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Vikas Sharma Shivaaya'
शीर्षक : दिया तले अँधेरा मेरे घर में है दिया तले अँधेरा , तेरे घर में भी है दिया तले अँधेरा , परिवार में राजनीती -ये दोहरे चेहरे , क्या नहीं है ये दिया तले अँधेरा ! ये झूठे और स्वार्थ में लिप्त रिश्ते , ये अपनापन जताते -मीठी पर झूटी बातें बोलते रिश्ते , इस कलयुग में पैसे को ही धर्म मानते रिश्ते , स्वार्थ के लिए एक छत के नीचे रहते रिश्ते , क्या नहीं है ये दिया तले अँधेरा !! चुनाव के समय पाँव पड़ते ये नेता , गरीब -लाचार से इंसानियत दिखाते नेता , चुनाव जीतने पर जनता को अपने क़दमों पर बिठाते नेता , क्या नहीं है ये दिया तले अँधेरा !!! धर्म के नाम पर डराते और लूटते ये धर्म के ठेकेदार , ईश्वर का अवतार लिए लाशों का सौदा करते ये सफेदपोश इंसान , आपकी मजबूरी में आपके कपडे उतारते ये खाकी और काले कोट वाले इंसान , क्या नहीं है ये दिया तले अँधेरा !!!!! कहाँ नहीं है दिया तले अँधेरा , हाँ -उस सतगुरु के दर पर , उस इष्ट की चौखट पर , केवल वहीँ है उजियारा -प्रकाश -राह , वहां नहीं है दिया तले अँधेरा ...! मौलिक/स्वरचित नाम-विकास शर्मा जनपद- जयपुर / राज्य का नाम-राजस्थान (यहाँ किसी व्यक्ति विशेष -धर्म विशेष -जाती विशेष या कार्य विशेष पर कोई प्रहार नहीं है ,इस कलयुग में जो चरितार्थ हो रहा है वो सत्य मात्र है ) ©Vikas Sharma Shivaaya' दिया तले अँधेरा #Music
Lawyer Bhati
रोशन जमाने का दस्तूर देख लो दिया तले दबा अँधेरा देख लो ©Lawyer Bhati दिया तले दबा अँधेरा देख लो #Nojoto #lawyerbhati #Light
Kumar Hemant
तुम जहाँ में नए एक दीपक जले.. एक उजाला हो नए आसमां के तले..
Ankita Tiwari
ये अंधेरे भी मेरे रास्ते के राहगीरों जैसे निकले देखो ना , जब भी कहु पास तुम्हारे जाना है चले आते है । #अँधेरा
Gaurav Sharma Mehrauli
रातो का अँधेरा बहुत कुछ सीखा जाता है किसी को किसी की यादों में सुला तो किसी को रुला जाता है ये अँधेरा है ये अँधेरा है साहिब अच्छे अच्छओ के चहरे दिखा जाता है। -गौरव शर्मा #अँधेरा
Tabrez Alam
कोई साथ नहीं देता इस ज़माने में के हर कोई जी रहा है अपने अफ़साने में कहते हो हमदर्द हो मेरे साथ निभाओगे थोड़ा अँधेरे से डर क्या गये छोड़ आए तुम हमे वीरानों में ! -तबरेज़ आलम #अँधेरा
अभिषेक सिंह
न देख पाया हमे कोई करीब से कही अंधेरे की साजिश थी तो कही अपनो की ।। अँधेरा
Dr B N Mahto
अँधेरा, इतना बड़ा भी नहीं, उम्मीद के मध्य खड़ा भी नहीं, और फिर... सुबह का आना भी तो लाज़िम है। ©Dr B N Mahto #अँधेरा