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Shilpi Signodia
पी मिलन की आस में, काया को सजाया है, धड़कनो को सहज, रोका है संजोया है, हर आहट पे, उनके आने की आस टिकी, जाने कैसे इन, धड़कनो से निभाया है। छन्द
Shivshankar pathak
"कुण्डलिया-छन्द" जल बिन सूनो जीवना , सूनो जौ संसार । जल बिन हम इस धरा पे , का करहें आहार ।। का करहें आहार , बिन जल कछु ना होवे । रे मानुष-मन जागजा , काहे चैन सें सोवे ।। कह शिवसागर सुनैं , कैंसे हो जल बिन कल । हर-इक् बूँद बचाले , है जगत का अमरत जल ।। -शिवशंकर पाठक "शिवसागर" सागर , मध्यप्रदेश ©Shivshankar pathak #seaside#कुण्डलिया #छन्द
Harish SharMA
शब्दो के शाष्टांग प्रणाम का अदभुत सुंदर नाम हे हिंदी। अ से अज्ञानी ज्ञ से ज्ञानी कर दे ऐसा स्वाभिमान हे हिंदी, मुंशी,दिनकर , बच्चन के ह्रदय बसा आयाम हे हिंदी। पाप मिटे जिसे बोल कर ऐसा पावन धाम हे हिंदी छन्द #Hindi #nojoto
Shivshankar pathak
"कुण्डलिया-छन्द" राम-राम यहाँ जग रटै,जननी रटे न कोय । रटता जो इस जननि को,अधम भी सज्जन होय ।। अधम भी सज्जन होय,जो जननि शीश झुकावै । भोग इते सुख सबइ,फिर अन्त मोक्ष खौं पावै ।। कह शिवसागर सुनैं,इत कर एक नेक-काम । प्रथम रटौ जननी खौं,फिर पाछें सीता-राम ।। -शिवशंकर पाठक "शिवसागर " सागर, मध्यप्रदेश ©Shivshankar pathak #Sunrise#कुण्डलिया #छन्द