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Suraj Shandilya
समाज का परिवार कही दूर एक जगह पर , छोटा सा परिवार रहता था। जिसमे कुल 4 सदस्य थे माँ पिता, भाई, और बहन। जिसकी आर्थिक हालात उस समय ठीक नही थी। परंतु वे सब आपस मे बहुत ही खुशहाल थे ,एक दूसरे के साथ प्रेम भाव , सभी का आदर करना बखूबी आता और वे सभी बहुत ही मनमोहक ही थे। और परिवार की एक जुटता और प्रेम के सहारे ही वे हर एक कार्य खूब मन लगाकर करते थे। उनमे एक छोटी बच्ची भी थी जो स्वभाव से चंचल थी पर उससे ज्यादा अपने परिवार के मान सम्मान का भी ध्यान रखती थी कही उससे ऐसी भूल ना हो जाये कि परिवार वालो को कहि सर्मसार होना पड़े। जिसके लिए खूब मन लगाकर पढ़ाई करती और साथ ही साथ अपने घर को संभालना भी सिख चुकी थी। सभी परिवार के सदस्य उससे बहुत ही स्नेह करते , और वो एक आदर्श बेटी के रूप में जानी जाती। उसे जरा सा भी चोट लग जाये तो पूरा परिवार रो उठता और जरा सा भी स्वस्थ्य खराब हो तो सभी तरह तरह के नुस्खे बताने में जुट जाते। आज वो बच्ची बड़ी हो गई तथा बहुत ही खूबसूरत है। उसकी खूबसुरती भी इतना कि चांद भी शर्मा जाए पर और आज भी मन लगा कर पढ़ाई करती है परन्तु ना चाहते हुवे भी उसे एक लड़के से प्रेम हो गया। पर अब उसे डर था उसके परिवार वाले उस लड़के को अपनाएंगे की नही? यही कशमकश उसके मन मे हमेशा बना रहता। आखिर बने भी क्यों ना? परिवार वाले समाज को जो मानते थे। समाज के बाहर ये नही करना समाज के बाहर वो नही करना,हमेशा से यही चलता रहता था। जिस सोच की छाप उसके मन मे भी कही घर कर चुका था। पर आज अब वो लड़की उस लड़के को खोई तो वो टूट सकती थी। दिन प्रतिदिन , परत दर परत उन दोनों का रिश्ता और गहरा होता चला गया अब वो बच्ची उस लड़के से बिछड़ने की नही सोच सकती। बहुत ही हिम्मत करके उसने इस बारे में अपने परिवार वालो को बताया। पर सारे सदस्य उसे बस सुनते रहे, और उसकी पढ़ाई छोडवाकर वापस घर ले आये। वो बहुत ही दुखी थी क्यों कि पढ़ाई का भी उसकी जिंदगी में महत्वपूर्ण स्थान था जिसे घर वाले छोड़वा चुके। अब आज के समय उसके परिवार वालो की सोच इतनी बदल चुकी की अब बस उस बच्ची की शादी कर कहि दूर भेज दिया जाए ताकि उस लड़के को भूल सके और समाज मे हमारे परिवार की इज्जत बनी रही। समाज------ बहुत ही गहरी सोच है, ये वो समाज है जो अच्छा भी है और कहि जगह बुरा भी। उस बच्ची के परिवार वाले उसे पढ़ाई छोडवाकर घर ले आये शादी की बजाय करने लगे इनके पीछे ये समाज ही तो था सायद। जो परिवार बचपन से ही खुशहाल था जो अपने बच्ची से बेहद ही प्यार करता था समाज के डर से कही उनका परिवार बदनाम ना हो सोच कर अपनी बच्ची के प्रेम को कुचल दिया। जो परिवार अपनी बच्ची का इतना खयाल रखता था वो आज अपने ही हाथों से अपनी ही बच्ची का समाज से सौदा कर बैठा और भूल गया कि वो हमारी ही बच्ची है।।। और ये सब देख कर महसूस करके उस बच्ची में जो बीत रही थी उसे अब उसके परिवार वाले समझना तक नही चाहते थे। और आज उस बच्ची ने इस घुटन के कारण कुछ ऐसा किया जिससे अब उसका परिवार ज़िन्दगी भर उस सदमे से उभर नही सकता था। फिर आज समाज एक प्यारी सी बच्ची का गला घोंट चुका था। और परिवार वाले अभी भी समाज समाज मे ही थे। काश वो परिवार समाज से ज्यादा अपनी बच्ची से प्रेम करता तो सायद वो खुश होती और सही सलामत होती। #NojotoQuote समाज का परिवार।
Anjali Jain
पारिवारिक शिष्टाचार और सामाजिक संवेदनशीलता विकसित करने के लिए हमारे पुरखों या बड़े बुजुर्गों द्वारा कुछ नियम- कायदे या करणीय कर्तव्य निश्चित किए गए थे ताकि पारिवारिक- व्यवहार की गरिमा, सामाजिक- संवेदनशीलता और व्यवहार- कुशलता निर्बाध रूप से चलती रहे लेकिन पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों की बदलती मानसिकता व संवेदन हीनता के चलते वे नियम या व्यवहार- रिवाज़, परिपाटी व आडंबर के प्रतीक बन गए जबकि यह अनुचित है और पारिवारिक, सामाजिक सरसता को मिटा देने वाले है। जैसे कि पहले यही तौर - तरीके थे, पुरुष पैसा कमाए और स्त्रियां घर संभाले, खान पान, रखरखाव, बच्चों की जिम्मेदारी उठाए लेकिन इसका मतलब यह थोड़े है कि पुरुष एक तिनका भी, एक वस्तु भी, पानी का एक गिलास भी, अपने भोजन की झूठी थाली भी इधर से उधर न करे।PTO. ©Anjali Jain परिवार और समाज#भाग१ 16.02.23
Chandrabhanu Rituraj
चुप रहते हैं सब अपनों की महफ़िल में और गैरों की महफ़िल में मुस्कुराते हैं कि अब खैरियत कोई पूछता नहीं किसी से अपनों की मुस्कुराहट देख सब घबराते हैं #अपनापन #समाज #परिवार #दुनियादारी #जिंदगी
Sandeep kumar Sakhawar
💫मानव 💫 ST एक सही ज्ञान मानव समाज के लिये विश्व एक परिवार के समान है और परिवार में शान्ति रखनाऔर लड़ाई झगड़े ना होने देना उस परिवार में रहने वाले प्रत्येक मानव का कर्तव्य होता है ©Sandeep kumar Sakhawar विश्व परिवार है मानव समाज का
vs raj
"झाड़ू ज़ब तक बँधा हैँ, कचरे को साफ करता हैँ, बंधन खूल जाने पर झाड़ू खूद कचरा बन जाता हैँ, इसलिए हमेशा बंधे रहिये, एकता मे ही शक्ति हैँ,, ©vs raj #संदेश #विचार #समाज #बंधन #परिवार #शक्ति
Binu Nehra
अंगूठी मात्र है बस, फिर भी , कितनी इजाजतें शामिल होती हैं। ©Binu Nehra #Marriage #nojolove #nojotahindi #समाज#घर परिवार
Anmol Singh
इस निर्लज्ज ज़माने में न कहो कुछ भी न किसी को कुछ अपनी सुनाओ ये दुनिया किसी की नही सुनती इससे अच्छा है यही के चुपचाप गुज़र जाओ, क्या हासिल होगा और क्या बदलेगा, ये खुद भी मालूम नहीं कि क्या सुधरेगा, इससे अच्छा की चुप चाप रह कर खुद सुधर जाओ, हां ये दुनिया सुनती किसी की नहीं सुनती, इससे अच्छा है कि चुप चाप गुजर जाओ, #yqbaba #yqsayri #कहानी #कहानीसोरहीहै #किरदार #समाज #परिवार #quarantine