उलटी दिशा में चलने लगी जब सोनभद्र को गलती का एहसास हुआ तो वो नर्मदा के पीछे गए और कहे ****लौट आओ नर्मदा पर नर्मदा नहीं लौटी 🥺 वो कुंवारी रह गयी....और यही कारण रहा एक स्थान पर सोनभद्र से अलग होती नर्मदा दिखाई 🥺देती है नर्मदा इतनी पवित्र नदी है की गंगा नदी भी यहा स्नान करने आयी ... बिना स्नान किये सिर्फ नर्मदा दर्शन से पूरा पुण्य मिल जाता..जोहिला नदी भी उधर बहती लेकिन वो दूषित नदियों में गिनी जाति है... लेकिन नर्मदा वापस नहीं लौटी.. वहाँ के हर पत्थर को शिवलिंग माना जाता और बिना प्रानप्रतिष्ठा के पूजा भी होती... आज भी जो लोग नर्मदा की परिक्रमा करते है (और भी बातें मै बताउंगी ) उन्हें नर्मदा के विलाप की आवाज़ सुनाई देती..... सभी नदिया एक तरफ नर्मदा अकेली बहती रहती......... ©Mallika #नर्मदा
Narmada Sharma
अपने खिलाफ बातें ख़ामोशी से सुन ले,,,,, यकीन मानो वक़्त बेहतरीन जवाब देगा,,,,,, # नर्मदा शर्मा
Rahul
भारत की नर्मदा नदी मध्यप्रदेश के अमरकंटक से निकलती है । ©Rahul नर्मदा #Nojoto
Parasram Arora
मन की गहराई की थाह पाना उतना ही कठिन है जितना समुन्दर से मोती निकाल लेना सरल है दर्द के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुए जीवन बीत रहा है लेकिन ये कवायद आदमी क़ो माजने के लिये कितनी अनुकूल है कभी कभी अनकही विवशताये अंतरतम क़ो छलनी कर देती है फिर भी आदमी सह लेता है क्योंकि उसका धरातल ही उसका सम्बल है जीबन की दुविधाओं क़ो शतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन धंसा कर झुठलाया नही जा सकता कभी कभी दर्द भी दवा बन कर रुग्ण काया क़ो निर्मल कर देता है ©Parasram Arora दर्द की परिक्रमा