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Pawan Shukla सहसंथापक राँयल मानव उत्थान सेवा संस्थान उत्तरप्रदेश
और मैने पाया कि मेरा अतीत और वर्तमान मे अंतर है दोनों सिखाते है अतीत सिखाता है संघर्ष करते रहो वर्तमान सिखाता है सहनशीलता दयालू रहना चरित्र उज्वल रखना पवन शुक्ल ©Pawan Shukla सहसंथापक राँयल मानव उत्थान सेवा संस्थान उत्तरप्रदेश चरित्र वो पूजी. . .
Shiva Singh
सोच ही पूजी है उद्यम ही रास्ता है।कड़ी मेहनत ही समाधान है।.... ©Shiva Singh सोच ही पूजी है
Anamika
एक कहानी .. बंधन था उसका पहला, दिया औरत नाम दूजा.... #एककहानीऐसीभी कहलाई सदा दूजी गई न कभी पूजी #समाज_की_सोच #कहानी
Kulbhushan Arora
पूजा..🎶💧🌱 पूजली प्यारी, पुजू जी प्यारी तुम्हारे मन खिले फूलों की क्यारी 🌹🌹🌹🌹🌹🙌🙌🙌🙌🤗🤗🤗 Dedicating a #testimonial to पूजा..🎶💧🌱 दर्पण पापा की पूजी जी, पूजी जा का दर्पण पापा, धैर्य की वास्तविक परीक्षा, देने को सदा तैयार रहना, इस
Technocrat Sanam
काश! "नौ रातों वाली माँ" जितना ही "नौ महीने अपनी कोख में रखने वाली माता" का भी मान सम्मान होता, तो धरती से कुछ वृद्धाश्रमों का भार कम होता! कुछ तकलीफें कम होती, कुछ आँसू कम होते, कुछ माएँ अपने ही घर में बेघर न होती! काश! 'न खाने पीने वाली माँ' जितना ही थोड़ा बहुत भोग खा - पी सकने वाली माँ को भी लगता तो कुछ माएँ भूखे पेट न सोती! काश.. 🙂 काश! पत्थर की मूर्ति के समान ही देश की हर जीवित स्त्री भी पूजी जाती तो हर स्त्री सुरक्षित होती.. 🙂 अफ़सोस एक नौ दिन की है और एक जिंदगी भर क
{¶पारसमणी¶}
वर्षा की प्रतीक्षा में सिकुड़ती नदी जैसे फटे कपड़ों में देह छुपाने का प्रयत्न करती कोई स्त्री¡! आँचल में प्रेम में पूजी गई प्रतिमाओं के भग्नावशेष समेटे¡! देह पर नाखूनों से उकेरे और मिटाए गए पसंदीदा नाम पढ़कर रोती¡! मैंने पहली बार जाना स्त्री होना कितना त्रासदी भरा है¡! निर्जला होकर सर्व संसार को तृप्त करते चले जाना¡! शायर शुभ¡! वर्षा की प्रतीक्षा में सिकुड़ती नदी जैसे फटे कपड़ों में देह छुपाने का प्रयत्न करती कोई स्त्री¡! आँचल में प्रेम में पूजी गई प्रतिमाओं के भग्
AK__Alfaaz..
पाथर पूजिहैं सौ-सौ दिन.., घर कै माटी न पूजै कोय.., जेका ऊपजा निशिदिन खाय.., नौ दिन रखिहैं व्रत-उपवास.., देवी पूजन होईहैं रोज नहाय.., मईया कै फिर जईहैं भूल.., लगिहैं उहे आपन धरम अपनाय.., घर कै नारी न पूजिहैं कबहुँ.., जईहैं मंदिर..माथा टिकाय.., कैसी विडंबना है.. पत्थर की मूर्तियाँ यहाँ रोज पूजी जाती हैं घर मिट्टी कोई नहीं पूजता.. जिससे उसे अन्न मिला लालन पालन हुआ.. ठीक वैसे ही इन नव
Kavi Ranveer Charan
(प्रियंका रेड्डी के बलात्कार और हत्या पर आधारित |) मौन रहूं या मुंह खोलूं समझ नहीं कुछ आता है घर जाती एक बिटिया को कोई खूब तड़पाता है भारत जैसा देश जहां पूजी जाती है कन्या वहां सुरक्षा हेतु कोई कानून नहीं बन पाता है मौन साधे हुए लोगो प्रतिक्रिया अब जरूरी है अपनी हर बहन की सुरक्षा करना अब जरूरी है भरोसा नहीं है आज किसी भी अनजान का सुरक्षा हेतु खुद पर ही निर्भर रहना अब जरूरी है ऐसा करने वाले को अपराधी मानने भर से क्या होगा जेल में डाल कर सालों केस चलाने भर से क्या होगा न्यायिक प्रक्रिया के तहत एक फैसला बहुत जरूरी है 'प्रियंका' हत्यारों को बीच चौराहे में फांसी पर लटकाना होगा कवि-रणवीर सिंह चारण (प्रियंका रेड्डी के बलात्कार और हत्या पर आधारित |) मौन रहूं या मुंह
R.k. Swati
पुराने रिश्ते टूट रहे, नये को बनाने में | बेटा बाप का गला घोंट रहा, इश्क़ फरमाने में | #yourquote #yqwriters #society #currentsituation #Family #poem #Love #father #Son #Relationship हमेशा एक बात जहन में आती है, क्या कोई रिश्
Anita Saini
घरां पूजो माटी बणी गणगौर बाई'सा थे करियो अण बाताँ पर गौर सुहागणों राचो माचो करो सोलह सिंगार ई की ता'ई सोलह दिन पूजी जावै गणगौर अमर सुहाग रै वै थारो ईशर गौरां रो रैवै जोड़ मायड़ सागै आशीश देवै थानै सगळा अगड पड़ोस घरां पूजो माटी बणी गणगौर बाई'सा थे करियो अण बाताँ पर गौर सुहागणों राचो माचो करो सोलह सिंगार ई की ता'ई सोलह दिन पूजी जावै गणगौर अमर सुहाग रै