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a k verma
Maa चांद सितारों की महफिल में क्यों न्यारा होता हूं, पागल सा हूं में फिर भी में मेरी मां के लिए धुव्र सितारा सा होता हूं। #माँ #माता #माँ का प्यार#मां का
Shayar E Badnaam
तीर ये कहकर ही निकला कमान से, बंदा बचा तो ईमान से वरना जाएगा जान से..... #तीर #कमान #ईमान #जान
motivational writter Surendra kumar bharti
,,, माँ का मोल ,,, माँ ने ही सारे संसार को जना है माँ से ही तेरा वजूद बना है फिर क्यों करता तू माँ को ही मना है तेरी कामियाबी के पीछे ,माँ की ही दुवावों का असर होता है पर इससे हर इंसान बेखबर होता है तू समझ आज माँ के मोल को नही कल तेरी ही संतान रक्खेगी तुझे तेरे ही तराजू में तोल के राइटर ,,, सुरेंद्र कुमार भारती #NojotoQuote माँ का मोल मां ,,
Ajay Bishwas
ज़िन्दगी में मिलते हैं अँधेरे-उजाले माँ मगर रौशनी का मकान होती है # माँ रौशनी का मकान है
Shayar E Badnaam
एक जान गई एक जान जाने वाली है, ऐसे जलाकर मेरे आशियां को वो अपने मकान में जाने वाली है, जैसे कलम कर सर तलवार मयान में जाने वाली है.... #जान #आशियां #मकान #सर #तलवार #मयान #शायर_ए_बदनाम
Bulbul varshney
घर में रौनक आ जाती है मां-बाप के चेहरे पर मुस्कान आती है जब बेटी उसके संस्कारों पर चलती है अपनी इज्जत के साथ साथ अपने मां-बाप के इज्जत के बारे में भी सोचा करती है एक बेटी मां बाप का मान और शान दोनों हुआ करती है। ©Bulbul varshney बेटी मां बाप का मान और शान दोनों हुआ करती है।
Mukesh Tyagi
जान तिरंगा मान तिरंगा भारत का स्वाभिमान तिरंगा आजादी के उन वीरों सपूतों के लहू की है ये पहचान तिरंगा वतन की खातिर जो हो गयें कुर्बान आजादी के हवन कुंड में आहुति देकर हो गयें बलिदान देशवासियों उन वीर सपूतों का है सम्मान तिरंगा आजादी के परवानों का है परवान तिरंगा जब लहराता है तिरंगा झुक जाता है आसमान भी नत मस्तक हो जाती है माँ गंगा जिनके कारण आजादी के रंग में रंगे हो आजादी का ज़शन मनेगा उन वीरों सपूतों के नाम स्वाभिमान से सर ऊँचा करके घर घर में लहरालो तिरंगा रख लो उन वीरों सपूतों का मान हर भारतवासी आज उन्हे दो आदर और सम्मान वतन की कीमत क्या होती है क्या होता है वतन का मान आनें वाली पीढ़ी को समझा दो तिरंगे का करना आदर और सम्मान बता दो उनको ये है तुम्हारे पूर्वजों के लहू का बलिदान वतन था उनका दिल ज़िगर और जान वो मौत को भी गले लगाकर हँसना जानते थे जो वतन को धर्म और इमान से बढकर मानते थे अमन चैन नहीं था उनके जीवन में अंगारों पर चलकर भी अपने छालों को नहीं पहचानते थे दर्द नहीं होता था उनको ना वो दर्द को मानते थे जान की कीमत से बढकर वतन की कीमत मानते थे ©Mukesh Tyagi जान तिरंगा मान तिरंगा