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DR. LAVKESH GANDHI
आपदा गरीबों के लिए आपदा अभिशाप होती है और अमीरों के लिए आपदा वरदान बन जाती है #आपदा # #आपदाप्रबंधन # #yqavsar#yqbaba
DR. LAVKESH GANDHI
आपदा के मायने किसी के लिए आपदा शोक है तो किसी के लिए आपदा अवसर किसी का सब कुछ लूट जाता है तो किसी को बहुत कुछ मिल जाता है जनता आपदा का नाम सुनकर घबराती है तो ऑफिसर आपदा का नाम सुनकर खुश हो जाता है क्योंकि उसको बहुत कुछ मिल जाता है #आपदा # #आपदाप्रबंधन # #yqloot #yqquotes #
DR. LAVKESH GANDHI
आपदा लूट कहीं भगदड़ ,कहीं लूट मची है जिसे जहाँ भी मौका लग रहा है खुलेआम चौका-छक्का लगा रहा है #आपदा लूट # #आपदाकहानी # #yqrajniti #yqaapdalut #
DR. LAVKESH GANDHI
आपदा यह कैसी आपदा है आयी अपनों से अपनों में दूरी बढ़ाई भारतीय सभ्यता को विश्व भर में फिर से स्थापित करवाई नमस्ते की महत्ता बतलाई जैनी मास्क की महत्ता समझाई देह से देह की दूरी अर्थात सोशल डिस्टेंसिंग को समझाई #आपदा #आपदाकहानी # #आपदा या मौत # #yqmout #yqaapda jindgi ki #
DR. LAVKESH GANDHI
आपदा आपदा में गरीब और गरीब हो गये माध्यम वर्ग तो बेसहारा और गरीब हो गये कोई है जो आपदा में लूट कर महान हो गये सियासत भी चमक रही है खूब है आपदा में अलग #आपदा # #आपदाप्रबंधन की कहानी # #yqaapdakal #yqlife#
ज्योति सिंह
ज़मीनी हकीकत में बारिशें कविताओं जितनी सुंदर नहीं हुआ करती - ज्योति जलीय आपदाएं मानसूनी आपदाएं #baarish
hãmräj jhâ
उतराखंड सी हो गई है जिंदगी ख़ूबसूरत तो बहुत है पर आपदाएं भी बहुत है. ©hãmräj jhâ आपदाएं 🙄 #Uttarakhand
Kavita jayesh Panot
एक सीख (कोरोना और प्राकृतिक आपदाएं) सुबह के 7 बज रहे थे। आँख खुली ही थी , और हॉस्पिटल से फोन आया , डॉक्टर जल्दी आ जाइये , आई सी यू का ऑक्सीजन सप्लाई कम हो रहा है। सारे मरीज ऑक्सीजन कम होने की वजह से , स्वांस लेने में तकलीफ महसूस कर रहे है। और 4 मरीज तो भगवान को प्यारे हो गए। सुनकर जल्दी तैयार हो डॉक्टर हॉस्पिटल को भागे। पिछले दिन रात को मध्यरात्री 3 बजे सुबह घर आने पर पत्नी ने पूछा क्यो आज इतना देरी से, जरा खाना तो वक्त पर खा लिया करो। तभी मुस्कुराते हुए बोले , खाना ही देरी से खा रहा हूँ ना। कई लोग तो ऐसे है जिन्हें अब स्वांस लेने के लिए हवा ही नही नसीब होती। तभी सारी बात बताते कहा , आज दिन भर से मेहनत के बाद 50 ऑक्सीजन सिलेंडरो की व्यवस्था हो पाई। नये आई सी यू के लिए . जहाँ 50 मरीज भर्ती किये थे। आजकल ऑक्सीजन भी सप्लाई में नही है । ऐसे दिन आ गए ....... बस इतना बोल कर वो सो गए लेकिन में घंटो विचार करती रही। औरआँख खुली तो सुबह हो गई ,और सुबह सुबह ये खयाल आया , की ये सब क्या है सिर्फ एक महामारी नही अपितु प्रकृति का प्रकोप भी है। इंसानों ने अपने स्वार्थ के लिए वृक्ष काटे और इमारते बनाई। और निरंतर अपने स्वार्थ के लिए वृक्षों का हनन कर रहे है। न सिर्फ " वृक्ष " पशु , पक्षियों को भी अपनी मनसा का शिकार किया है। शायद इसीलिये इंसान आज घरों में कैद है, और स्वांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नही। अगर ऐसा निरन्तर चलता रहा तो , वह दिन दूर नही जब हमें अपनी प्राथमिक जरूरते, खाना, पानी, हवा, अग्नि, और घर सभी के लिए मोहताज होना पड़ेगा। बात छोटी सी है, हम आये दिन समाचार पत्रों में पढ़ते है, सुनते है। लेकिन इस पर गहनता से विचार नही किया होगा। और यदि किया होगा तो कभी इसके लिए कोई प्रयास नही किया होगा। यह घटना हमारे लिए एक चेतावनी है। हर एक व्यक्ति का यह कर्तव्य है , जो इस बात की गहराई को समझे । इस बात को सभी लेखकों के समक्ष यथावत लेकर आने का मकसद सिर्फ यही है, अपनी अपनी कलम की धार से जनसाधारण के दिल में इस विषय को लेकर संवेदना जगाये। अगर ये कोई कविता होती तो , आप सभी इसे पढ़ कर अपना प्यार दे देते इसीलिए ----- मैने अपनी संवेदनाओं को कोई आकार और विधा का रूप नही दिया। आप सभी जितना इस पर विचार कर सकते है, जितना लोगो के दिलों तक यह बात जिस भी माध्यम से पहुँचा सकते है। यह विषय सभी के लिए एक चुनोती है। और एक प्रकृति का हम सभी के लिए संदेश । तो उठिए ....... अपने अंदर के लेखक को जगाइए. लोगो तक ये घटना की गहराई पहुँचाइए ताकी सभी समझ सके, अस्पतालों में भी मरीज सुरक्षित नही है। और उसका कारण मानव द्वारा प्रकृति में छेड़ छाड़ से है। अपना जीवन अपने हाथों में है। बिना हवा डॉक्टर भी कुछ नही कर सकते। कविता जयेश पनोत ©Kavita jayesh Panot प्राकृतिक आपदाएं#कोरोना