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@pushpa

दुआओं में मेरी उनके दिल का अरमान लिख देना..!!♥

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दुआओं में मेरी उनके दिल का अरमान लिख देना..!!
इजहार ए मोहब्बत मेरी उनसे सरेआम लिख देना..!!
देना होगा तो उनके ही साथ देना पूरी जिंदगी मेरी..!!
वरना उनकी बाहों में मेरी आखरी शाम लिख देना..!! दुआओं में मेरी उनके दिल का अरमान लिख देना..!!♥

Sonia Thakur

पत्थरों के शहर में दिल लेकर आया हूँ दिल टुकड़े टुकड़े हो भी जाए, डर नहीं मैं पत्थर से इंसान बनने आया हूँ इस दौड़ में मैं भी दौड़ने आया हूँ सपनो #Change #yqbaba #yqdidi #YQBhaiJaan #palsi

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पत्थरों के शहर में दिल लेकर आया हूँ
दिल टुकड़े टुकड़े हो भी जाए, डर नहीं
मैं पत्थर से इंसान बनने आया हूँ

इस दौड़ में मैं भी दौड़ने आया हूँ
सपनों का पहिया लेकर 
रुख ज़िन्दगी का मोड़ने आया हूँ

बहोत देर लगी आते आते 
देर से ही सही, सही राह लौट आया हूँ

वक़्त की धूल पड़ी है जिन रिश्तों पर
धूल हटाकर वही रिश्ते जोड़ने आया हूँ

इस दौड़ में मैं भी दौड़ने आया हूँ

गज़ब की मोहब्बत थी मुझे उससे
उसकी ख़ुशी की खातिर उसका साथ छोड़ आया हूँ

मुझको न ढूंढो अब बंध दरवाज़ों के पीछे
देखो खुले आसमान की ओर
मैं उड़ने का हुनर सीख आया हूँ

रातों को अब चैन कहाँ कि चादर ओढ़ सो जाए वो
मैं दिन रात एक करने आया हूँ

ख़ामोशी ने बांध रखा इन लबों को बरसों तक
मैं ख़ामोशी से इस ख़ामोशी को मिटाने आया हूँ

दुआओं में मेरी असर अभी बाकी है
और मैं हूँ कि खुदा के दर से खाली हाथ लौट आया हूँ

मैं पत्थर से इंसान बनने आया हूँ
इस दौड़ में मैं भी दौड़ने आया हूँ पत्थरों के शहर में दिल लेकर आया हूँ
दिल टुकड़े टुकड़े हो भी जाए, डर नहीं
मैं पत्थर से इंसान बनने आया हूँ

इस दौड़ में मैं भी दौड़ने आया हूँ
सपनो

Palsi(पल सी)

पत्थरों के शहर में दिल लेकर आया हूँ दिल टुकड़े टुकड़े हो भी जाए, डर नहीं मैं पत्थर से इंसान बनने आया हूँ इस दौड़ में मैं भी दौड़ने आया हूँ सपनो #Change #yqbaba #yqdidi #YQBhaiJaan #palsi

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पत्थरों के शहर में दिल लेकर आया हूँ
दिल टुकड़े टुकड़े हो भी जाए, डर नहीं
मैं पत्थर से इंसान बनने आया हूँ

इस दौड़ में मैं भी दौड़ने आया हूँ
सपनों का पहिया लेकर 
रुख ज़िन्दगी का मोड़ने आया हूँ

बहोत देर लगी आते आते 
देर से ही सही, सही राह लौट आया हूँ

वक़्त की धूल पड़ी है जिन रिश्तों पर
धूल हटाकर वही रिश्ते जोड़ने आया हूँ

इस दौड़ में मैं भी दौड़ने आया हूँ

गज़ब की मोहब्बत थी मुझे उससे
उसकी ख़ुशी की खातिर उसका साथ छोड़ आया हूँ

मुझको न ढूंढो अब बंध दरवाज़ों के पीछे
देखो खुले आसमान की ओर
मैं उड़ने का हुनर सीख आया हूँ

रातों को अब चैन कहाँ कि चादर ओढ़ सो जाए वो
मैं दिन रात एक करने आया हूँ

ख़ामोशी ने बांध रखा इन लबों को बरसों तक
मैं ख़ामोशी से इस ख़ामोशी को मिटाने आया हूँ

दुआओं में मेरी असर अभी बाकी है
और मैं हूँ कि खुदा के दर से खाली हाथ लौट आया हूँ

मैं पत्थर से इंसान बनने आया हूँ
इस दौड़ में मैं भी दौड़ने आया हूँ पत्थरों के शहर में दिल लेकर आया हूँ
दिल टुकड़े टुकड़े हो भी जाए, डर नहीं
मैं पत्थर से इंसान बनने आया हूँ

इस दौड़ में मैं भी दौड़ने आया हूँ
सपनो

Beyond The Poetry

#आज_भी_है ताल्लुकों में हमारे, शायद बाकी कुछ मुरव्वत आज भी है हमदर्दी उन्हें हमसे, हमें उनसे मुहब्बत आज भी है मुन्तज़िर इस दिल को, इन्तज़ार

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क्या कहेंगे लोग, ताल्लुकों में हमारे, शायद बाकी कुछ मुरव्वत आज भी है
हमदर्दी उन्हें हमसे, हमें उनसे मुहब्बत आज भी है
मुन्तज़िर इस दिल को, इन्तज़ार-ए-क़ुरबत आज भी है

महफ़िलों में अक़्सर हमारी, होता उनका ज़िक्र आज भी है
पता नहीं क्यों, कम्बख़्त हमें उनकी फ़िक्र आज भी है
वस्ल की मैं क्या बात कहूँ, हमें तो ग़म-ए-हिज़्र आज भी है

करता है मेरा पीछा, जैसे उनका कोई अक्स आज भी है
तलाश में कारवाँ के भटकता, ये नादां शख्श आज भी है
तन्हाइयों में अक़्सर गिरते, मेरे अब्सार से अश्क़ आज भी है

बेदर्द हैं वो अब भी, लगता है उन्हें ख़ुद पर गुमाँ आज भी है
ज़रा माफ़ करना, थोड़ी तल्ख़ ये हमारी जुबाँ आज भी है
ज़रा गौर से देखो, उजड़ी बस्ती के कुछ बाक़ी निशां आज भी है

इश्क़ के सूखते दरख़्त पर इक शाख़-ए-सब्ज़ आज भी है
महज़ उनके ख़्यालों के सहारे दौड़ती, मेरी ये नब्ज़ आज भी है
क़ाश वो मुक़म्मल करे, इंतज़ार में इक अधूरी नज़्म आज भी है

वो बेख़बर तो नहीं लगते, शायद फ़ितरत से मग़रूर आज भी है
और भला हम ठहरे, अपनी आदतों से मजबूर आज भी हैं
इश्क़ की कहानियों में, हमारा ये क़िरदार मशहूर आज भी है

जो किये थे फ़ैसले, लेकर उन्हें कुछ मलाल आज भी है
क्यों हुए ये फासले, इन्हें लेकर कुछ सवाल आज भी है
बावजूद आलम ये है, बदस्तूर आते उनके ख़्याल आज भी है

यकीं मानों, दुआओं में मेरी उनका नाम शामिल आज भी है
एक वो हैं, जो समझने में इस बात को नाक़ाबिल आज भी है
वफ़ा की लहरों के भरोसे, प्यासा ये साहिल आज भी है

बेशक़ वो ख़्वाब रहा अधूरा, लेक़िन ये इश्क़ मेरा मुकम्मल आज भी है
उनकी यादों को समेटे, मेरी ओर चलती कुछ हवाऐं मुसलसल आज भी है
लेकर उन्हें थी जो लिखी, याद आती हमें वो ग़ज़ल आज भी है

ये दिल है बनाता उन हसीं लम्हातों की तस्वीर आज भी है
दरअसल, ये है उन पर फ़िदा एक मुसव्विर आज भी है
भले मैं अब उनका रांझा न सही, वो मेरी हीर आज भी है
वो मेरी हीर आज भी है...वो मेरी हीर आज भी है

© अमित पाराशर 'सरल' #आज_भी_है 

ताल्लुकों में हमारे, शायद बाकी कुछ मुरव्वत आज भी है
हमदर्दी उन्हें हमसे, हमें उनसे मुहब्बत आज भी है
मुन्तज़िर इस दिल को, इन्तज़ार

Harshita Dawar

कुछ कहानियां बुनी हीं अधूरी होने के लिए फिर भी जन्म जन्म की प्यास बुझाने के लिए लिखी गई , उफ़ सी निकल गई बस पढ़ती गई, ना तुम रहे ना वो या #YourQuoteAndMine

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उफ सी निकल गई बस पढ़ती गई, ना तुम रहे ना वो यादें, बहती रही मिलती रही ,.to be contd.............. 
कुछ कहानियां बुनी हीं अधूरी होने के लिए फिर भी जन्म जन्म की प्यास बुझाने के लिए लिखी गई ,

उफ़ सी निकल गई बस पढ़ती गई, 
ना तुम रहे ना वो या

Amit Singhal "Aseemit"

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