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JAINESH KUMAR ''ज़ानिब''
छत्तीसगढ़ी गीत छोड़ झन जाबे छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे, जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे, जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे तोर बिना जीना का काम के, तोर संग जिनगी रंगीन लगथे तोला देख देख सांस चलथे, तोर बिना मर जाहूं जईसे लगथे छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे, जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे ।। तोर तो बिना जाय पल भी नई कटय न चांद जईसे चेहरा तोर नैना म ही बसय न ।। 2 ।। दिल करे तोला दिन रात देखे जाओं मैं हा देख देख तोला मोर आंखी घलोक नई थकय न ।। तोला देख देख सांस चलथे, तोर बिना मर जाहूं जईसे लगथे छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे, जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे ।। हर ख़ुशी वारों मैं तोर एक मुश्कान म जैनेश कुमार तोला बसाए हे दिलो जान म ।। 2 ।। हिरदे म राखेंव तोला मैं तो अपन जान के छोड़ दिये मोला तैं तो पराया मान के ।। तोला देख देख सांस चलथे, तोर बिना मर जाहूं जईसे लगथे छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे, जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे ।। #छत्तीसगढ़ी_गीत #jainesh_kumar छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे जिनगी ल रोग बनाके झन जाब
Nishi Sharma
हाँ मैं तुम्हें भूल गई हूँ और याद करना भी नही चाहती ,पर जब भी में तुम्हारे सामने आती हूँ तो रटे हुए किताबो के हर पन्नो को भूल जाती हूँ yaad ताज़ा होल
lk Meena
अगर लोगो के बारे मेरे सोचो गे तो कुछ नहीं कर पाओगे खुद के मन की सुनो ©lk Meena पोकास ऑन गोल नोट होल 🙏🙏
Arora PR
चल चल रे मुसाफिर चल तू उस दुनिया मे चल जहा न हो कोई फ़िक् जहा न हो मौत का कोई डर ©Arora PR चल चल रे मुसाफिर चल
आर्य सुमित
चल चला चल , बंदे तू चल चला चल ।। रुकना तेरे लिए पाप है, शॉर्टकट एक अभिशाप है ।। मंज़िल जरूर मिलेगी आज नही तो कल , चल चला चल तू बंदे चल चला चल ।। लक्ष्य एक हो तेरा, इरादा नेक हो तेरा ।। पत्थर में मत खोजना, तेरे अंदर ही है हर समस्या का हल, चल चला चल बंदे तू चल चला चल ।। चल चला चल
Sapan Kumar
कितना खूबसूरत था वो पल, जो बीत गया कितना खूबसूरत था वो कल। वक्त का यही तकाजा है, जो बीत चुका उसी में मजा आता है। वक्त की कीमत को समझ, बीते हुए वक्त में ना ढल। दूर बहुत जाना है तुझे, चल मुसाफिर चल , चल मुसाफिर चल।। ©Sapan Kumar चल मुसाफिर चल।
जगदीश निराला
चलना ही जिन्दगी हे. रुकना नही हे तुझको. अचल तो मरने का नाम है. दुनिया देखती है तो चलना मचलना ठहरना फुदकना गुनगुनाना ही जिन्दगी हे चल चला चल चंचल ही नटखट. नटखट ही चैतन्य जो चला सकता है इस जहान को नचा सकता हैअपने इशारे पर। थकना नही जानता समय. हमेशा चलते हुए बीते करोडों साल जिनको गिनना हे मुश्किल काम जो चलता हे.वो बनाता है इतिहास। जगदीश निरालाःमांगरोल चल चला चल