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Raja Saheb
इतने हैं रावण यहाँ कि सबको राम की तलाश है, इस युग के राम को मगर उम्र भर का वनवास है।। #वनवासी वनवासी
Prachi Dixit
jaya_uncaptured
बेशक़ वनवास चुना था राम जी ने पर वनवासी उनसे जुड़े उनके सभी प्रिय लोगों के प्रेम भाव भी हुए थे, उनके इंतज़ार में | ©jaya_uncaptured वनवासी भाव 🥺♥️ #ramayan #प्रेम #Love #Life #Quote #nojohindi #Nojoto #Life_experience #SAD #Relationship
parvesh kumar Officia
केहु कहत रहे की तोहार वाली 2%4 दिन से दिखत नईखे त हमहु कहनी जाये द मरदे आज़ काल के प्यार रे अईसन बा कि डेण दिन से टिकत नइखे प्रवेश कुमार वनवासी ©parvesh kumar Officia शायरी उ प्रवेश कुमार वनवासी शेरपुर ढोटारी सिंहनी Amy The poetry radhe radhe Anshu writer
Purushotam Nath Tiwari
सुसि ग़ाफ़िल
वनवासी लड़का \\ अनुशीर्षक पढ़ें सब लड़के वनवासी है जो दूसरे शहर में काम करते हैं परंतु दिवाली आते-आते सबका वनवास खत्म होने को आता है
रजनीश "स्वच्छंद"
मैं वनवासी।। तेरा मेरा कर भेदहीन, मैं हूँ वनवासी शब्दों का। हर आखर में प्राण भरूँ मैं निर्बल निःशब्दों का। तुम अपनी बातें कह जाते, हो सबल विलासी, उनकी बातें कौन करे जो हक का अभिलाषी। शब्द कहाँ कब फूटे मुख से पेट पकड़ जो सोये, उस मां का अपराध बताओ जो है कोने रोये। बच्चे बिलखते रोटी को, सूखा मां का दूध है, तुम ही बोलो उसका किसने लिया कब सूध है। एक निवाला पाने को जो दर दर ठोकर खाते हैं, रात हुई, ओढ़ आसमा, फुटपाथों पे सो जाते हैं। एक नहीं, है फिक्र किसे इन उपजते जत्थों का। तेरा मेरा कर भेदहीन, मैं हूँ वनवासी शब्दों का। तेरा नाथ है मंदिर बैठा, है उनका कोई नाथ नहीं, धन के ही सब साथी हैं, निर्धन के कोई साथ नहीं। दूध चढ़ा पत्थर पर, दुग्धाभिषेक तुम करते हो, अंतर्मन से पूछो, क्या काम नेक तुम करते हो। गीता पढ ली, कुरान पढ़ी, गुरुग्रंथ का पाठ किया, शब्दों को ही रटते रहे, अर्थ कब आत्मसात किया। पीछे मुड़ तुम देखो, सोचो अपने अतिरेक पर, प्रश्नचिन्ह क्यूँ लगा रहे, तुम स्वयं के विवेक पर। धर्म निभाओ तुम अपना, साथ न लो बस लब्जों का, तेरा मेरा कर भेदहीन, मैं हूँ वनवासी शब्दों का। शब्द मेरे तीक्ष्ण बड़े, कुछ कष्ट तुम्हे दे जाएंगे, पर तेरे जीने का मतलब स्पष्ट तुम्हे दे जाएंगे। भाव पड़े संकुचित, उनका जरा विकास तो हो, भान रहे याद तुम्हे तेरा अपना इतिहास तो हो। धरा की महत्ता मां से बड़ी, इसने ही तो पाला है, इस हाड़ मांस के पंजर में रक्त बीज जो डाला है। फ़र्ज़ कहो या कर्ज़ कहो, तुमको ही तो निभाना है, इस पौरुष का दम्भ क्या जो मिट्टी में मिल जाना है। तू नया संसार बना तज मोह ताज और तख्तों का तेरा मेरा कर भेदहीन, मैं हूँ वनवासी शब्दों का। ©रजनीश "स्वछंद" मैं वनवासी।। तेरा मेरा कर भेदहीन, मैं हूँ वनवासी शब्दों का। हर आखर में प्राण भरूँ मैं निर्बल निःशब्दों का। तुम अपनी बातें कह जाते, हो सबल
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 एक राजा वन विहार के लिए गया, शिकार का पीछा करते-करते राह भटक गया। घने जंगल में जा पहुँचा। रास्ता साफ नहीं दीख पड़ता था। साथी कोई रहा नहीं। रात हो गई। जंगल के हिंसक पशु दहाड़ने लगे। राजा डरा और रात्रि बिताने के लिए किसी आश्रय की तलाश करने लगा..., ऊँचे पेड़ पर चढ़कर देखा तो उत्तर दिशा में किसी झोंपड़ी में दीपक जलता दिखाई दिया। राजा उसी दिशा में चल पड़ा और किसी वनवासी की झोपड़ी में जा पहुँचा..., अपने को एक राह भूला पथिक बताते हुए राजा ने उस व्यक्ति से एक रात निवास कर लेने देने की प्रार्थना की। वनवासी उदार मन वाला था। उसने प्रसन्नता पूर्वक ठहराया और घर में जो कुछ खाने को था, देकर उसकी भूख बुझाई। स्वयं जमीन पर सोया और अतिथि को आराम से नींद लेने के लिए अपनी चारपाई दे दी..., राजा ने भूख बुझाई। थकान मिटाई और गहरी नींद सोया। वनवासी की उदारता पर उसका मन बहुत प्रसन्न था। सवेरा होने पर उस वनवासी ने सही रास्ते पर छोड़ आने के लिए साथ चलने की भी सहायता की..., दोनों एक दूसरे से विलग होने लगे। तो राजा को उस एक दिन के गान और आतिथ्य का बदला चुकाने का मन आया। परन्तु क्या दे? कुछ दे भी तो उस एकान्तवासी पर चोर रहने क्यों देंगे? इसलिए ऐसी भेंट देनी चाहिए जिसके चोरी होने का डर भी नहीं और आवश्यकतानुसार उसमें से आवश्यक राशि उपलब्ध होती रहे..., उसी जंगल में राजा का एक विशाल चंदन उद्यान था। उसमें बढ़िया चंदन के सैकड़ों पेड़ थे। राजा ने अपना पूरा परिचय वनवासी को दिया और अपने हाथ से लिखकर उसे चंदन उद्यान का स्वामी बना दिया। दोनों संतोष पूर्वक अपने-अपने घर चले गये..., वनवासी लकड़ी बेचकर गुजारा करता था। इसने लकड़ी का कोयला बना कर बेचने में कम श्रम पड़ने तथा अधिक पैसा मिलने की जानकारी प्राप्त कर ली थी। वही रीति-नीति अपनायी। पेड़ अच्छे और बड़े थे। आसानी से कोयला बनने लगा। उसने एक के बजाय दो फेरी निकट के नगर में लगानी आरंभ कर दी ताकि दूनी आमदनी होने लगे। वनवासी बहुत प्रसन्न था। अधिक पैसा मिल जाने पर उसने अधिक सुविधा सामग्री खरीदनी आरम्भ कर दी और अधिक शौक मौज से रहने लगा..., दो वर्ष में चन्दन का प्रायः पूरा उद्यान कोयला बन गया। एक ही पेड़ बचा। एक दिन वर्षा होने से कोयला तो न बन सका। कुछ प्राप्त करने के लिए पेड़ से एक डाली काटी और उसे ही लेकर नगर गया। लकड़ी में से भारी सुगंध आ रही थी। खरीददारों ने समझ लिया चह चंदन है। कोयले की तुलना में दस गुना अधिक पैसा मिला। सभी उस लकड़ी की माँग करने लगे। कहा कि- “भीगी लकड़ी के कुछ कम दाम मिले हैं। सूखी होने पर उसकी और भी अधिक कीमत देंगे..., वन वासी पैसे लेकर लौटा और मन ही मन विचार करने लगा। यह लकड़ी तो बहुत कीमती है। मैंने इसके कोयले बनाकर बेचने की भारी भूल की, यदि लकड़ी काटता बेचता रहता तो कितना धनाढ्य बन जाता और इतनी सम्पदा इकट्ठी कर लेता जो पीढ़ियों तक काम देती..., राजा के पास जाने व पुनः याचना कर अपनी मूर्खता दर्शाने में कोई सार न था। शरीर भी बुड्ढा हो गया था। कुछ अधिक पुरुषार्थ करने का उत्साह नहीं था। झाड़ियाँ काटकर कोयले बनाने और पेट पालने की वही पुरानी प्रक्रिया अपना ली और जैसे-तैसे गुजारा करने लगा..., मनुष्य जीवन चंदन उद्यान है इसकी एक-एक टहनी असाधारण मूल्यवान है। जो इसका सदुपयोग कर सकें, वे धन्य होंगे, जिसने लापरवाही बरती वे वनवासी की तरह पछतायेंगे...! अपनी दुआओं में हमें याद रखें 🙏 बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 एक राजा वन विहार के लिए गया, शिकार का पीछा करते-करते राह भटक ग
Kamal Garg