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Kajal The Poetry Writer
हां मैं थोड़ी सी भोली हूं, मुंह से भी बड़बोली हूं।। क्योंकि लोगो को मैं वो सोचने का अवसर देती हूं,, जो वो वास्तव में अपने व्यक्तित्व के स्तर पर अधिकतम सोच सकते हैं।। Afterall Professor हूं,, Homework तो दूंगी ही।। ©KAJAL The Poetry Writer प्रोफेसर हुं होमवर्क तो दूंगी ही😂
Nilesh kushwaha
मेरे शिक्षक ये सारे इंजीनियर थे प्रोफेसर बनकर आ गए, खुद इंजीनियर न बन पाये और हमें बनाने आ गए। #NojotoQuote #ये सारे इंजीनियर थे प्रोफेसर बनकर आ गए
kishan mahant
एक स्टूडेंट प्रोफेसर से कहता है आप मेरी इतनी मदद क्यों कर रहे है प्रोफेसर बोले कई बार वहीं लोग जिन्हें कुछ काबिल नहीं समझते वो लोग कुछ ऐसा कर जाते है जो कोई ना कर सके # प्रोफेसर अपने स्टूडेंट के उपर भरोसा करते हैं
Mahendra Bandhu
बात को समझिये फ़िर तर्क कुतर्क करिये रसखान रहीम के इस देश में ये कैसा कुतर्क है कि मुस्लिम संस्कृत नहीं पढ़ा सकता.? संस्कृत जैसे विषय में जहां एकेडमिक करियर का स्कोप बेहद छोटा होता है, वहां कोई मुस्लिम आखिर बिना संस्कृत में रुचि के संस्कृत इस स्तर तक क्यों पढ़ेगा कि वो प्रोफेसर हो सके.? और अगर किसी व्यक्ति में इतना समर्पण है तो ये क्या मायने रखता है कि व्यक्ति का धर्म क्या है.? कई हिन्दू अलग अलग जगहों पर अरबी, उर्दू, फारसी के टीचर हैं और कई मुस्लिम संस्कृत पढ़ा रहे हैं.! B H U छात्र मुस्लिम प्रोफेसर के संस्कृत पढ़ाने का विरोध नही कर है। दरअसल, BHU में किसी भी दूसरी यूनिवर्सिटी की तरह एक संस्कृत का विभाग है। लेकिन महामना के इस विद्या केंद्र में बाकी विश्वविद्यालयों से अलग एक अतिरिक्त संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय है। फिरोज खान की नियुक्ति संस्कृत विभाग में नहीं धर्म विज्ञान संकाय में हुई है। धर्म विज्ञान संकाय वो विभाग है जहां मुख्यतः संस्कृत भाषा की पढ़ाई नहीं, वैदिक कर्मकाण्ड और पूजा पद्धति का प्रशिक्षण होता है। सरल भाषा में - धर्म विज्ञान संकाय में पुजारी, पुरोहित, धर्मगुरु बनने का प्रशिक्षण होता है। छात्रों का कहना है कि संस्कृत भाषा कोई भी व्यक्ति पढ़ा सकता है, लेकिन धर्मगुरु बनने का प्रशिक्षण वो कैसे दे सकता है जो खुद उस धर्म का है ही नहीं.!! अरबी, फारसी कोई हिन्दू मुस्लिम ईसाई पढ़ा सकता है, लेकिन मौलवी, काज़ी बनने नमाज़ पढ़ने की ट्रेनिंग वो कैसे देगा जो खुद एक बार भी नमाज़ अदा न करता हो.! जैसे कि बैपटाइजेशन करने की ट्रेनिंग कोई हिन्दू बौद्ध जैन गुरु नहीं दे सकता भले ही वो खुद कितना भी जानकार क्यों न हो.!! छात्रों का तर्क है कि सेना में सभी धर्मो के धर्मगुरुओं की पोस्ट निकलती है और किसी धर्म के धर्मगुरु की पोस्ट के लिए उसी धर्म का अनुयाई ही आवेदन कर सकता है। इसमें आपत्ति का क्या विषय है। लिहाजा फिरोज़ खान को धर्म विज्ञान विभाग की जगह संस्कृत विभाग में अपॉइंटमेंट दे दिया जाए जहां वो संस्कृत पढ़ाएं। ये छात्रों के तर्क हैं। आप इस तर्क से भी इनकार नहीं कर सकते कि विचारधारा बुद्धि और हृदय संचालित होती है। धार्मिक विचारधारा को कोई ऐसा व्यक्ति जो स्वयं किसी और विचारधारा का मानने वाला हो वह कैसे उसकी दीक्षा दे सकता है? निष्कर्ष आप निकाल सकते हैं। लेकिन निष्कर्ष निकालते समय धैर्य आवश्यक है। संस्कृत में धैर्य और धर्म एक ही 'धारण' क्रिया से बने हैं। धर्म की व्युत्पत्ति है- "धार्यते इति धर्मः"। अर्थात् जो धारण करे वो धर्म है। इसलिए धैर्य हर जगह आवश्यक है, लेकिन धर्म के विषय में धैर्य विशेष आवश्यक है.! संस्कृत विद्या धर्म संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर नियुक्ति विवाद
Kr Simpal
सिंगल रहना एक कला है, और मैं इस कला का प्रोफ़ेसर हूं। ©Kr Simpal मैं इस कला का प्रोफ़ेसर हूं। #Rose @nojoto
SAURABH MAHENDRA VISHWAKARMA
CalmKazi
अंबार लगा है ग़मों का बरामदे में कल ज़िक्रों में धुआँ किए। ये हफ़्ता इकट्ठे हो जाएँगे कुछ और अगली महफ़िल में काम आएँगे। प्रॉसेस #CalmKaziShorts Series #CalmKaziWrites #YQBaba #YqDidi #Liners #Shorts