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Nawaz Malik (Ravi Kishan)
#mai_bekhabar
मेरी पहली कहानी का दूसरा भाग प्रस्तुत है, तीसरा और आखरी भाग जल्द से जल्द आपके सामने लाने की कोशिश रहेगी. तीनो भागो को पढ़ने के लिए आप इस hashtag का इस्तेमाल कर सकते है #bekhabar_stories पहली कमाई - भाग 2 मुझे करीब 10 मिनट लगे शेख बाज़ार पहुँचने मे. लिस्ट पहले से तैयार थी तो मै सबसे पहले हलवाई की दुकान पे गया और उनसे पूछा "भाईसाब लड्डू कितने
Hrishabh Trivedi
DDLJ 2.0 Chapter 5:- पंखुड़ी शेष भाग 👉 #hr_ddlj (पहले उन्हें पढ़े) डाइनिंग टेबल पर लंच करने के लिए तीनों सीता, गीता और सुनीता अर्थात सिमरन, छुटकी और नव्या बैठे हुए हैं।
KAVI VINIT BADSIWAL
तेरे आने से जीवन में हुई हलचल को मैं पन्ने पर उतार चुका हूं, असल में मेरे इस दिल कि गहराई को भी मैं भाप चुका हूं।।1।। मेरा दिल अब तुम्हें अच्छे से जानने लगा है, ये खुद को तुम्हारा ही मानने लगा है।।2।। मेरा दिल जमाने को भी तुम्हारा ही राग अलापता है, कैसे समझाऊं इसको कि ये सब बस एक ख्वाब-सा है।।3।। मेरा ये ज़िद्दी दिल तुमसे कुछ इस तरह आकर्षित है, मानों प्रकृति कि बाकी चीजें इसके लिए प्रतिकर्षित है।।4।। तुम्हारा नाम सुनते ही यह इस तरह हों जाता है शिथिल, मानों खुद में ही सिध्दांत बनाता कैसे सकती हो इसको तुम मिल।।5।। कभी कभी ये खुद कि हि गहराइयों में खो जाता है, और खुद हि खुद में भावुक भी हो जाता है।।6।। जिस दिन ये तेरे प्रेम के समुद्र कि लहरों को सह नहीं पाता है, उस दिन मेरा ये ज़िद्दी दिल फिर कवि बन जाता है।।7।। #अनदेखा प्रेम #भाग 8 #आखिरी अध्याय
Mohit
ये शाम आखिरी न हो मकाम आखिरी न हो आ ज़ुल्फ छेड़ता चलूं ओ गाल चूमता चलूं ©Mohit आखिरी आखिरी #Love
Author Harsh Ranjan
बच्चों के लिए वो विस्तृत खेल-मैदान है, पिता के लिए बरामदे और छत का फर्श, माँ के लिये वो गोसाई घर की जमीन है, एक स्त्री के लिए वो उसका निष्कंटक राज्य! किसी ने उस छाती के भीतर की धधकती जमीन नहीं देखी। किसी ने नहीं जाना उस अथाह दलदल को! न उसमें सुलगते डायनामाइट देखे, न वो बीस योजन की गर्त! पिघले हुए लावे का सैलाब है या किसी ब्लैक होल की अंधी सुरंग! सारी पेचीदगियों को किनारे करते हुए वक़्त एक-एक कर उसके पिंजर तोड़ती है! घनी धुंध छाई है इस रोशन बस्ती में जिंदगियां अभागेपन के सफेद लिबास ओढ़ती हैं! मर गया मुर्दों को बेसहारा छोड़कर, ये चर्चाएं सूख चुकी नसों को आखिरी बार खीज में, यथासंभव निचोड़ती हैं। आखिरी
G.S
एक बार मुलाकात तो करना, आखिरी बार ही सही पर बात तो करना, मोहब्बत ना सही जनाब, आखिरी बार ही सही पर अहसास तो करना ।। ©G.S #आखिरी
S. ansari
लाश हू मै अब दफना भी डालो यही आखरी रसम बची है इसे निभा भी डालो Shifa Ansari आखिरी ,,,,,
Author Harsh Ranjan
बच्चों के लिए वो विस्तृत खेल-मैदान है, पिता के लिए बरामदे और छत का फर्श, माँ के लिये वो गोसाई घर की जमीन है, एक स्त्री के लिए वो उसका निष्कंटक राज्य! किसी ने उस छाती के भीतर की धधकती जमीन नहीं देखी। किसी ने नहीं जाना उस अथाह दलदल को! न उसमें सुलगते डायनामाइट देखे, न वो बीस योजन की गर्त! पिघले हुए लावे का सैलाब है या किसी ब्लैक होल की अंधी सुरंग! सारी पेचीदगियों को किनारे करते हुए वक़्त एक-एक कर उसके पिंजर तोड़ती है! घनी धुंध छाई है इस रोशन बस्ती में जिंदगियां अभागेपन के सफेद लिबास ओढ़ती हैं! मर गया मुर्दों को बेसहारा छोड़कर, ये चर्चाएं सूख चुकी नसों को आखिरी बार खीज में, यथासंभव निचोड़ती हैं। आखिरी