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yogesh atmaram ambawale
सर्वांची हिच व्यथा आहे, की फक्त माझीच रडकथा आहे. कितीही कमवा महागाई काही जगू देत नाही, कितीही प्रयत्न केले तरी शिल्लक काही राहत नाही. समजत नाही ह्या महागाईच्या बैलाला घालावे कसे वेसन, सर्व काही वाढत आहे सोडूनी फक्त वेतन. दोघेही कमावत आहेत तरी कमीच पडत आहे, ह्या कमीपणामुळेच सतत वाद घडत आहे. नको वाद म्हणुन पगारांचा केला हिस्सा, माझा घरखर्च तर तिचा खर्च मुलांच्या शिक्षणाचा. तिचेही बरोबर आहे नि मी हि कुठे चुकत नाही, ईतकी समज असताना सुद्धा खर्चावरुन वाद काही मिटत नाही. शेवटी सवाल एकच ऊरतो ज्याचे ऊत्तर काही मिळत नाही, ईतका समंजसपणा आणि ईतकी काटकसर करूनही शिल्लक काही ऊरत नाही. #नवराबायको#भांडण#yqtaai#yqmarathi#marathi#collab सर्वांची हिच व्यथा आहे, की फक्त माझीच रडकथा आहे. कितीही कमवा महागाई काही जगू देत नाही, क
✍ अमितेश निषाद
अब हमहू बनब नेता जी भौकाल रही खूब टाइट जी खद्दर पहिर के खूब रोब छाड़ब कुछ लोगवा सहमल कुछ रही डेराइल जी पाँच साल त खूब चांदी काटब कई पुस्त के जिनगी देहब बनाई जी आगे-पीछे नवका लवंडी न के त रेलम रेला हमसे बड़का कुल कहिये नमस्कार भाई जी कुछ काम पड़ जाई अगर केहू के अरे आव सगरो कमवा हमहि कराईब जी एहि में त खूब कमाई होई अरे भाई एतना में कइसे होई जी आई चुनाव फिर त नारा लागी और कहब हम ही क्रप्सन हटाइब जी सबके गोड़ ध के गिर जाइब हम अरे हम नेता ना हई राउर बेटा जी ✍️ अमितेश निषाद ( सुमीत ) ०६/०६/२०१९ #NojotoQuote अब हमहू बनब नेता जी भौकाल रही खूब टाइट जी खद्दर पहिर के खूब रोब छाड़ब कुछ लोगवा सहमल कुछ रही डेराइल जी पाँच साल त खूब चांदी काटब कई पुस्त क
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दुश्मन **** हम दोस्ती से ज्यादा दुश्मनी निभाने विश्वास रखते है, ऐसे शख्स हमे आगे बढ़ाने में भरपूर कोशिश करते हैं, इनकी तरबियत हमे ऐसे पागलपन पर ला देती है, निज जिजिविषा को अपने अंत तक फिर परखते है, सच हौसले कभी बुलंद ही न होते जो ये दुश्मन न होते, इनकी हुंकार तो श्मशान के मुर्दों में भी जान फूँकते है, इनकी आँखों की लौ ऐसी बिजलियाँ फिर गिराती है, कि चमक जाये जीवनपथ फिर कदम कभी न रुकते है, बन प्रतिद्वंद्वी वो ऐसा अंतर्द्वंद्व एक दूसरे में पैदा करते है, हो मदमस्त गज की भांति मालूम है उसे श्वान भोंकते है। @निशा कमवाल हम दोस्ती से ज्यादा दुश्मनी निभाने विश्वास रखते है, ऐसे शख्स हमे आगे बढ़ाने में भरपूर कोशिश करते हैं, इनकी तरबियत हमे ऐसे पागलपन पर ल
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ग़ज़ल ----------- आज जो मेरा हाल है, आता जो तेरा ख़्याल है, तुम तो मसरूफ हो गये, जीना मेरा मुहाल है, इश्क़ का तोहफ़ा मिला, कि जीस्त मिरी फटेहाल है, मैं अदना था ना'वाकिफ , कि ऐसे होता बुराहाल है। सम्पूर्ण ग़ज़ल अनुशीर्षक में पढ़ियेगा। . 2122 2122 गजल ********* रदीफ़:-आ ल है क़ाफ़िया:-हाल, ख़्याल,मुहाल,फटेहाल,बुराहाल,सवाल,साल,चाल बह्र:-रमल
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विधा:-गजल (बे-बहर ग़ज़ल) काफ़िया:-तक़रार, इज़हार, खुमार, प्यार, ऐतबार,इख्तियार रदीफ़:-तुमसे काश न की होती इब्दिता-ए-इश्क़ की तक़रार तुमसे, अग्यार ही बने रहते न करते इश्क़ का इज़हार तुमसे। सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ियेगा रचना 2 विधा:-गजल (बे-बहर ग़ज़ल) काफ़िया:-तक़रार, इज़हार, खुमार, प्यार, ऐतबार,इख्तियार रदीफ़:-तुमसे काश न की होती इब्दिता-ए-इश्क़ की तक़रार तुमसे,
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"शुभसँध्या बेला" 🙏सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏 "सिमट रहे है पंख पखेरू, अब अपने निवास की ओर, लौट रहा हैं वो मेहनतकश, शांति चाहे न अब भाये शोर, तृष्णाओं क
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दुआ हुई कुबूल आज रहमतों की रात है, बीत न जाये ये पल खुशियाँ जो मेरे साथ है, मसर्रत से मसरूफ मेरा जर्रा जर्रा हो गया, ए दिल झूम कर गाओ आई ऐसी सौगात है, मन का कोना कोना भी हर्षित प्रसन्न हुआ, मुद्दतों बाद दिलकश हुई आज बरसात है, बस अब सबसे मिलकर ये आंनद बाँट लू, यादगार हो जाये ये पल हुई जो मुलाकात है, रजा तो तेरी थी ए ख़ुदाया जो ये पल आया, मैं वो खुशनसीब हूँ जिसके बदले हालात है, अब सारी क़ायनात मेहनतकश से झूम उठेगी, साथ हो तेरा एखुदा अभी तो ये शुरुआत है, मै मात्र एक काफ़िर थी मुझे कहाँ मालूम था, तेरे हाथों के स्पर्श से बनी हुआ आत्मसात है। @निशा कमवाल विषय:-#रहमतों की रात🙌 दुआ हुई कुबूल आज रहमतों की रात है, बीत न जाये ये पल खुशियाँ जो मेरे साथ है, मसर्रत से मसरूफ मेरा जर्रा जर्रा हो ग
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कृष्ण सुन्दरम वर्णन कृष्ण सार , राधा आधार, सृष्टि रचियता,रचा संसार, कानन कुण्डन,हृदय उदार, तन पर साजे वैजयंती हार। सम्पूर्ण वर्णन अनुशीर्षक में पढ़े। कृष्ण सुन्दरम वर्णन ************** कृष्ण सार , राधा आधार, सृष्टि रचियता,रचा संसार, कानन कुण्डन,हृदय उदार, तन पर साजे वैजयंती हार,।।