Find the Latest Status about माइटोकॉन्ड्रिया की खोज from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, माइटोकॉन्ड्रिया की खोज.
Dharmendra singh
जीवन स्वयं को खोजने की अंतहीन प्रक्रिया है। ©Dharmendra singh स्वयं की खोज
VivekG poetry
"तलाश उसकी थी पर खुद का पता नही। पागल तो मृग है कस्तूरी का खता नही। ये जो दीवानापन है उसको पाने के लिए, दिल नादान है दिमाग को कोई ब्यथा नही।" ✍विवेक #खुद की खोज
Krishna pandey
chal pade hai teri khoj me ye jindagi, dekhte hai tu tu milati hai ya fir umar hi kam pad jati hai जिंदगी की खोज
Parasram Arora
जीवन क़े उल्लास मे कहाँ पड़ा था शून्य जो अब जाकर पसरा हैँ जब अंधेरा फैला हुआ हैँ चारो तरफ और अंधड़ उठ रहे हैँ हवाओ मे उम्र का स्वर्ण युग तो बीत चुका अब और स्वर्ण धूल रही शेष शून्य शोधन मे अब कहा खोजू मै खुद को विकासमान विश्व क़े जीवंत प्रवाह मे शून्य की खोज
"Kumar शायर"
जरा थोड़ी देर मुझ को और सो जाने दो, खुवाहिशो के दरिया में कही मुझ को डूब जाने दो, मंजिले अभी बहोत दूर है, मतलब भरे इस जमाने में, कोई साथ नही देगा यहाँ जब चलना है, खुद अपनी खुशियो के ठीकाने पे. ✍️✍️✍️ "Written:- By Umesh kumar" #खोज मंजिल की
Parasram Arora
मन को शांत करने की कोशिश मे मन और भी ज्यादा अशांत हो जाता है क्योंकि मन को शांत करने वाला पहले से ही अशांत है... इसलिए अशांति दुगनी हो जाने की पूरी संभावना है और अगर ज्यादा कोशिश की जाय शांत होने की तो मन विक्षिप्त भी हो सकता है मन को शांत करने का परम् मार्ग है क़ि मन की धारा क़े पास चुपचाप बैठा जाएऔर एक साक्षी भाव से गवाह बन कर मन की धारा मे बहते हुए विचार शृंखला को बिना निर्णंय लिए बहने दिया जाए ©Parasram Arora # शान्ति की खोज
mrshayar_jp
आज सफर में हमें वो हमसफर मिला जिसे हमने कभी एतनान से तलाशा था वो क्या मेरा मुक्कदर संवारने की बाते करते है जिसे हमने कोयले में हीरे सा तरासा था लोग पूछते है मेरी शायरियो में इतना दर्द क्यों रहता है तो सुनो जिसे शायरी समझ पढ़ लेते हो,वो मैं अपना गम पिरोता हूं लिखते हुए आज भी रोता हूं ,(याद करके ) जो लिखता हु वो तेरा ही किया तमाशा था।। ©jay prakash pandey हमसफर की खोज
Parasram Arora
सत्य को जानने की पध्यतिया है लेकिन इसकी कोई परिभाषा नहीं है जबकि सत्य को कई बार हमारे संतो ने कहने का प्रयास अवश्य किया था उसने अपने हाथ की ऊँगली के इशारे से चाँद दिखाया था नुझे पर मेरी मूढ़ता देखो मैंने उंगलि.को ही चाँद समझ लिया था ©Parasram Arora सत्य की खोज