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Vivek
तुम्हारे नैसर्गिक नैनों की मौन मधुर भाषा सिर्फ़ मैं ही समझ सकता हूँ...!!! ©Vivek # नैसर्गिक नैन
Parasram Arora
एक बेहद अशांत दुनिया मे प्यार की रसधार कैसे बहेगी और उसकी जीवंतता कितनी देर टिकी रह पाएगी? अच्छा होता तुम किसी शांत उद्यान क़े तट पर नर्म घास की तरह उग . जाते तब तुम्हे शीतलता देने शबनम क़े कतरे उत्तर आते धीमे धीमे और फिर सूर्य की मौन किरणे उन्हें . वाष्पीभूत करती धीरे धीरे तब कही तुम समझ सकते थे. प्यार का नैसर्गिक अर्थ ऐसा प्यार हो जीवन मे और कुछ हो या न हो तभी रहती है.. जीवन मे मस्ती तृप्ति और आनंद की फुलझड़ी प्यार का नैसर्गिक अर्थ
Komal Pardeshi
Ravikant Raut
petty Quotes By Ravikant Raut मनुष्य के स्वभाव में जो जो नैसर्गिक है, धार्मिक लोग उसे पाप कहते हैं .
Dr Sudip Ohol
SURAJ आफताबी
मै हर रूठी नज़र की शिकायत हूँ तुम हो मसविदा - ए - हल कोई मै प्रेम की वही बूढ़ी रिवायत हूँ तुम हो रूप की धरोहर नवल कोई !! मै शरियत की अटल हिदायत हूँ तुम हो नैसर्गिक मिजाज सरल कोई मै जमीं से फलक की जियारत हूँ तुम हो दलदली लहराता कँवल कोई !! मै शादाब हुस्न की पाक वसीयत हूँ तुम हो उसी लावण्य की गजल कोई मै तेरी ही हयात में तुम्हारी अहमियत तुम हो मुझमें अमृत सा दौड़ता गरल कोई !! मै और तुम कुछ यूँ जुड़े है रास्तों पर मील के पत्थर जैसे रहबर मिले है ! मसविदा- मसौदा शरियत- law book of islam नैसर्गिक- natural कँवल - कमल क
समीक्षा "एक प्रारम्भ"
"सोनिया कालरा" सो - सोम-सुधा- सम सरस सलोनी सुन्दर सहृद स्वभाव सरल, नि - निश्छल-नृपा, निरन्तर नवरित नैसर्गिक नित,निलय नवल, या - यामिनि-योषित,यौवित-यद्वित यवन्ति युग-युग यद्वरल, का - काकधेनुका कुबेर कन्या कमला कुसुमित कुंज कमल, ल - लय-लिपिबद्ध लब्ध-प्रतिष्ठित ललित ललाजू लवित लवल, रा - राज-स्वर्णिता रत्न-गर्भिता रूप-रेखिका रजत रवल... "सोनिया कालरा" सो - सोम-सुधा- सम सरस सलोनी सुन्दर सहृद स्वभाव सरल, नि - निश्छल-नृपा, निरन्तर नवरित नैसर्गिक नित,न
Vijay Tyagi
यही कहूँगा मैं स्त्री से जन्मा, स्त्री का ऋणी रहूँगा... "हाइकू" 🙏🙏🙏 स्त्री स्वयं में प्रकृति है.. जन्म देना उसका नैसर्गिक गुण है...हम मरते दम तक इस बात के ऋणी रहते है, स्त्री अपने विविध रूपों से परिवार, व्यक्
Sunita D Prasad
मेरी कविताएँ.... रहना चाहेंगी 'शिला' पर, उग आए 'सैम्फायर' की भाँति.. सदैव ही पूर्ण..स्नेहिल। उनमें रचे-बसे भाव रहना चाहेंगे, दुर्बोधता पर सुबोधता का बनकर, एकमात्र..पर्याय। मेरी कविताएँ विषम में सम और कठोरता पर कोमल प्रेम का लिखेंगी एक अलग ही अध्याय। मेरी कविताएँ... 'प्रस्तर' और 'सैम्फायर' के प्रेम की तरह ही आकर्षित करेंगी अपनी विलग परंतु नैसर्गिक सुवास से। --सुनीता डी प्रसाद💐 मेरी कविताएँ.... रहना चाहेंगी 'शिला' पर, उग आए 'सैम्फायर' की भाँति.. सदैव ही पूर्ण..स्नेहिल। उनमें रचे-बसे भाव