Find the Latest Status about सायबाँ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, सायबाँ.
FIROZ KHAN ALFAAZ
इश्क़ भी करता हूँ, सुकून भी चाहता हूँ, सहरा के सफ़र में मैं सायबाँ ढूँढता हूँ ! -1 ग़म न कर जो कोई इल्ज़ाम मैं तुझको दे दूँ, ऐ बेवफ़ा ग़ज़ल, मैं तेरा क़ाफ़िया ढूंढता हूँ ! -2 झूठी हंसी का बोझ अब उठता नहीं मुझसे, ज़िन्दगी को फिर कोई कहकहा चाहिए ! -3 क्यूँ लग गई है मेरी ख़ुशियों को बद-नज़र, हँसता तो हूँ पर अब दिल से हँसता मैं नहीं हूँ ! -4 एक राज़ कहते-कहते मैं रुक जाता था अक्सर, लेकिन ग़ज़ल में ज़ाहिर हर राज़ हो गया ! -5 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर, प्रोपर औरंगाबाद बिहार इश्क़ भी करता हूँ, सुकून भी चाहता हूँ, सहरा के सफ़र में मैं सायबाँ ढूँढता हूँ ! -1 ग़म न कर जो कोई इल्ज़ाम मैं तुझको दे दूँ, ऐ बेवफ़ा ग़ज़ल, मैं त
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
🥰🥰मेरी मां 😘😘 एक अजीम हस्ती है जो मेरी जन्नत,वो है,जो मेरी किस्मत, वो जो मेरी हर कामयाबी के लिए हमेशा मांगती है मेरे लिए मन्नत,वो बुलंद हस्ती है मेरी माँ//१ औलाद की ख़ातिर मिट के कितनी साबरा है मेरी माँ हम को सींचा ख़ून से,अब ख़ुद ख़िज़ाँ है मेरी माँ//२ मेरी हर तकलीफ़ को ख़ुद अपने सर पर,लेले सदा, सेहरा-ए-हालात में इक सायबाँ है मेरी माँ //३ उसकी मौजूदगी से खुशनुमा हैं मेरे सारे रंज-ओ-मलाल, मेरी बाइसे कुशादगी इकलौती ढाल है मेरी माँ //४ बन गई है हमख्याल वो मेरे लिए,कि अब तो सखी सहेली के जैसी हमजूबान है मेरी माँ//५ गम कोई दे जाए,या कोई करे बेहुरमती,तो लगे हाथ दिल तड़प कर,मैं पूछ बैठूं,कहाँ है मेरी माँ //६ मेरे वजूद में आती है अब पूरी झलक उसकी,कि वो मेरे वजूद के गोशे_गोशे में समाई है मेरी माँ//७ "शमा"मांगा है मन्नतों से जिन पिसर को,लूटा सारी ममता,जिन्हे पाला नाज से आज उन्ही पिसर के वास्ते बार-ए-गरां है मेरी माँ //८ ShamawritesBebaak ©shama writes Bebaak 🥰🥰मेरी मां 😘😘 एक अजीम हस्ती जो मेरी जन्नत,वो है,जो मेरी किस्मत,वो जो मेरी हर कामयाबी के लिए हमेशा मांगती है मेरे लिए मन्नत,वो बुलंद हस्ती ह
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Happy mothers Day 🥰🥰मेरी_मां 😘😘 एक अजीम हस्ती जो मेरी जन्नत,वो है, जो मेरी किस्मत,वो जो मेरी हर कामयाबी के लिए हमेशा मांगती है मेरे लिए मन्नत,वो बुलंद हस्ती है मेरी माँ//१ औलाद की ख़ातिर मिट के कितनी साबरा है मेरी माँ हम को सींचा ख़ून से,अब ख़ुद ख़िज़ाँ है मेरी माँ//२ मेरी हर तकलीफ़ को ख़ुद अपने सर पर,लेले सदा, सेहरा-ए-हालात में इक सायबाँ है मेरी माँ //३ उसकी मौजूदगी से खुशनुमा हैं मेरे सारे रंज-ओ-मलाल, मेरी बाइसे कुशादगी इकलौती ढाल है मेरी माँ //४ बन गई है हमख्याल वो मेरे लिए,कि अब तो सखी सहेली के जैसी हमजूबान है मेरी माँ//५ गम कोई दे जाए,या कोई करे बेहुरमती,तो लगे हाथ दिल तड़प कर,मैं पूछ बैठूं,कहाँ है मेरी माँ //६ मेरे वजूद में आती है अब पूरी झलक उसकी ,कि वो मेरे वजूद के गोशे_गोशे में समाई है मेरी माँ//७ "शमा"मांगा है मन्नतों से जिन पिसर को,लूटा सारी ममता,जिन्हे पाला नाज से आज उन्ही पिसर के वास्ते बार-ए-गरां है मेरी माँ //८ ShamawritesBebaak ©shama writes Bebaak 🥰🥰मेरी_मां 😘😘 एक अजीम हस्ती जो मेरी जन्नत,वो है,जो मेरी किस्मत,वो जो मेरी हर कामयाबी के लिए हमेशा मांगती है मेरे लिए मन्नत,वो बुलंद हस्ती ह
FIROZ KHAN ALFAAZ
शम्माओं को इल्ज़ाम न दो, उनका तो काम जलाना है ! -1 लहरों का ठिकाना कोई नहीं, कश्ती के किनारे होते हैं ! -2 दुनिया से जो मैंने सीखा है, काग़ज़ पे नक़्ल कर देता हूँ -3 ठोकर के सिवा क्या पायेगा, पत्थर की इबादत ठीक नहीं ! -4 न अपनी छत न अपनी ज़मीं है, शहर में एक मकाँ सा हो गया हूँ ! -5 ख़िज़ाँ की धूप में झुलस कर, शजर एक सायबाँ सा हो गया हूँ ! -6 जहाँ कोई क़दम न पहुँचा हो, ‘अल्फ़ाज़’ की वही तो मंज़िल है ! -7 बात उसकी चली तो ये याद आ गया, इश्क़ मैं भी तो अब उससे करता नहीं ! -8 तुझको भी कोई मेरी ख़बर देता, काश ज़ख़्म तेरा भी कोई हरा होता ! -9 ज़िन्दगी तरह-तरह से आज़माएगी, तुम भी हर क़िस्म की तैयारी रखना ! -10 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर ,प्रोपर औरंगाबाद,बिहार स0स0-9231/2017 शम्माओं को इल्ज़ाम न दो, उनका तो काम जलाना है ! -1 लहरों का ठिकाना कोई नहीं, कश्ती के किनारे होते हैं ! -2 दुनिया से जो मैंने सीखा है, काग़ज़
FIROZ KHAN ALFAAZ
मेरे ऐब को भी लोग मेरी अदा समझें, मुकम्मल मैं कुछ इस तरह हो जाऊं! -1 बिन बोले जिसे सब समझ जाते थे, बे-लफ्ज़ वही बचपन की ज़बाँ चाहिए ! -2 ख़ुद की आग में जलके मैं मुनव्वर हूँ, मैं कहाँ परवाना किसी शमा का हूँ ! -3 कैसे भूलूँ मैं तुझे, ओ मुझको भूलने वाले, उम्र-ए-दराज़ का तू गिला दे गया मुझे ! -4 इश्क़ भी करता हूँ, सुकून भी चाहता हूँ, सहरा के सफ़र में मैं सायबाँ ढूँढता हूँ ! -5 क्या अजब चाहत थी, क्या ग़ज़ब दुश्वारी थी, घर मेरा मिट्टी का था, बरसात से मेरी यारी थी ! -6 चलो चाँद में तकें फ़िर से उनके चेहरे को, चलो फ़िर रात को जाग के बिताया जाए ! -7 एक बादल का टुकड़ा देखा तो याद आया, जाने वाले फ़िर नहीं लौट कर आने वाले !!! -8 सिर्फ़ गुलदस्ते, गुब्बारे और खिलौने ही नहीं, बचपन फुटपाथ पर बचपन भी बेचता है “ -9 है क्या वजह जिसने मुझसे शायर बना डाला, मत पूछ कि मेरा ज़ख़्म हरा हो सकता है ! -10 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर प्रोपर औरंगाबाद बिहार स0स0-9231/2017 मेरे ऐब को भी लोग मेरी अदा समझें, मुकम्मल मैं कुछ इस तरह हो जाऊं! -1 बिन बोले जिसे सब समझ जाते थे, बे-लफ्ज़ वही बचपन की ज़बाँ चाहिए ! -2 ख़ुद
Manjeet Sharma 'Meera'
रक़ीबों की गली में ही सनम का आशियाँ क्यूँ हो। मुहब्बत करने वालों के क़यामत दरमियाँ क्यूँ हो ख़ुदा जब जोड़ियाँ सबकी मुहब्बत से बनाता है फ़क़त दायज़ के लालच में यहाँ सूद-ओ-ज़ियाँ क्यूँ हो। मुहब्बत तो मुहब्बत है यहाँ ग़म का न कोई काम समझ ली बात जिसने ये उसे आह-ओ-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो। करेला लाख कड़वा हो मगर गुण में है ये मीठा यक़ीं तुमको नहीं है गर तो फिर हमको गुमां क्यूँ हो। किसी के साथ होने से मुसीबत गर नहीं टलती तो फिर सैलाब में कश्ती तपन में सायबाँ क्यूँ हो। हमारी शान में तुमने अगर की कोई गुस्ताख़ी तो पहले सी हमारे दरमियाँ शीरीं ज़बां क्यूँ हो। मुसव्विर है वो दुनिया का मुसव्विर है तू दुनिया में नक़ल की तुझमें गर क़ुव्वत ख़ुदा की दास्ताँ क्यूँ हो। तुम्हारी बे-वफ़ाई का तो चर्चा तक नहीं होता हमारी बा-वफ़ाई का भी 'मीरा' इम्तिहाँ क्यूँ हो। *** #ग़ज़ल 1222 1222 1222 1222 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 रक़ीबों की गली में ही सनम का आशियाँ क्यूँ हो। मुहब्बत करने वालों के क़यामत दरमियाँ क्यूँ हो ख़ुद