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शिवम मानव

मानव मानवता

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Pushpendra Pankaj

मानव/मानवता #कविता

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मानव/मानवता 
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चंचल मन की एक शिकायत मुझसे भी है, 
क्यों इतनी गंभीर बना डाली है सूरत ।
तुम मनुष्य हो,और दिलो मे धङकन जीवित ।
स्थिर गुमसुम ऐसे क्यों बैठे, जैसे मूरत ।
मानव के स्वभाव में बसती व्यवहारिकता ,
मेल-मिलाप का आधार हमारी सामाजिकता ।
फिर अपनी पहचान से बचकर भाग रहे क्यों, 
बिन मानवता मानव लगने लगता बदसूरत ।।
पुष्पेन्द्र पंकज

©Pushpendra Pankaj मानव/मानवता

Rajendra Prasad Pandey Kavi

#मानव ने मानवता छोंडी #कविता

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Rajendra Kumar Ratnesh

मानव ही मानवता का विनाशक है । #कविता

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Alone  वाह रे मानव,
तू कितना क्रूर है ।
कर खिलवाड़ प्रकृति से,
फिर भी तुझे गूरुर है ।
कृत्य तुम्हारे मचाये शोर
देख तू महाविनाश चहुंओर ।
पूर्ण मानवजाति आज त्रस्त है,
प्रकृति के आगे सभी पस्त है ।
तू देख तुम्हारे कृत्य 
कितना मुस्तैद है,
इसलिये तो तू आज 
स्वयं घर में कैद है ।
                       -राजेंद्र कुमार रत्नेश 
                          रामविशनपुर,राघोपुर 
                            सुपौल (बिहार)8521111 मानव ही मानवता का विनाशक है ।

AMAN RAJ SINHA

कोसिसी #nojotophoto

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 कोसिसी

Nagendra Chaturvedi

हम विकसित हुए मानव सभ्यता के साथ,
गांव के कच्चे टपरे भी अब पक्के मकानों में हो रहे हैं तब्दील, 
बाहर खुले में शौंच जाना हम कर रहे हैं बंद और बन रहे हैं पक्के शौचालय।

बड़े शहरों ने अपना लिए हैं गर्म-ठंडे पानी की सहूलियत वाले गुसलखाने, 
छूने भर से खुलने वाले दरवाज़े, स्वचलित सीढ़ियां और जेट स्प्रे, टिश्यू पेपर, हैंडवाश।

पर विश्वशक्ति की दौड़ में शामिल हमारा देश अभी नहीं सोच पा रहा है
सर पर मैला ढोने वालों के लिए, गले-गले तक भरे टट्टी के टैंक में उतरकर 
उन्हें हाथ से साफ करने वाले कहने के इंसानों के लिए जिन्हें अंग्रेजी में
मैन्युअल स्कैवेंजर कहते हैं।

विकासशील देश से विकसित होते देश के लिए अग्रसर हमनें 
विलुप्त होते जानवरों के लिए इज़ाद कर लिए हैं रेडियो कालर
ताकि रखी जा सके उनपर नज़र पर अभी मानवमल को साफ करने वाले इंसान 
जो गंवा देते हैं जान एक सांस में, उनके बारे में सोचना बाकी है।

जीडीपी और हर स्तर के विश्व सूचकांक में दशमलव की संख्या के मायने हैं
पर पता नहीं क्यों इनकी सालाना मौतों के आंकड़े पर नहीं होती कोई हलचल।

व्हाई डिड कोलावरी-कोलावेरी डी और प्रिया प्रकाश वारियर के मोहनी आंख 
मारने वाले दृश्यों को मिलने वाले करोड़ों व्यूज के इस देश में मैला सफाईकर्मियों
 के लिए क्यों नहीं हैं कोई संवेदनशील।

जब आपको अपने जूते पे लगा गोबर तनाव दे जाता है तो अतराते मल में 
डूबे ये इंसान क्यों आपके ज़हन में नहीं खटकते?

याद रखिये भारत को चमकाने में सबसे पहले योगदान इनका ही है 
पर ये हमारे दिल और दिमाग पर जमा गंदगी साफ नहीं कर सकते।

©नगेन्द्र #मैला 
#सफाई 
#सफाईकर्मी 
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#मानवता 
#सरकार
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