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Mihir Choudhary
तुमने तो हँस के पूछा था बोलो न कितना प्रेम है बोलो कैसे मैं बतलाता बोलो ना कैसे समझता जब अहसास समंदर होता है तो शब्द नही फिर मिलते हैं उन बेहिसाब से चाहत को कैसे कैसे मैं बतलाता बोलो न कैसे दिखलाता बोलो न कैसे समझता तब भी हिसाब का कच्चा था अब भी हिसाब का कच्चा हूँ जो था वो ना मेरे बस का था अब तो जो हालात हुए उनसे तो मैं अब बेबस हूं अब अंदर -अंदर सब जलता है लावा जैसा सा कुछ पलता है धीमे धीमे कुछ रिसता है कुछ टूट-टूट के पीसता है नस-नस मैं जैसे कुछ खौलता है धड़कन बिजली सा दौड़ता है अब बेहिसाब ये यादे है बस बेहिसाब ये चाहत है बोलो क्या वो प्रेम ही था बोलो न क्या ये प्रेम ही है मिहिर... बिरहा
Anuj Ray
" बिरहा की रातें" न धुंआ न कहीं ,आग जला करती है, बिरहा की रातें यूं ही ,खामोश जला करती हैं जलता है बदन आग की लपटों में,दो बूंद की उम्मीद लिये, बेबसी हाथ मला करती है। फागुन का महीना हो, या घनी सावनी रातें, पिया मिलन की आस में, यूं ही ख़ला करती हैं। ©Anuj Ray #बिरहा की रातें
Deepali Singh
माटी का लाल बारूद बिछाकर बिस्तर सा बंदूक इन बाहों में भरते हैं शोलों को दबाये तकिये सा हम नींद को अगवा करते हैं पलक कभी झपकने न पाए चिंगारी आँखों में चुभाते हैं यह अश्क नहीं अंगारे उगले हम ज्वाला ओढ़ के सोया करते हैं थमती सासों को गिरवी रख हर धड़कन को धोखा देते हैं वो मौत क्या निगलेगी हमको जो जिंदगी को रुसवा करते हैं इस तन की क्या है हैसियत मन मांगे बस माँ की खैरियत मैं शौक से दूँ इसे अपना रक्त ये जान तो है मामूली कीमत कोई दुश्मन क्या मुझको आँकेगा हम तिरंगे से आँख मिलाते हैं खौफ़ मौत का क्या रुलायेगा तेरी ममता के अश्क पिघलाते हैं बस कुछ फ़र्ज़ मुझे निभाने दे थोड़ा कर्ज हमें चुकाने दे ये शीश इन चरणों में रहने दे और आशीष तु यूँही देती रहे। ©Deepali Singh माटी का लाल
Manish Kumar
तुम जिस वृक्ष की पत्ती हो, मैं उस वृक्ष का डाल हूं। तुम पापा की परी हो,। तो मैं भी मां का लाल हूं।। ©Manish Kumar मां का लाल
Parasram Arora
कभी हादसे का जो ज्ञापन हुआ लगा जिन्दगी का समापन हुआ कहाडैड जब बाप को पुत्र ने लगा रिश्तो का ये नयापन हुआ बड़ा हो गया कोई परिवार तो सिमट कर बहुत छोटा आँगन हुआ जरा छींक आई मुझे जब कभी बहुत गीला तब मा का दामन हुआ मा का दामन.... (विजय राठौर )
Ek villain
भाजपा ने अपना 42 वसंता स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया तो इसका एक बड़ा कारण हाल ही में संपन्न पांच राज्य में चुनाव में 4 में से शानदार जीत हासिल करना भी है इसमें उत्तर प्रदेश की थी उससे उसे विशेष ऊर्जा प्रदान की है 1980 में जनसंघ से भाजपा में परिवर्तित हुई इस पार्टी ने बीते 42 वर्ष में सफलता प्राप्त किए हैं वह चमत्कारी है 1983 में भाजपा के पास केवल दो लोकसभा सदस्य थे लेकिन आज उनकी संख्या 300 से अधिक रह गई है और वह सदस्य संख्या के हिसाब से देश की नई दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है राज्यसभा में भी भाजपा ने 100 करोड़ का आंकड़ा छू लिया है इसके अलावा सहयोगी दलों के साथ 18 सप्ताह में मात्र 4 दशक में भाजपा की राजनीति केंद्र बिंदु बन गई है तो इसके पीछे उसके नेताओं की मेहनत में लगन है एक समय भाजपा के शहरी मध्यवर्ग के विचार रखने वाली पार्टी माना जाता था लेकिन आज वह सभी वर्ग प्रतिनिधित्व करती है वैसा करना क्योंकि उसे देश काल और परिस्थितियों के हिसाब से अपनी भी तो बदल ली लेकिन ऐसा करते समय अपनी मूल विचारधारा से समझौता नहीं किया इसकी सफलता का सबसे बड़ा कारण है जहां भाजपा अपनी मूल विचारधारा पर टिके रहना अपना आधार बढ़ाने ©Ek villain #भाजपा का विजय रथ #Love
Govind Khatak
आज अहसास हुआ कि खून का रंग लाल होता है वर्ना हमने तो सोचा क्या पता वो भी तेरी तरह बदल गया हो..😔😔 #NojotoQuote खून का रंग लाल