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Rajesh rajak
आज रात इक नन्ही परी मेरे ख्वाबों में आई,, देखकर मैं मुस्कराया,मुझे देखकर वो भी मुस्कराई,, लगाना चाहता था उसे अपने सीने से, सोचा उसके बिखरे बालों को सज़ा दूं करीने से, पर,पर टूट गया ख्वाब,नहीं हुई कोई बात, आंखें नम थी,दिल में कुछ गम था,टूटे से थे जज्बात, आंख खुली तो अनचाहा सा गम था, बहुत दूर हूं तुमसे,ख्वाब नहीं,ये मेरा वहम था, करूं दुआ मैं अपने रब से, खुशियां मिलें हजार तुझको सब से, ©Rajesh rajak नन्ही सी परी,,
MADHUKAR BILGE
मौका जन्मदिन का था,माहौल खुशियों का था! बधाइयों की गूँजे थी,दुवाओं का ढेर था! केक पर मोमबत्तियों की महफ़िल थी भरी हुई, लबो पे मुस्कान की हरियाली थी फैली हुई, इतने में अँधेरी फ़िजाओ में से एक नन्ही सी किरन ने चुपके से आकर ए कहा,कि उम्र ने घटा दिया फासला मेरे और मौत के दरम्यां, जिंदगी है महमान कुछ पलों की, दिल की धड़कने गूँगी हो जाएगी, चलती हुई साँसों के कदम रुक जाएंगे, उम्र दौड़ दौड़ के एक दिन थक जाएगी, पलके आंखों की खुलने से मना कर देगी, जिंदगी मौत के सामने गिड़गिड़ाएगी, अंत मे लेकिन मुझसे जुदा हो जाएगी, मौत मुझे गोद में समेट लेगी, आग जिस्म का लुत्फ़ उठाएगी, वजूद खाक में तबदील हो जाएगा, ए मुकाम तो हर किसी को आना है, मैं भी अब नही हु बहुत दूर, फासला घट रहा है..हमारे दरम्यां.. ए फिर आज मुझे एहसास दिलाया है... उस मोमबत्ती की नन्ही सी किरन ने..! Penned by- बिलगेसाहब(12/08) नन्ही सी किरन
Balasaheb Chikate
फुल नहीं खिलते यहाँ जलते हैं फुल से मासूम समशानों में तुही बता कैसे आएँगे अल्फ़ाज फिर बेजुबानों में मैं ढुँडता मेरी मिट्टी यहीं बाजारों में वो जान नन्ही सी हसती है कभी दर्द उठाए कभी चिखकर कहती है नींद बता क्या होती है भुख बता क्या होती है क्या मा भी ऐसे रोती है मेरा दफन बचपन हो रहा मेरा भटकता यौवन है कहाँ कहाँ ढुँडू मैं क्या यहीं जीवन है ऐसे ही क्या बंद बंद से उठते गिरते लडखडाते पापा मिले मिट्टी में वो नन्ही सी जान पुछे ...... .................. ........... आँसूओं को मिलना हैं मिट्टी मे़ ©Balasaheb Chikate नन्ही सी जान पुछे
Skumar23
'नन्ही सी कली' नन्ही सी मैं एक कली हूं , बनकर फूल मैं भी खिलना चाहती हूँ, अपनी मेहक से इस चमन को मेहकना चाहती हूं । अभी बंद हूं मैं कली में, ना जाने किस भाग में मैं खेलूंगी, पर खुली हवा में मैं भी सांस लेना चाहती हूँ ।। बड़ी नाजुक हूँ मैं, टूट जाऊंगी हवा के एक झोंके से, पर बनकर फूल में भी आंधियों से लड़ना चाहती हूँ । मत तोड़ना मुझे ना जुदा करना मेरे अरमानों से, कहीं तोड़ कर फेंक ना देना मुझे किसी गंदे नाले में ।। नन्ही सी में एक कली हूं....। ©Skumar23 नन्ही सी कली.....l