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RAHUL VERMA
करके मेरे साथ छल वो जीत का जश्न मनाने लगी। बड़ी अजीब है ये दुनिया मेरे साथ हुए 'विश्वासघात ' को लक्ष्मण का हुनर बताने लगी। एक एक सांस मेरे लिए कत्लगाह थी 🏹⚔️🗿⚕️✴️🇱🇰 #इंद्रजीत_वध #मेघनाथ #शक्तिबाण#नागपाश #विश्वासघात #ब्रह्मास्त्र #collab_yqdidi #collabwithme r
MANJEET SINGH THAKRAL
खालसा एड से जुड़े युवा इंद्रजीत सिंह की एक कार दुर्घटना में मौत हो गई। पीड़ित व्यक्तियों के लिए समर्पित इंद्रजीत सिंह ने दिल्ली दंगा पीड़ितो
N S Yadav GoldMine
इंद्रजीत की शक्तियां जो उसने गुरु शुक्राचार्य की सहायता से प्राप्त की आइए जानते हैं इंद्रजीत की शक्तियों के बारे में !! 🌸🌸 {Bolo Ji Radhey Radhey} इंद्रजीत की शक्तियां :- 🎆 इंद्रजीत/ मेघनाथ रावण का सबसे बड़ा पुत्र था जो बचपन से ही अत्यंत शक्तिशाली था। रावण ने अपने पुत्र इंद्रजीत को अविजयी बनाने के लिए कई प्रकार के जतन किये थे। समय के साथ-साथ वह रावण से भी अधिक शक्तिवान होने लगा था। जब वह बड़ा हो गया तब उसने गुरु शुक्राचार्य की सहायता से भगवान शिव, विष्णु व ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए कई यज्ञ किये जिनका रावण को भी नही पता था। रावण पुत्र मेघनाथ की शक्तियां :- मेघनाथ ने मौन धारण कर किया अनुष्ठान :- 🎆 जब रावण को इस बात का पता चला तो वह अनुष्ठान वाली जगह पर पहुंचा व मेघनाथ से पूछा कि वह यह किस शक्ति को प्राप्त करने के लिए ऐसा कर रहा हैं। तब रावण के प्रश्नों का उत्तर गुरु शुक्राचार्य ने दिया क्योंकि इस पूरे अनुष्ठान में मेघनाथ को मौन धारण करना था। गुरु शुक्राचार्य के साथ मेघनाथ ने अपनी कुलदेवी निकुंबला को साक्षी मानकर कुल सात यज्ञो का अनुष्ठान किया था। यह सात यज्ञ थे अग्निष्ठोम, अश्व्मेथ, बहुस्वर्णक, राजसूय, गोहमेध तथा वैष्णव। यह सभी यज्ञ करना एक व्यक्ति के लिए अत्यंत कठिन था किंतु मेघनाथ ने गुरु शुक्राचार्य की सहायता से इन सभी यज्ञो को पूर्ण किया व त्रिदेव को प्रसन्न करके उनसे अनेक वर व शक्तियां प्राप्त की। मेघनाथ की शक्तियां :- 🎆 इन यज्ञों के भलीभांति पूर्ण होने के पश्चात भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश ने उसे दर्शन देकर इस यज्ञ के फलस्वरूप मिलने वाली कई शक्तियां प्रदान की। उसे मिले वरदानों में कुछ प्रमुख वर इस प्रकार थे: तामसी रथ :- 🎆 यह रथ मेघनाथ की इच्छानुसार चल सकता था व आकाश में उड़ भी सकता था। इस रथ को पाने के बाद किसी भी युद्ध में उसकी तीव्रता अत्यधिक बढ़ गयी थी। वह इच्छानुसार अपने रथ को कभी आकाश तो कभी पृथ्वी पर ला सकता था। साथ ही किसी भी दिशा से शत्रु पर प्रहार कर सकने में भी वह सक्षम हो गया था। अक्षय तरकश व दिव्य धनुष :- 🎆 मेघनाथ को दो तरकश भी मिले थे जिनमें कभी भी बाण समाप्त नही होते थे। साथ ही दिव्य धनुष प्राप्त हुआ था। इसकी सहायता से वह बिना थके शत्रु पर बाणों की बौछार कर सकता था। ब्रह्मास्त्र :- 🎆 भगवान ब्रह्मा के द्वारा उसे उनके सबसे बड़े अस्त्र ब्रह्मास्त्र की भी प्राप्ति हुई थी जिसके द्वारा वह किसी भी शत्रु का उसकी सेना समेत समूल नाश कर सकता था। इसी अस्त्र का प्रयोग उन्होंने हनुमान पर किया था। वैष्णव अस्त्र :- 🎆 भगवान विष्णु के सबसे बड़े अस्त्र वैष्णव अस्त्र की भी उसे प्राप्ति हुई थी जो अपने शत्रु को भेदकर ही वापस आता हैं। इसे नारायण अस्त्र भी कहते हैं। पाशुपत अस्त्र :- 🎆 यह भगवान शिव का सबसे बड़ा अस्त्र हैं जिसे उन्होंने प्रसन होकर मेघनाथ को दे दिया था। यह शिव व काली का अस्त्र हैं व इससे हुए विनाश को फिर से ठीक नही किया जा सकता है। 🎆 इन सभी शक्तियों को प्राप्त करने के पश्चात वह रावण से भी अत्यधिक शक्तिशाली योद्धा बन चुका था। भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों के सबसे महान अस्त्र मेघनाथ के पास होने के कारण संपूर्ण विश्व में उससे अधिक शक्तिशाली कोई भी नही था। ब्रह्मा का वरदान :- 🎆 इसके साथ ही उसे भगवान ब्रह्मा से एक वर भी प्राप्त हुआ था जिसे भगवान ब्रह्मा ने इंद्र देव को मेघनाथ के कारावास से मुक्त करवाने के लिए दिया था। उस वर के फलस्वरूप यदि मेघनाथ किसी भी युद्ध पर जाने से पहले अपनी कुलदेवी निकुंबला का यज्ञ कर ले तो उस युद्ध में उसे कोई भी नही परास्त कर सकता है। ©N S Yadav GoldMine #Silence इंद्रजीत की शक्तियां जो उसने गुरु शुक्राचार्य की सहायता से प्राप्त की आइए जानते हैं इंद्रजीत की शक्तियों के बारे में !! 🌸🌸 {Bolo J
Writer Vikas Aznabi
लोग भूल जाते है...... अपनों से हमेशा सावधान रहें..... रावण राम के नहीं बल्कि विभीषण की वजह से मारा गया था..... ऐसा कहने वाले लोग खुद ही विभीषण होते है..... यहाँ भूल जाते है लोग लक्ष्मण के त्याग को, कि कैसे लक्ष्मण ने महल का सुख छोड़, राम के दुःख मे राम के साथ खड़ा था...... लोग भूल जाते है कि - राजा बनने के बाद भी कैसे भरत ने सिंघासन पर राम के चरनपाटुका को रखकर उसकी पूजा किया करता था....... सिर्फ इतना ही नहीं लोग भूल जाते है यहाँ भी कुम्भकरण के बलिदान को जिसको पता था की वो साक्षात् भगवान से लड़ने जा रहा है, उसकी मौत निश्चित है, लेकिन फिर भी कुम्भकरण ने भाई का फ़र्ज निभाया और अपनी मौत से लड़ा..... भूल जाते लोग उस इंद्रजीत को भी, जिसने पिता के सम्मान मे साक्षात् मौत से लड़ा था..... मै कहता हूँ कि भूल जाओ विभीषण को, याद रखो लक्ष्मण,भरत, कुम्भकरण और इंद्रजीत को सुख हो या दुःख परिवार का साथ दो...... #aznabi_36 ~vikas✍ ©Writer Vikas aznabi लोग भूल जाते है...... अपनों से हमेशा सावधान रहें..... रावण राम के नहीं बल्कि विभीषण की वजह से मारा गया था..... ऐसा कहने वाले लोग खुद ही विभ
Sagar Kumar
Divya Joshi
मद में चूर ऐसे रावण जब पापों की गगरी भरते जाते हैं तब तब श्री राम प्रभु अवतार ले धरा पर अवश्य ही आते हैं कुम्भकर्ण इंद्रजीत सहित हुआ सेना का श्री हाथों उद्धार हर एक राक्षस हो पावन स्वतः पहुंच गया श्री वैकुंठ द्वार छल, बल, अनीति का बस क्षणिक होता है अपना प्रभाव सत्य, नीति, कल्याण भाव से ही जीत का होता प्रादुर्भाव कुकर्म, अनाचार,अभिमान की आखिर होती है बस हार श्री राम के हाथों लगते ब्रह्मास्त्र से हर रावण का होता है उद्धार रावण के पास भी तो था अनन्य गुणों का भण्डार बस उसके दुष्कर्मों ने ही पहुँचाया उसे मृत्यु के द्वार अपने अंतर के रावण को मारने की सीख प्रभु ने थी सिखाई श्री राम की सीख पर चलें हम भी, सबको विजयादशमी की बहुत बधाई ©Divya Joshi विजयादशमी मद में चूर ऐसे रावण जब पापों की गगरी भरते जाते हैं तब तब श्री राम प्रभु अवतार ले इस धरा पर अवश्य ही आते हैं कुम्भकर्ण इंद्रजीत स
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} आखिर क्यों हंसने लगा मेघनाद का कटा सिर :- महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित हिंदू धर्मग्रंथ ‘रामायण’ में उल्लेख मिलता है कि रावण के बेटे का नाम मेघनाद था। उसका एक नाम इंद्रजीत भी था। दोनों नाम उसकी बहादुरी के लिए दिए गए थे। दरअसल मेघनाद, इंद्र पर जीत हासिल करने के बाद इंद्रजीत कहलाया। और मेघनाद, का मेघनाद नाम मेघों की आड़ में युद्ध करने के कारण पड़ा। वह एक वीर राक्षस योद्धा था। मेघनाद, श्रीराम और लक्ष्मण को मारना चाहता था। एक युद्ध के दौरान उसने सारे प्रयत्न किए लेकिन वह विफल रहा। इसी युद्ध में लक्ष्मण के घातक बाणों से मेघनाद मारा गया। लक्ष्मण जी ने मेघनाद का सिर उसके शरीर से अलग कर दिया। उसका सिर श्रीराम के आगे रखा गया। उसे वानर और रीछ देखने लगे। तब श्रीराम ने कहा, ‘इसके सिर को संभाल कर रखो। दरअसल, श्रीराम मेघनाद की मृत्यु की सूचना मेघनाद की पत्नी सुलोचना को देना चाहते थे। उन्होंने मेघनाद की एक भुजा को, बाण के द्वारा मेघनाद के महल में पहुंचा दिया। वह भुजा जब मेघनाद की पत्नी सुलोचना ने देखी तो उसे विश्वास नहीं हुआ कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है। उसने भुजा से कहा अगर तुम वास्तव में मेघनाद की भुजा हो तो मेरी दुविधा को लिखकर दूर करो। सुलोचना का इतना कहते ही भुजा हरकत करने लगी, तब एक सेविका ने उस भुजा को खड़िया लाकर हाथ में रख दी। उस कटे हुए हाथ ने आंगन में लक्ष्मण जी के प्रशंसा के शब्द लिख दिए। अब सुलोचना को विश्वास हो गया कि युद्ध में उसका पति मारा गया है। सुलोचना इस समाचार को सुनकर रोने लगीं। फिर वह रथ में बैठकर रावण से मिलने चल पड़ी। रावण को सुलोचना ने, मेघनाद का कटा हुआ हाथ दिखाया और अपने पति का सिर मांगा। सुलोचना रावण से बोली कि अब में एक पल भी जीवित नहीं रहना चाहती में पति के साथ ही सती होना चाहती हूं। तब रावण ने कहा, ‘पुत्री चार घड़ी प्रतिक्षा करो में मेघनाद का सिर शत्रु के सिर के साथ लेकर आता हूं। लेकिन सुलोचना को रावण की बात पर विश्वास नहीं हुआ। तब सुलोचना मंदोदरी के पास गई। तब मंदोदरी ने कहा तुम राम के पास जाओ, वह बहुत दयालु हैं’। सुलोचना जब राम के पास पहुंची तो उसका परिचय विभीषण ने करवाया। सुलोचना ने राम से कहा, ‘हे राम में आपकी शरण में आई हूं। मेरे पति का सिर मुझे लौटा दें ताकि में सती हो सकूं। राम सुलोचना की दशा देखकर दुखी हो गए। उन्होंने कहा कि मैं तुम्हारे पति को अभी जीवित कर देता हूं’। इस बीच उसने अपनी आप-बीती भी सुनाई। सुलोचना ने कहा कि, ‘मैं नहीं चाहती कि मेरे पति जीवित होकर संसार के कष्टों को भोगें। मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि आपके दर्शन हो गए। मेरा जन्म सार्थक हो गया। अब जीवित रहने की कोई इच्छा नहीं’। राम के कहने पर सुग्रीव मेघनाद का सिर ले आए। लेकिन उनके मन में यह आशंका थी कि कि मेघनाद के कटे हाथ ने लक्ष्मण का गुणगान कैसे किया। सुग्रीव से रहा नहीं गया और उन्होंने कहा में सुलोचना की बात को तभी सच मानूंगा जब यह नरमुंड हंसेगा। सुलोचना के सतीत्व की यह बहुत बड़ी परीक्षा थी। उसने कटे हुए सिर से कहा, ‘हे स्वामी! ज्लदी हंसिए, वरना आपके हाथ ने जो लिखा है, उसे ये सब सत्य नहीं मानेंगे। इतना सुनते ही मेघनाद का कटा सिर जोर-जोर से हंसने लगा। इस तरह सुलोचना अपने पति की कटा हुए सिर लेकर चली गईं’। ©N S Yadav GoldMine #Colors {Bolo Ji Radhey Radhey} आखिर क्यों हंसने लगा मेघनाद का कटा सिर :- महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित हिंदू धर्मग्रंथ ‘रामायण’ में उल्लेख मि
Laxmikant shukl
a nationwide short story contest. write a story on characters of devalika and be a Published author now. email your story devalikacontest@gmail.com for more details read full post. --- पात्र हमारा कहानी आपकी-- "अखिल भारतीय पात्र लघु कथा लेखन प्रतियोगिता 2020" इस प्रतियोगिता का उद्देश्य आपके लेखन कौशल को समाज के सामने ल
Laxmikant shukl
आप की कहानी आपकी ही जुबानी लिखिए और बनिए कलम के जादूगर email devalikacontest@gmail.com #devalika --- पात्र हमारा कहानी आपकी-- "अखिल भारतीय पात्र लघु कथा लेखन प्रतियोगिता 2020" इस प्रतियोगिता का उद्देश्य आपके लेखन कौशल को समाज